Bhai Dooj 2021 : शुभ मुहूर्त पर करें भाई का तिलक, नोट कर लें सामग्री लिस्ट भी
punjabkesari.in Friday, Nov 05, 2021 - 02:03 PM (IST)
दिवाली के 2 दिन बाद भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भाई दूज पर्व मनाया जाता है। इस दिन के साथ ज्यादातर जगहों पर दिवाली (दीपावली) उत्सव समाप्त हो जाते हैं। यह पर्व कार्तिक के हिंदू महीने में द्वितीया तिथि, शुक्ल पक्ष पर आता है, जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहन भाई के माथे पर तिलक-चावल लगाती है और हाथों में रौली बांधकर रक्षा का वचन लेती है इसलिए इसे अक्षत का तिलक भी कहा जाता है।
भाई दूज की तिथि- शुभ मुहूर्त
द्वितीया तिथि 5 नवंबर को रात 11:14 बजे से शुरू होकर 6 नवंबर को शाम 7:44 बजे समाप्त होगी
मुहूर्त या पूजा का समयः दोपहर 1:10 बजे से दोपहर 3:21 बजे के बीच
भाई दूज तिल करने की विधि
. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान गणेश का आशीर्वाद लेने के लिए उनका आह्वान करके पूजा शुरू करें। फिर फूल, दक्षिणा और कोई मिठाई या फल श्रीगणेश जी को अर्पित करें। फिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें और उनका आशीर्वाद लें।
. देवताओं से प्रार्थना करने के बाद अपने भाई को उत्तर-पश्चिम की ओर मुख करके दूसरी चौकी पर बैठाएं।
. उसे रूमाल से सिर ढकने के लिए कहें। फिर रोली और चंदन से अपने भाई के माथे पर टीका लगाएं।
. अपने भाई को पूरा नारियल दें और कलावा को कलाई के चारों ओर बांधते समय उसे अपने दाहिने हाथ में पकड़ने के लिए कहें।
. फिर आरती करें, अक्षत को उसके सिर पर रखें और उसे मिठाई खिलाकर अनुष्ठान समाप्त करें।
. तिलक करते समय "गंगा पूजा यमुना को, यामी पूजा यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्णा को, गंगा यमुना नीर बहे, मेरे भाई आप बढ़ें, फुले फलें।" मंत्र का जाप करती रहें।
पूजा की थाली में शामिल करें ये चीजें
. भाई दूज थाली में रोली या कुमकुम, 5 पान के पत्ते, साबुत नारियल, दीपक, अक्षत (चावल), मिठाइयां, पान - सुपारी, दक्षिणा, पुष्प, फल, कलावा या मौली, कपूर जरूर रखें।
. इसके अलावा पूजा थाली में सुपारी और चांदी का सिक्का रखना भी शुभ माना जाता है।
. तिलक से पहले सभी चीजों पर गंगाजल छिड़कें और भगवान विष्णु को अर्पित करें। इसके बाद भाई की लंबी उम्र की कामना करते हुए तिलक करें।
लंबी आयु के लिए लगाएं अक्षत का टीका
भैया दूज पर बहनें भाई के माथे पर अक्षत यानि चावल का टीका लगाती है। माना जाता है कि इससे भाई का भविष्य उज्जवल होता है। वहीं, वास्तु के अनुसार उत्तर दिशा में बैठकर तिलक लगाने से भाई-बहन के रिश्ते में मधुरता आती है और मन-मुटाव भी दूर होते हैं।