क्या प्रेग्नेंसी के बीच में दोबारा हो सकती हैं Pregnant?

punjabkesari.in Tuesday, Jul 27, 2021 - 05:20 PM (IST)

क्या कोई औरत प्रेग्नेंट होते हुए दोबारा कंसीव कर सकती है? जरा सोचिए... अगर प्रेगनेंसी के कुछ हफ्ते बाद आपको बताया कि आपके गर्भ में दोबारा भ्रूण इम्प्लांट हो चुका है तो आपका रिएक्शन क्या होगा? दरअसल, मेडिकल भाषा में इसे सुपरफेटेशन प्रेगनेंसी या डबल प्रेग्नेंसी कहा जाता है, जो असामान्य स्थिति है।

क्या है सुपरफेटेशन?

सुपरफेटेशन प्रेगनेंसी में महिला गर्भवती होने हुए भी दोबारा कंसीव कर सकती हैं। दरअसल, कई बार गर्भवती होने के बाद भी गर्भ में अंडा किसी स्पर्म द्वारा फर्टिलाइज हो जाता है। ऐसा प्रेगनेंसी के पहले कुछ हफ्तों में हो सकता है। एक्सपर्ट की मानें तो इससे दूसरी प्रेगनेंसी में दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। कई मामलों में नवजात कुपोषित भी हो सकता है क्योंकि उनका जन्म पहले ही हो जाता है।

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जुड़वा नहीं है सुपरफेटेशन

जुड़वा बच्चे होना और सुपरफेटेशन दोनों अलग-अलग स्थिति है। जब कोई महिलाएं एक ही बार में 1 से 3 भ्रूण को कंसीव करती हैं तो उसे ट्विन्स प्रेगनेंसी कहा जाता है जबकि सुपरफेटेशन में महिला एक बच्चे को कंसीव करने कुछ हफ्ते बाद दोबारा प्रेग्नेंट होती है। अक्सर मछली, हर्ज़ और बैजर्स जैसी प्रजातियों में सुपरफेटेशन के मामले सामने आते हैं। इंसानों में इसके चांसेज बेहद कम होते हैं। 

क्या एक ही समय पैदा होंगे दोनों बच्चे?

जी हां, भले ही दोनों भ्रूण अलग-अलग समय पर प्रत्यारोपित हुए हो लेकिन डिलीवरी एक ही समय पर होती है। वहीं, अगर भ्रूण के गर्भधारण समय में ज्यादा फर्क हो डिलीवरी में जोखिम बढ़ जाता है। दूसरे भ्रूण की डिलीवरी 37 सप्ताह से पहले हो जाए तो बच्चा कुपोषित हो सकता है। ऐसे मामलों में ज्यादातर डिलीवरी सिजेरियन होती हैं।

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सुपरफेटेशन क्यों है अनोखा?

दरअसल, जब कोई महिला गर्भधारण करती हैं जो उसके शरीर के प्रजनन हार्मोन्स काम करना पूरी तरह से बंद कर देते हैं, जिससे अंडा ओव्यूलेट नहीं पाता। यही वजह है कि सुपरफेटेशन को अनूठी घटना माना जाता है।

किन महिलाओं में अधिक संभावना?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, IVF, प्रजजन ट्रीटमेंट या हॉर्मोन ट्रीटमेंट लेने वाली महिलाओं में सुपरफेटेशन की आशंका अधिक होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके अंडाशय को बच्चे के लिए पहले से तैयार किया जाता है। वहीं, प्रेगनेंसी में संबंध बनाने से बचें क्योंकि इससे सुपरफेटेशन की संभावना बढ़ सकती है।

सुपरफेटेशन की जटिलताएं

. जन्म लेने के बाद शिशु को सांस लेने में परेशानी
. नवजात का वजन कम होना
. शिशु को खिलाने-पिलाने में दिक्कत 
. मस्तिष्क में रक्तस्राव होना
. अविकसित फेफड़ों के कारण होने वाला श्वास विकार
. सुपरफेटेशन वाली औरतों में प्रीक्लेम्पसिया, डायबिटीज का जोखिम भी रहता है।

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Content Writer

Anjali Rajput

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