घरेलू इलाज के चक्कर में गई 8 महीने बच्चे की जान, Parents ये गलती कभी न करें

punjabkesari.in Friday, Oct 03, 2025 - 02:10 PM (IST)

नारी डेस्क:  चेन्नई से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। 8 महीने के मासूम की मौत एक घरेलू नुस्खा आज़माने की वजह से हो गई। माता-पिता ने बच्चे की सर्दी-जुकाम ठीक करने के लिए वेपरब और कपूर का मिश्रण उसकी छाती पर लगा दिया, जिससे सांस लेने में दिक़्क़त हुई और अंततः मासूम की जान नहीं बचाई जा सकी।

घरेलू नुस्खे बने जानलेवा

माता-पिता अक्सर बच्चों को खांसी-जुकाम में राहत देने के लिए पुराने घरेलू नुस्खे अपनाते हैं। कोई सरसों के तेल में लहसुन डालकर मालिश करता है तो कोई वेपरब और कपूर जैसे मिश्रण आजमाता है। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि हर घरेलू नुस्खा बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं होता। बिना डॉक्टर की सलाह के ऐसा कोई तरीका अपनाना बच्चे की जान तक ले सकता है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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कि 8 महीने के इस बच्चे को जब खांसी-जुकाम हुआ, तो उसके माता-पिता ने वेपरब और कपूर मिलाकर उसकी छाती पर लगाया। इसके कुछ देर बाद ही बच्चे को सांस लेने में कठिनाई शुरू हो गई। हालत बिगड़ने पर उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के बावजूद बच्चे को बचाया नहीं जा सका।

क्यों खतरनाक है वेपरब और कपूर का इस्तेमाल?

डॉक्टरों के अनुसार, बाजार में मिलने वाले वेपरब में कपूर (camphor), यूकेलिप्टस ऑयल (eucalyptus oil) और मेंथॉल (menthol) जैसे तत्व होते हैं। ये तत्व 2 साल से छोटे बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। कपूर अधिक मात्रा में लगाने से बच्चे की सांस की नली (airway) में इरिटेशन हो जाती है।  इसके कारण सांस लेने में दिक़्क़त और म्यूकस प्रोडक्शन बढ़ जाता है। कंजेशन और भी बढ़ने से बच्चे के दम घुटने (suffocation) की संभावना हो सकती है।

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एक्सपर्ट्स की चेतावनी

डॉक्टरों ने साफ कहा है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों पर वेपरब का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। पैकिंग पर भी यह चेतावनी साफ लिखी होती है। गंभीर मामलों में कपूर बच्चों के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित कर सकता है और उन्हें कन्वल्शन्स (दौरे) आ सकते हैं।

बच्चों पर कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह के घरेलू नुस्खे न अपनाएं। अगर बच्चे को खांसी-जुकाम है, तो तुरंत किसी पीडियाट्रिशन से सलाह लें। छोटे बच्चों के लिए स्टीम, गर्म कपड़े, साफ-सफाई और ह्यूमिडिटी कंट्रोल सुरक्षित विकल्प हो सकते हैं। पैकेजिंग पर लिखे निर्देश हमेशा पढ़ें और उन्हें गंभीरता से लें।  


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Content Editor

Priya Yadav

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