इंग्लिश क्लब में फुटबॉल खेलने वाली पहली महिला है अदिति चौहान, लड़कियों को देती हैं फ्री ट्रेनिंग
punjabkesari.in Saturday, Jun 08, 2019 - 02:42 PM (IST)

फुटबॉल खेल का नाम सुनते ही सबको लगता है कि इसे सिर्फ लड़के ही खेल सकते है, यह लड़कियों के बस में नहीं है। मगर आज के समय में जहां महिलाएं पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं वहां शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां महिलाओं ने अपनी पहचान ना बनाई हो। हालांकि भारत में अभी भी महिलाओं को फुटबॉल खेलने से रोक दिया जाता है लेकिन इस स्थिति को बदलने के लिए वुमन फुटबॉल टीम कैप्टन अदिति चौहान एक अकेडमी चला रही है, जिसका नाम शी किक्स फुटबॉल अकैडमी (She Kicks Football Academy) है। वह ना सिर्फ महिलाओं को फुटबॉल के लिए प्रोत्साहित करती हैं बल्कि इस अकेडमी में उन्हें इस खेल की पूरी ट्रेनिंग भी दी जाती है।
मां की मदद से खोली हैं अकेडमी
अदिति ने लड़कियों को प्रोत्साहित करने व ट्रेनिंग देने के लिए 13 नंवबर 2018 को दिल्ली के द्वारका में अकेडमी की शुरुआत की। अदिति ने यह अकेडमी अपनी मां डॉक्टर शिवानी की मदद से खोली हैं, जो महिलाओं के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है। इतना ही नहीं, दिल्ली के साथ वह गुड़गांव में इसकी ब्रांच खोल चुकी हैं, जिसमें 10 कोच व 40 ट्रेनी है। इसमें ज्यादातर लड़कियां अंडर 15 केटेगिरी की है।
लड़कियों को दिलवाना चाहती हैं सही मुकाम
उन्होंने कहा कि यह अकेडमी खोलने का उनका मकसद लड़कियों को उनका मुकाम दिलवाना है, ताकि वह अपने जीवन में खुद को साबित कर सकें। इस अकेडमी में कुछ ऐसी भी लड़कियां आती है जो कि पिछड़ी सोसायटी से हैं। ऐसे लड़कियों को फ्री ट्रेनिंग के साथ गेम की सारी जरूरी चीजें भी प्रोवाइड करवाई जाती हैं, ताकि उनके जुनून में कोई कमी ना आए। साथ ही यहां खिलाड़ियों के स्टडी और सुरक्षा का भी खास ख्याल रखा जाता है। इसके अलावा अकेडमी की तरफ से हर साल फिटनेस सेशन, मनोरंजक गतिविधियां और कई वर्कशाप आयोजित किए जाते हैं।
इंग्लिश क्लब में खेलने वाली पहली भारतीय महिला
बता दें कि अदिति इंग्लिश प्रीमियर लीग में फुटबॉल खेलने वाली पहली भारतीय महिला है। 2014 में जब वह एमएससी की पढ़ाई कर रही थी तब उन्हें फुटबॉल क्लब वेस्ट होम यूनाइटेड लेडीज एफसी में खेलन का मौका मिला था। 2018 में जब वह भारत आई तो उन्होंने अकेडमी खोल लड़कियों को प्रोत्साहित करने के बारे में सोचा।
बढ़ रही है फुटबाल की लोकप्रियता
उनका कहना है कि धीरे-धीरे फुटबॉल की लोकप्रियता काफी बड़ रही है। उन्हें उम्मीद है कि भारत में महिला फुटबॉल के विकास के लिए सरकार, अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) और निजी क्षेत्र का सहयोग मिलेगा। स्पोर्ट्स इंडस्ट्री में रेवेन्यू, स्पॉन्सर्स और व्यूवरशिप काफी महत्व रखते है। पुरुषों को इसमें फायदा मिल जाता है लेकिन महिला खिलाड़ियों के साथ भेदभाव होता है। हालांकि यह इंडस्ट्री लगातार बढ़ रही है लेकिन अभी भी काफी कुछ किया जाना बाकी है।
पिता चाहते था अदिति खेले टेनिस
उनका मानना है कि जिस फील्ड में हमारा मन लगता है हम उसी में बेहतर कर सकता हैं। खेल के दौरान हम काफी सशक्त बनते है। अदिति के पिता भी टेनिस के खिलाड़ी रह चुके है इसलिए वह उन्हें भी टेनिस प्लेयर बनाना चाहते थे। मगर शुरू से ही अदिति की दिलचस्पी फुटबाल में थी। वह अक्सर अपने पड़ोसियों के साथ फुटबॉल खेला करती थी लेकिन दिल्ली अंडर-19 स्टेट टीम में सिलेक्शन होने के बाद उन्हें इस खेल से और भी प्यार हो गया। जब अदिति ने यह खेल शुरू किया तो उनके पिता का नजरिया भी इसके प्रति बदल गया।
अदिति कहती हैं, 'फुटबॉल खेलना शुरू करने से पहले, मुझे यह भी पता नहीं था कि भारत में एक राष्ट्रीय महिला फुटबॉल टीम है। मुझे नहीं पता था कि मैं इसमें करियर बनाऊंगी लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी।' अदिति अपनी अकैडमी को नया विस्तार देना चाहती हैं। उनकी ख्वाहिश है कि इस अकेडमी से अच्छे खिलाड़ी निकलें।