क्या आप भी हैं थकान और हड्डी दर्द से परेशान? हो सकता है इस गंभीर बीमारी का संकेत
punjabkesari.in Saturday, Aug 16, 2025 - 05:04 PM (IST)

नारी डेस्क: कैल्शियम हमारे शरीर के लिए एक अत्यंत आवश्यक पोषक तत्व है। यह सिर्फ हड्डियों और दांतों को ही नहीं, बल्कि मांसपेशियों, हृदय और तंत्रिका तंत्र को भी सुचारु रूप से काम करने में मदद करता है। हालांकि, आजकल महिलाओं में कैल्शियम की कमी एक आम समस्या बनती जा रही है। खासकर 30 की उम्र के बाद, गर्भावस्था, स्तनपान और मेनोपॉज़ के दौरान यह स्थिति और गंभीर हो जाती है। इस लेख में हम जानेंगे कि महिलाओं में कैल्शियम की कमी क्यों होती है, इसके लक्षण क्या हैं और कैसे इससे बचा जा सकता है।
महिलाओं में कैल्शियम की कमी के प्रमुख कारण
हार्मोनल बदलाव
महिलाओं के शरीर में उम्र के साथ कई तरह के हार्मोनल बदलाव आते हैं, खासतौर पर मेनोपॉज़ के बाद। इस समय एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर तेजी से घटता है, जो कैल्शियम को हड्डियों में बनाए रखने में मदद करता है। जब ये हार्मोन कम हो जाता है, तो शरीर धीरे-धीरे हड्डियों से कैल्शियम खींचने लगता है। यही वजह है कि 40-50 की उम्र के बाद कई महिलाओं को जोड़ों में दर्द, पीठ में अकड़न और हड्डियों की कमजोरी की शिकायत होने लगती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इसे नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है।
गर्भावस्था और स्तनपान
जब एक महिला माँ बनती है, तो उसका शरीर खुद से ज्यादा बच्चे की जरूरतों को प्राथमिकता देने लगता है। गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान महिला के शरीर को अधिक कैल्शियम की ज़रूरत होती है, क्योंकि शिशु की हड्डियों और दांतों के विकास के लिए यह जरूरी है। यदि इस दौरान पर्याप्त कैल्शियम डाइट से नहीं मिल पाता, तो शरीर अपने ही हड्डियों के भंडार से कैल्शियम निकालना शुरू कर देता है। कई माएं बच्चे की देखभाल में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि अपनी सेहत का ध्यान ही नहीं रखतीं और यहीं से शुरू होती है हड्डियों की कमजोरी।
अनियमित और गलत खानपान
आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में स्वस्थ भोजन से समझौता आम बात हो गई है। कई महिलाएं वजन घटाने के चक्कर में या समय की कमी के कारण दूध, दही, पनीर जैसी चीजों से दूर हो जाती हैं। कुछ को हरी सब्जियां पसंद नहीं होती, तो कुछ बाहर का खाना ज़्यादा खाते हैं। लेकिन ये छोटी-छोटी आदतें धीरे-धीरे कैल्शियम की कमी को जन्म देती हैं। जब डाइट में सही पोषण नहीं होता, तो शरीर अंदर से खोखला होने लगता है और इसका असर सबसे पहले हड्डियों पर दिखाई देता है।
शारीरिक गतिविधि की कमी
अगर आपकी दिनचर्या में एक्सरसाइज, टहलना या कोई भी शारीरिक गतिविधि नहीं है, तो आपकी हड्डियां कमजोर पड़ सकती हैं। हड्डियां भी मांसपेशियों की तरह होती हैं जितना उन्हें इस्तेमाल किया जाए, उतनी मजबूत होती हैं। लेकिन बैठकर काम करने की आदत, देर तक टीवी देखना या मोबाइल में व्यस्त रहना, शरीर को निष्क्रिय बना देता है। जब शरीर हिलता-डुलता नहीं, तो हड्डियों की कोशिकाएं भी सुस्त हो जाती हैं और धीरे-धीरे उनमें से मिनरल्स कम होने लगते हैं। नतीजा हड्डियों में कमजोरी, दर्द और फ्रैक्चर का खतरा।
