कड़ी मेहनत और लग्न के साथ किया सपनों को साकार, सब्जी बेचने वाले की बेटी बनी Civil Judge
punjabkesari.in Friday, May 06, 2022 - 12:33 PM (IST)
कठिन परिश्रम और दिल से काम करने वालों की कभी हार नहीं होती। जिनके अंदर कुछ कर दिखाने का जज्बा हो वो किसी भी परिक्षा से नहीं डरते। ऐसी ही कुछ बातों को सच साबित किया है मध्यप्रदेश के इंदौर में रहने वाली इस बेटी ने। एक छोटे से शहर में रहने वाली बेटी जिसका नाम अंकिता है उसने अपने सपनों को एक नई उड़ान देकर अपने परिवार वालों का सिर गर्व से ऊंचा किया है। अंकिता 29 वर्ष की हैं उन्होंने इस उम्र में न्यायाधीश यानि की सिविल जज वर्ग दो की पद्धति अपने नाम कर ली है। तो चलिए जानते हैं कि कैसे उन्होंने अपने सपनों की उड़ान को पूरा किया...
सब्जी बेचते थे पिता
अंकिता के पिता अशोक नागर इंदौर के मूसाखेड़ी इलाके में सब्जी बेचते हैं। संघर्ष और कड़ी मेहनते से मिली सफलता के बारे में बात करते हुए अंकिता ने बताया कि- उनके पिता सब्जी बेचकर परिवार का पालन पोषण करते थे। शाम को जब ज्यादा ग्राहकों की भीड़ होती है तो अंकिता खुद भी पिता का हाथ बटाने के लिए चली जाती थी। वह बताती हैं कि उनके पिता सुबह पांच बजे ही उठकर सब्जी लेने जाया करते थे। बारिश , धूप या फिर कितनी भी सर्दी क्यों न हो वो हमारे लिए बहुत ही मेहनत करते थे। उनकी मां भी पिता की मदद करने के लिए सब्जी के ठेले पर जाया करती थी। उनके मां-बाप चाहते थे कि मैं पढ़ लिखकर जिंदगी में तरक्की करुं।
3 प्रयासों के बाद भी नहीं मानी हार
अंकिता ने बताया कि- उन्होंने 3 बार न्यायाधीश की भर्ती के लिए परीक्षा के लिए पेपर भरा परंतु उनकी कोशिश नाकाम रही। परंतु उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को जीतने के लिए प्रयास करती रही। 4 बार में उन्होंने न्यायाधीश वर्ग-दो भर्ती की परिक्षा में सफलता हासिल की है।
बचपन से करना चाहती थी कानून की पढ़ाई
अंकिता बचपन से ही कानून की पढ़ाई करना चाहती थी। अंकिता ने LLM की स्नातकोतर शिक्षा हासिल की है। उन्होंने LLB की पढ़ाई के दौरान ही तय कर लिया था कि वह न्यानधीश बनना चाहती थी। न्यायाधीश भर्ती की परीक्षा की तैयारी के दौरान जब भी अंकिता को समय मिलता था। वह पिता का हाथ बंटाने चली जाती थी। वह बताती हैं कि - तीन बार असफल होने के बाद भी मैंने हिम्मत नहीं हारी और अपने लक्ष्य को हासिल करने की तैयारी में दिल जान से जुटी रही।
अंकिता की अदालत में मिलेगा सबको इंसाफ
उन्होंने बताया कि संघर्ष के दौरान उनके लिए नए-नए रास्ते खुलते रहे और वो उन पर चलती रही। वह कहती हैं कि न्यायाधीश के रुप में काम शुरु करने के बाद वो सिर्फ इस बात पर ध्यान केंद्रित करेंगी कि उनकी अदालत में आने वाले हर किसी व्यक्ति को इंसाफ मिले।