छोटी उम्र में गर्भाशय में रसौली बनने की वजह, लक्षण और जानिए उपचार

punjabkesari.in Monday, Aug 17, 2020 - 05:25 PM (IST)

फायब्रॉइड्स यानि की गर्भाश्य में बनने वाली रसोलियां जिन्हें यूट्रस ट्यूमर्स भी कहा जाता है। रसोलियों की समस्या ज्यादातर तो 25 से 40 की उम्र की महिलाओं को सुनने को मिलती है लेकिन कम उम्र में भी अब इसकी समस्या लड़कियों को होने लगी है। ऐसा उन महिलाओं को होता है जिनके शरीर में एस्ट्रोजन नाम का हार्मोंन ज्यादा बनता है। बस इसी से हैं फायब्रॉइड बनने शुरु हो जाते हैं।

क्या होते हैं फायब्रॉइड्स?

फायब्रॉइड्स को ही रसौली बच्चेदानी की गांठ कहते हैं। इसमें महिला के गर्भाश्य में या उसके आसपास ये गांठे मांस पेशियों व फाइब्रस उत्तकों से बनती हैं जिनका कोई भी आकार हो सकता है।

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किन महिलाओं को रसौलियां बनने की परेशानी?

ओवरवेट या मोटापा ग्रस्त महिलाओं को इसकी दिक्कत सबसे ज्यादा होती है जबकि यह हॉर्मोनल चेंज के कारण भी हो सकती हैं। बढ़ती उम्र, प्रेग्नेंसी में भी ये दिक्कत हो सकती हैं। हालांकि यह समस्या आनुवांशिक भी हो सकती है यानि कि परिवार की महिला को हैं तो आगे पीढ़ी दर पीढ़ी अन्य महिलाओं को भी हो सकती है लेकिन 99 फीसदी ये बीमारी बिना कैंसर वाली होती है।

कैसे पहचाने की गर्भाश्य में रसौलियां है...

पीरियड्स आसामान्य होने लगते हैं
रसौलियो की इन्फेक्शन से प्राइवेट पार्ट्स से डिस्चार्ज की समस्या
नाभि के नीचे पेट दर्द या पीठ के निचले हिस्से में दर्द
बार-बार या रुक-रुक कर यूरिन आना
इंटरकोर्स के समय दर्द होना
पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग
कमजोरी महसूस होना
पेट में सूजन
खून की कमी होना
कब्ज रहने लगना
पैरों में झुनझुनाहट-दर्द
बांझपन या गर्भपात की समस्या

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कैसे करवाएं रसौलियों की जांच?

वैसे तो आमतौर पर रसौली के खास लक्षण नजर नहीं आते हैं लेकिन बताए लक्षण को देखते हुए आप अल्ट्रासाउंड, एमआरआई स्कैन (MRI),डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी (diagnostic Laparoscopy) या हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy) द्वारा रसौलियों की जांच करवा सकते हैं।

अगर फाइब्रॉयड का आकार बड़ा हो चुका है तो डाक्टरी सलाह जरूर लें। इस पर वह आपको दवा या माइक्रो सर्जरी की सलाह दे सकते हैं  लेकिन अगर रसौलियां नॉर्मल है तो आप अपने लाइफस्टाइल को हैल्दी बनाकर भी इस प्रॉब्लम से छुटकारा पा सकते हैं।

लाइफस्टाइल को बनाएं हैल्दी फॉलो करें कुछ देसी टिप्स

याद रखिए दवाइयां आपको कुछ समय के लिए आराम तो देंगी लेकिन अगर लाइफस्टाइल ठीक नहीं होगा तो यह दोबारा बननी शुरु हो जाती हैं इसलिए अपनी डाइट को हैल्दी बनाना बहुत जरूरी है।

1. जिन महिलाओं को रसौलियों की दिक्कत हैं उन्होंने रोजाना 2 से 3 कप ग्रीन टी का सेवन करना चाहिए।

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2. डाइट में लहसुन प्याज का सेवन ज्यादा करना चाहिए। प्‍याज में सेलेनियम होता है और लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी पाएं जाते हैं जो ट्यूमर और गर्भाशय फाइब्रॉएड के विकास को रोकती है।

3. एंटीबॉयोटिक गुणों से भरपूर हल्दी का सेवन करें इससे रसौली की ग्रोथ तो रुकती ही है साथ ही में कैंसर का खतरा भी कम होता है।

4. एक चम्मच आंवले का पाउडर 1 चम्मच शहद के साथ मिलाकर रोजाना खाली पेट लें। ऐसा करीब 1 महीना लगातार करें।

5. खट्टे फलों का सेवन करें क्योंकि इनमें विटामिन सी भरपूर होता है जो शरीर की अंदरुनी सफाई करता है।

6. बादाम का सेवन जरुर करें। साथ ही आप सूरजमुखी के बीजों का सेवन भी करें तो अच्छा है क्योंकि इससे अच्छा फैट और फाइबर मिलता है जिससे रसौली नहीं बनती और अगर बनी हैं तो उसका साइज कम होने लगता है।

अच्छी डाइट के साथ भरपूर पानी पीएं व सैर, योग व एक्सरसाइज को अपनी डेली रुटीन का हिस्सा बनाएं ।अगर दिक्कत ज्यादा हो तो तुरंत डाक्टरी जांच करवाएं ताकि जल्द ही समस्या को पकड़ा जा सकें।

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याद रखिए कि भले ही फायब्राइड छोटा सा हो लेकिन प्रेग्नेसी के दौरान यह गर्भ की तरह ही बढ़ने लगता है। शुरुआती महीनों में इसकी ग्रोथ तेजी से होती है जिससे बहुत दर्द और ब्लीडिंग भी होती है। फायब्रॉयड्स अगर साइज या लोअर साइड में हो तो बर्थ कैनाल ब्लॉक हो जाती है जिससे नॉर्मल डिलिवरी नहीं हो सकती, तब सी-सेक्शन करना पडता है।


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Content Writer

Vandana

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