ज्यादा कैफीन और प्रोसेस्ड फूड का सेवन
सुबह उठते ही चाय या कॉफी का कप... दिन में 3-4 बार कैफीन... और फिर भूख लगने पर पैकेट वाला स्नैक ये आदतें आजकल आम हो चुकी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैफीन और प्रोसेस्ड फूड्स (जैसे चिप्स, बिस्किट, सोडा आदि) शरीर से कैल्शियम को बाहर निकालने का काम करते हैं? इन चीजों में मौजूद फॉस्फेट्स और प्रिज़रवेटिव्स शरीर में मिनरल बैलेंस को बिगाड़ देते हैं। जितना कैल्शियम आप खा भी लेते हैं, वह भी पूरी तरह अवशोषित नहीं हो पाता। इसलिए अगर आप हर दिन 3 कप चाय पीते हैं, लेकिन दूध या दही नहीं लेते तो नुकसान ज़्यादा और फायदा कम होगा।
कैल्शियम की कमी के लक्षण
जोड़ों और हड्डियों में लगातार दर्द
मांसपेशियों में ऐंठन या झटके आना
थकावट और कमजोरी महसूस होना
दांतों का कमजोर होना या गिरना
नाखूनों का जल्दी टूटना या भुरभुरा हो जाना
बच्चों और किशोरियों में वृद्धि रुक जाना या धीमी हो जाना
कैल्शियम के प्राकृतिक स्रोत
डेयरी उत्पाद: दूध, दही, पनीर, छाछ सबसे सस्ते और असरदार स्रोत।
हरी पत्तेदार सब्जियां: पालक, मेथी, सरसों का साग, बथुआ जैसी सब्जियां कैल्शियम से भरपूर होती हैं।
सूखे मेवे और बीज: तिल, अलसी, अंजीर और बादाम में भी अच्छा खासा कैल्शियम होता है।
समुद्री आहार: मछली, झींगा आदि भी कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं (जो नॉन-वेज खाते हैं उनके लिए)।
सप्लीमेंट्स: अगर डाइट से कैल्शियम पूरा नहीं हो पा रहा है, तो डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट लिया जा सकता है।
कैल्शियम की कमी से बचने के उपाय
हर दिन सुबह 15–20 मिनट धूप में रहें ताकि शरीर को प्राकृतिक रूप से विटामिन D मिले, जिससे कैल्शियम अच्छी तरह से अवशोषित हो सके।
नियमित व्यायाम करें हल्की दौड़, योग, स्ट्रेचिंग से हड्डियां मजबूत बनती हैं।
संतुलित और पोषक आहार लें, जिसमें प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन D शामिल हों।
ज्यादा नमक, कोल्ड ड्रिंक, चाय-कॉफी और जंक फूड से दूरी बनाएं, क्योंकि ये कैल्शियम की कमी बढ़ा सकते हैं।
हर साल बोन डेंसिटी टेस्ट करवाएं, खासकर 35 की उम्र के बाद, ताकि समय रहते हड्डियों की स्थिति का पता चल सके।
महिलाओं के लिए कैल्शियम सिर्फ एक पोषक तत्व नहीं, बल्कि एक मजबूती की नींव है। जब शरीर में इसकी पर्याप्त मात्रा बनी रहती है, तब न सिर्फ हड्डियां मजबूत रहती हैं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। इसलिए आज से ही कैल्शियम युक्त आहार को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और खुद को और अपने परिवार को स्वस्थ बनाएं।
अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे दूसरों के साथ ज़रूर शेयर करें खासकर महिलाओं के साथ। स्वास्थ्य की यह छोटी सी जागरूकता, किसी के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है।