क्या AC के जरिए भी फैल सकता है कोरोना वायरस? जानें एक्सपर्ट की राय
punjabkesari.in Sunday, Apr 19, 2020 - 11:03 AM (IST)
दुनियाभर में कहर मचा चुका कोरोना वायरस का खतरा भारत में भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। जहां इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए देशभर में संपूर्ण लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है वहीं वैज्ञानिक लगातार रिसर्च भी कर रहे हैं, ताकि इसकी वैक्सीन तैयार की जा सके। साथ ही यह भी पता लगाया जा सके कि यह वायरस इंसानों में आया कहां से।
AC के जरिए भी फैल सकता है वायरस
अभी तक हुई रिसर्च के मुताबिक, यह वायरस हाथ मिलाने, खांसते व छींकने समय गिरने वाले ड्रॉपलेट्स से फैलता है। इसके अलावा यह वायरस सतह व दरवाजे के हैंडल पर भी जिंदा रह सकता है। ऐसे में अगर आप उसे छूते हैं तो यह वायरस हाथों से मुंह व फिर शरीर में प्रवेश कर सकता है। इसके अलावा हाल ही में एक ओर रिसर्च सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि यह वायरस AC के जरिए भी फैल सकता है।
एसी से 3 लोगों में फैला वायरस
जी हां, स्टडी के मुताबिक एयर कंडीशनर (Air Conditioning) की वजह से भी कोरोना एक दूसरे में फैल सकता है। अमेरिका के सेंटर फॉर कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा इमरजिंग इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक चीन के एक रेस्टोरेंट में लगे एयर कंडीशनर की वजह से वहां बैठे तीन लोगों में कोरोना वायरस का इंफ्केक्शन फैल गया।
रेस्टोरेंट में 24 घंटे चलता है एसी
बता दें कि इस रेस्टोरेंट में कोई खिड़की नहीं है, जिसकी वजह से यहां 24 घंटे AC चलाया जाता है। पहला संक्रमित व्यक्ति 24 जनवरी को यहां खाना खाने आया था। दूसरे और तीसरे लोग भी थोड़ी दूर पर बैठे थे। पहले संक्रमित मरीज में रेस्टोरेंट से घर आने के अगले ही दिन लक्षण दिखने लगे थे। वहीं दूसरा व्यक्ति 5 फरवरी को संक्रमित हुआ था। तीसरा व्यक्ति भी 5 से 7 फरवरी को संक्रमित हुआ था।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
डॉक्टरों का मानना है कि एयर कंडीशनर की हवा का तेज फ्लो ड्रापलेंट्स को हवा में लाया होगा, जिसकी वजह से वहां मौजूद लोग कोरोना से संक्रमित हुए। एसी चलाने पर कोरोना का खतरा तब बढ़ जाता है जब क्रॉस वेंटिलेशन हो।
सेंट्रल एसी से अधिक खतरा
अगर आपके घर में विंडो एसी लगा है तो कमरे की हवा वहीं तक रहेगी। ऐसे में विंडो एसी या कार में एसी चलाने से कोई दिक्कत नहीं है। अगर आप सेंट्रल एसी यूज करते हैं तो उसे बंद कर दें क्योंकि इसकी हवा सारे कमरों में जाती है। अगर किसी दूसरे कमरे या ऑफिस में कोई इंफैक्टिड व्यक्ति खांस रहा है तो उसके ड्रॉपलेट्स हर जगह फैल सकते हैं। ऐसे में इससे इंफैक्शन का अधिक खतरा है।