9वें महीने कब होती है चिंता की बात और कौन से संकेत नॉर्मल?
punjabkesari.in Tuesday, Nov 01, 2022 - 02:55 PM (IST)
प्रैगनेंसी का 9वां महीना, जब बच्चा जन्म लेने को तैयार हो जाता है हालांकि उसका वजन और दिमाग अभी भी विकास कर रहे होते हैं। खोपड़ी के अलावा शरीर की सारी हड्डियां कठोर होती है। खोपड़ी की हड्डी इसलिए कठोर नहीं होती ताकि जन्म के समय वह बर्थ कैनाल से आसानी से बाहर निकल सके। डिलीवरी का समय नजदीक होता है इसलिए गर्भवती महिला के मन में डर भी होता है और उत्सुकता भी। इस महीने बहुत से बदलाव शरीर में आते हैं। महिला का वजन 11 से 16 किलो के बीच बढ़ जाता है इसीलिए उसे कुर्सी से उठने से लेकर रात को सोने के लिए लेटने तक, अधिक समय असहजता महसूस होती है। बहुत सी महिलाएं कुछ बदलावों को देखकर डर जाती है।
चलिए, आपको बताते हैं नौवें महीने में दिखने वाले आम संकेत
1. आखिरी महीना है तो योनि स्त्राव ज्यादा गुलाबी और भूरे रंग का हो सकता है। स्तनों से कोलोस्ट्रम का डिस्चार्ज अधिक हो सकता है।
2. ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन इस महीने में सामान्य होते हैं। ऐसा होने पर महिला को कई बार लगता है कि उसे लेबर पेन शुरू हो गया जबकि ऐसा होता नहीं है लेकिन अगर दर्द ज्यादा हो तो डॉक्टरी जांच जरूर करवा लें।
3. पीठ में लगातार दर्द हो सकता है।
4. शिशु का विकास पूरी तरह हो जाता है इसलिए श्रोणि भाग पर इसका दबाव ज्यादा हो जाता है, जिस कारण बार-बार यूरिन आता है।
5. डिलीवरी के कुछ सप्ताह पहले गर्भवती को सीने में जलन व सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानियों से राहत मिल जाती है क्योंकि बच्चा नीचे अपनी पोजीशन में आ जाता है।
6. शिशु की गतिविधियों में बदलाव आ जाता है। वह पहले की तरह ज्यादा हिल-डुल नहीं पाता क्योंकि आखिरी दिनों में उसका विकास पूरी तरह हो जाता है।
इस महीने गर्भवती का क्या करना जरूरी है?
हर महीने की तरह गर्भवती इस महीने भी हैल्दी खाएं और खुद को हाइड्रेटेड रखें। गर्भवती क्या खाती है, क्या पीती है और उसकी जीवनशैली कैसी है, इसका सीधा प्रभाव होने वाले शिशु पर पड़ता है।
गर्भावस्था के नौवें महीने में क्या खाएं?
फाइबर युक्त आहार खाएं जैसेः हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, ओट्स व दालें
आयरन युक्त आहार खाएं जैसेः पालक, सेब, ब्रोकली व खजूर आदि। अगर आप मांसाहारी हैं, तो चिकन और मीट भी खा सकती हैं।
कैल्शियम युक्त आहार खाएं: कैल्शियम के लिए दूध, दही का सेवन करें।
शरीर में आयरन को अवशोषित करने के लिए विटामिन-सी से भरपूर आहार लें। इसके लिए आप नींबू, संतरा, स्ट्रॉबेरी व टमाटर जैसी चीजों का सेवन कर सकती हैं। फोलेट युक्त आहार जरूर खाएं क्योंकि इसकी कमी से रीढ़ की हड्डी या मस्तिष्क संबंधी विकार होने का खतरा रहता है। इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जियों व बीन्स का सेवन करना चाहिए।
गर्भावस्था के नौवें महीने में क्या न खाएं?
कॉफी, चाय व चॉकलेट से परहेज करें। दिन में 1 से 2 कप से ज्यादा सेवन तो बिलकुल ना करें।
आर्टिफिशयल शुगर वाली चीजों का सेवन ना करें। ताजे फलों का जूस या घर में बनाई हुई मीठी कैंडी खा सकती हैं।
जंक फूड खाने से बचें। मरकरी वाली मछली, कच्चा मांस व कच्चे अंडे न खाएं।
गर्भावस्था के नौवें महीने के लिए व्यायाम
सुबह-शाम की सैर और सांस संबंधी व्यायाम जैसे अनुलोम-विलोम किया जा सकता है लेकिन थोड़ी सावधानी में। आप कुछ योगासन कर सकते हैं लेकिन ऐसा कोई भी व्यायाम ना करें जिससे पेट पर दबाव पड़े।
क्या न करें?
प्रैगनेंसी के दौरान तनाव बिलकुल ना लें। पेट के बल नीचे की ओर न झुकें और भारी सामान बिल्कुल न उठाएं। ज्यादा देर तक खड़ी न रहें। इससे आपको थकान हो सकती है। पीठ के बल न सोएं। इससे गर्भाशय का भार रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है। इस दौरान प्रसव कभी भी हो सकता है। पहली बार मां बनने वाली महिला के लिए इस दर्द को समझना मुश्किल हो सकता है इसलिए घर के बड़े को अपनी समस्या जरूर बताते रहे। अगर पानी की थैली फट जाए तो डाक्टर को संपर्क कर सलाह ले लें। कभी-कभी डाक्टर को खुद प्रसव के दौरान पानी की थैली को तोड़ने का फैसला करते हैं। ज्यादातर ऐसा तब होता है, जब गर्भवती को अप्राकृतिक तरीके प्रसव पीड़ा शुरू कराई जाती है। अब तो आप जान गई होंगी कि प्रेगनेंसी के नौवें महीने में आपको किन परेशानियों से गुजरना पड़ेगा इसलिए बिना डर के खुशी-खुशी आखिरी समय को बिताएं।