मां-बाप के तलाक के बाद बिखर जाती है बच्चे की जिंदगी, पेरेंट्स न करें ये गलतियां

punjabkesari.in Friday, Nov 29, 2024 - 06:34 PM (IST)

नारी डेस्क: जब कोई कपल शादी के बंधन में बंधता है तो उस समय वह सिर्फ पति- पत्नी होते हैं पर वही जब सालों बाद तलाक लेते हैं तो वह उस समय माता- पिता भी होते हैं। ऐसे में उनका यह फैसला सिर्फ उन पर ही नहीं बल्कि बच्चों पर भी बुरा प्रभाव डालता है।  ऐसे में माता-पिता का कर्तव्य है कि वे अपने निजी मतभेदों को बच्चों के भविष्य पर हावी न होने दें और उन्हें स्वस्थ वातावरण प्रदान करें। इससे बच्चों को इस कठिन समय से उबरने में मदद मिल सकती है। जानते हैं बच्चों पर तलाक का क्या पड़ता है असर

 

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भावनात्मक अस्थिरता

माता-पिता के अलगाव से बच्चे असुरक्षित महसूस करते हैं।   उन्हें अकेलापन, उदासी, और तनाव का अनुभव हो सकता है।   परिवार के टूटने से उनके आत्म-सम्मान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।  


पढ़ाई से भटक जाता है मन

माता-पिता के तलाक के दौरान बच्चों का ध्यान पढ़ाई से भटक सकता है।  उनके ग्रेड में गिरावट और स्कूल में रुचि की कमी हो सकती है।  

 

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सामाजिक समस्याएं

तलाक से गुजरने वाले बच्चे दूसरों के साथ घुलने-मिलने में झिझक महसूस कर सकते हैं।  उन्हें दोस्तों और रिश्तेदारों से दूर रहने का डर हो सकता है।  भविष्य में उनके अंदर रिश्तों को लेकर अविश्वास की भावना विकसित हो सकती है।  
 

आक्रामक व्यवहार

 कुछ बच्चे अपने गुस्से और असंतोष को आक्रामकता के रूप में व्यक्त करते हैं।   वे झगड़ालू और विद्रोही हो सकते हैं। उन में डिप्रेशन, एंग्जायटी, और पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसी समस्याएं हो सकती हैं।  तनाव के कारण बच्चों में शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, जैसे सिरदर्द, पेट दर्द और नींद की समस्याएं हो सकती हैं।  

 

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इस स्थिति से बच्चों को कैसे बचाएं


खुला संवाद:  बच्चों से ईमानदारी से बात करें और उन्हें भरोसा दिलाएं कि माता-पिता दोनों उनके लिए मौजूद रहेंगे। उनकी भावनाओं को सुनें और उनका समर्थन करें।  

स्थिरता बनाए रखें:  बच्चों के दैनिक रूटीन को यथासंभव स्थिर रखें।  यह उन्हें सुरक्षा और सामान्य स्थिति का एहसास दिलाता है।  

संयुक्त पालन-पोषण:  माता-पिता को मिलकर बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।  बच्चों को यह महसूस नहीं होने देना चाहिए कि वे किसी एक माता-पिता के पक्ष में हैं।  

थेरेपी और काउंसलिंग: यदि बच्चे के व्यवहार में नकारात्मक बदलाव दिखें, तो उन्हें काउंसलिंग दिलवाएं।  यह उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेगा।  

प्यार और समर्थन: बच्चों को बार-बार यह महसूस कराएं कि वे प्यार और सुरक्षा में हैं।  तलाक को उनके लिए कम दर्दनाक बनाने की कोशिश करें।  


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Content Writer

vasudha

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