Wheat से Allergy है तो क्या खाएं और किससे करें परहेज?

punjabkesari.in Thursday, Sep 02, 2021 - 09:31 AM (IST)

भारतीय लोग गेंहू के आटे से बनी रोटी, परांठे, पूरी खाना खूब पसंद करते हैं। मगर, कुछ लोगों को गेहूं से एलर्जी होती है जिसे सीलिएक बीमारी भी कहा जाता है। दरअसल, कुछ लोगों का पाचन तंत्र ग्लूटेन प्रोटीन को पचा नहीं पाता, जिसके कारण उन्हें गेहूं से एलर्जी हो जाती है। हैरानी की बात तो यह है कि लोगों को उम्रभर इस बीमारी का पता नहीं चल पाता , जो उनके लिए जानलेवा बन जाता है।

क्या है सीलिएक या ग्लूटन एलर्जी?

ग्लूटेन गेहूं, जौ, राई और सूजी में मिलने वाला प्राकृतिक प्रोटीन है। कई बार गेहूं में मौजूद प्रोटीन ग्लूटेन के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडीज बनाती हैं, जो आंतों में ग्लूटेन पचाने वाले तत्वों को खत्म करने लगते है। इसके कारण व्यक्ति गेहूं या इसे बनने वाली चीजों को डाइजेस्ट नहीं कर पाता।

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सीलिएक बीमारी के कारण

90 मामलों में यह बीमारी जेनेटिक होती है लेकिन कई बार परिवार में किसी सदस्य को हुए बिना भी यह बीमारी हो सकती है। इसके अलावा ऑटोइम्युन बीमारियां जैसे टाइप 1 डायबिटीज या स्किन प्रॉब्लम्स, ब्रेन से जुड़ी हुई बीमारी के कारण भी यह एलर्जी हो सकती है।

सीलिएक बीमारी के लक्षण

आमतौर पर बच्चों में 6 महीने की उम्र के बाद इस बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं, जो इस तरह हैं...

. बार-बार पेट दर्द
. वजन ना बढ़ना
. लंबे समय तक दस्त होना
. बार-बार उल्टियां होना
. पेट का फूलना
. हीमोग्लाोबिन की कमी
. जल्दी थक जाना
. कमजोरी रहना
. दवाओं का असर ना होना

सीलिएक बीमारी के लिए "टीटीजी' जांच की जाती है, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने का बाद एंडोस्कोपी करके बायोप्सी की जाती है। इसके बाद व्यक्ति का ट्रीटमेंट शुरू किया जाता है।

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बांझपन का बन सकता है कारण

. इस बीमारी का अगर समय पर पता ना चल पाए तो बच्चों का विकास रुक जाता है। यही नहीं, लड़कियों को आगे चलकर मां बनने में दिक्कत और बार-बार मिसकैरेज भी हो सकता है।

. यहां तक कि ग्लूटेन फ्री डाइट ना लेने पर मरीज को आंतों का कैंसर, हार्ट अटैक, आर्टरी डिजीज और कार्डियोवस्कुलर डिजीज का खतरा रहता है।

इन चीजों से रखें परहेज

ग्लूटेन एलर्जी के लिए कोई भी इलाज या दवा मौजूद नहीं इसलिए इसे सिर्फ डाइट से कंट्रोल किया जाता है।

. गेहूं के अलावा जौ, ज्वार में भी ग्लूटेन होता है इसलिए जिंदगीभर इनसे परहेज रखें। सफेद ब्रेड, पैनकेक्स, ग्लूटेन ब्रेड, मफिन्स, डोनट्स, फ्रेंच टोस्ट, पकौड़े, रस्क, स्टफिंग ब्रेड, कॉर्नब्रेड, बिस्कुट, सोयाबीन ब्रेड, आलू भी ना खाएं ।
. इसके कारण दूध पचाने की ताकत भी खत्म हो जाती है इसलिए लिमिट में ही इसका सेवन करें। साथ ही दूध से बने उत्पाद, अंडे, मांसाहार से भी परहेज रखें।
. शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी ना हो इसके लिए डॉक्टर की सलाह से कैल्शियम, आयरन, विटामिन, प्रोटीन सप्लीमेंट्स लें।
. पेस्ट्री, केक, कस्टर्ड, आइसक्रीम, आटा नूडल्स/मैकरोनी या पास्ता, कुकीज़ शर्बत, चॉकलेट, माल्ट प्रोडक्ट्स, और अन्य पैकेज्ड डेजर्ट से भी परहेज रखें क्योंकि इनमें गेहूं का आटा मिला होता है।

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क्या खाएं?

. डाइट में मक्के की रोटी, शुद्ध मक्का, दलिया, सोयाबीन का आटा, कॉर्नमील, कॉर्नस्टार्च, जई या चावल से बने अन्य अनाज खा सकते हैं। ध्यान रखें कि उसमें गेहूं न मिला हो।
. गेहूं बने पेय जैसे बीयर, रूट बीयर भी न पीएं। इसकी बजाए चाय, फलों के रस, दूध और कार्बोनेटेड ड्रिंक का सेवन करें।
. अंडे से बनी चीजें, मक्खन, कॉर्न सूप, जैम, शहद, पॉपकॉर्न, अचार और मूंगफली का सेवन करें।

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Content Writer

Anjali Rajput

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