इन बड़े शहरों की हवा 10 साल में भी नहीं सुधरी, बढ़ता प्रदूषण देश के लिए खतरे की घंटी

punjabkesari.in Saturday, Nov 29, 2025 - 11:54 AM (IST)

नारी डेस्क: बीते एक दशक में देश के बड़े शहरों की हवा लगातार जहरीली होती गई है। वायु प्रदूषण अब सिर्फ एक मौसमी परेशानी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर की गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2015 से 2025 (20 नवंबर तक) किसी भी बड़े शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) सुरक्षित स्तर तक नहीं पहुंच पाया। इन 10 सालों के डेटा से यह साफ हो गया है कि प्रदूषण हर साल बढ़ रहा है और बड़े शहर रहवासियों के लिए खतरा बनते जा रहे हैं।

दिल्ली 10 साल से सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर

अध्ययन में साफ हुआ कि भारत की राजधानी दिल्ली पूरी अवधि में सबसे प्रदूषित शहर रही। दिल्ली का एक्यूआई लगातार 'बहुत खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में बना रहा। पराली जलाने की घटनाओं में कमी के बावजूद 2025 में हवा में सुधार नहीं आया। इससे यह साबित होता है कि दिल्ली का स्थानीय प्रदूषण (वाहन, उद्योग, कचरा जलाना, निर्माण) सर्दियों की मौसमीय परिस्थितियां दोनों मिलकर हर साल खतरनाक धुंध और स्मॉग पैदा कर रहे हैं।

उत्तर और पश्चिम भारत—लगातार खराब हालात

लखनऊ, वाराणसी और अहमदाबाद जैसे शहरों में भी स्थिति बेहद खराब रही। इन शहरों का 2015 से 2025 के बीच का औसत एक्यूआई भी ‘गंभीर’ या ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहा। ये शहर न सिर्फ औद्योगिक गतिविधियों और ट्रैफिक के बोझ से दबे हैं, बल्कि मौसमीय परिस्थितियां भी प्रदूषण को बढ़ाती हैं।

मैदानी इलाकों में सर्दियों में धुंध और बढ़ी

अध्ययन बताता है कि सिंधु-गंगा के मैदानी क्षेत्रों में हर साल सर्दियों में धुंध और स्मॉग बढ़ जाता है। सर्दियों में हवा स्थिर हो जाती है, जिससे धूल, धुआं और प्रदूषक जमीन के पास ही फंस जाते हैं और एक्यूआई तेजी से खराब हो जाता है। इस चक्र से शहर आज तक बाहर नहीं निकल पाए हैं।

दक्षिण और पश्चिम के कुछ शहरों में स्थिति थोड़ी बेहतर, फिर भी सुरक्षित नहीं कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़ और विशाखापत्तनम जैसे शहरों में एक्यूआई दिल्ली जितना खराब नहीं रहा, लेकिन फिर भी उनका दशक का औसत असुरक्षित स्तर पर रहा। यानी हवा थोड़ी बेहतर है, पर स्वस्थ नहीं। बेंगलुरु जैसे शहर में हवा सबसे साफ पाई गई, लेकिन उसका औसत एक्यूआई भी ‘अच्छी’ श्रेणी के ऊपर रहा, मतलब वहां भी वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिहाज से पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।

शहरीकरण, ट्रैफिक और उद्योग समस्या की जड़ें गहरी

अध्ययन में कहा गया है कि भारत का वायु प्रदूषण अब एक संरचनात्मक राष्ट्रीय समस्या बन चुकी है।

इसके मुख्य कारण हैं

तेज शहरीकरण

बढ़ता ट्रैफिक

निर्माण और खनन

औद्योगिक इकाइयां

मौसमीय और भौगोलिक परिस्थितियां

इन सभी कारणों ने मिलकर प्रदूषण को जड़ से मजबूत कर दिया है। अब जरूरत है विज्ञान आधारित, दीर्घकालिक और सख्त नीतियों की, जो पूरे देश में लागू हों।

मुंबई एजेंसियों की सख्ती शुरू, 53 निर्माण स्थल बंद

मुंबई में वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ने के बाद बीएमसी और अन्य एजेंसियों ने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। शहर में धूल फैलाने वाले निर्माण स्थलों की जांच की जा रही है और नियमों का पालन न करने वालों पर कार्रवाई हो रही है। अब तक बीएमसी 53 निर्माण स्थलों पर काम रोकने का नोटिस दे चुकी है। साथ ही बंबई हाईकोर्ट ने भी प्रदूषण नियंत्रण के लिए 5 सदस्यीय स्वतंत्र समिति बनाई है, जिसमें बीएमसी, एमपीसीबी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। यह समिति निर्माण स्थलों के निरीक्षण से लेकर शहर में लागू किए गए नियमों की निगरानी करेगी।

दिल्ली विपक्ष ने मांगे कड़े कदम

दिल्ली में हालात इतने खराब हैं कि विपक्ष ने

अधिक एहतियाती उपाय

प्रदूषण रोकने के लिए कड़े कदम

एयर प्यूरीफायर जैसे उत्पादों को सस्ता करने

जैसे सुझाव दिए हैं, ताकि आम लोग जहरीली हवा के नुकसान से बच सकें।

हवा सिर्फ बिगड़ रही है, सुधर नहीं रही

एक्यूआई के 10 साल के रिकॉर्ड बताते हैं कि भारत के बड़े शहर हवा को साफ रखने में असफल रहे हैं। कुछ जगह सुधार हुआ, पर कोई भी शहर 'स्वस्थ हवा' की श्रेणी तक नहीं पहुंच पाया। यह स्पष्ट संकेत है कि यदि बड़े और सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले सालों में वायु प्रदूषण और गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है।  


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Priya Yadav

Related News

static