35 साल हो गई उम्र तो जरूर कराएं ये 4 स्क्रीनिंग टेस्ट, वक्त से पहले लग जाएगा कैंसर का पता
punjabkesari.in Friday, Oct 24, 2025 - 01:44 PM (IST)
नारी डेस्क : देखा जाएं तो हर साल लाखों लोगों की जान कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से चली जाती है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि अधिकतर मामलों में इसका पता तब चलता है जब बीमारी शरीर में काफी फैल चुकी होती है। जबकि अगर कैंसर की पहचान शुरुआती अवस्था में हो जाए, तो इसका इलाज न सिर्फ आसान होता है बल्कि व्यक्ति के पूरी तरह ठीक होने की संभावना भी कई गुना बढ़ जाती है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि 35 साल की उम्र के बाद हर पुरुष और महिला को कुछ ज़रूरी हेल्थ स्क्रीनिंग टेस्ट करवाते रहना चाहिए ताकि किसी भी बीमारी, खासकर कैंसर, का पता समय रहते लगाया जा सके। आइए जानते हैं ऐसे चार जरूरी स्क्रीनिंग टेस्ट के बारे में।

नियमित कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट
नियमित जांच यानी स्टैंडर्ड कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट को कैंसर की रोकथाम की रीढ़ माना जाता है। दुनिया भर के डॉक्टर इन जांचों को मान्यता देते हैं।
कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy) : 45 साल की उम्र के बाद हर व्यक्ति को यह जांच करानी चाहिए। यह बड़ी आंत (Colon) के कैंसर का शुरुआती पता लगाती है। कैंसर बनने से पहले की असामान्य ग्रोथ को भी पहचान लेती है। आमतौर पर इसे हर 10 साल बाद दोहराने की सलाह दी जाती है।
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मैमोग्राम (Mammogram) : 40 साल से ऊपर की महिलाओं के लिए यह टेस्ट जरूरी है। हर 1 से 2 साल में एक बार करवाना चाहिए। यह स्तन कैंसर का शुरुआती स्तर पर पता लगा सकता है।
पैप स्मीयर / एचपीवी टेस्ट (Pap smear / HPV test) : 21 साल से ऊपर की महिलाओं के लिए जरूरी जांच। इससे गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) के कैंसर का शुरुआती पता चलता है। हर 3 से 5 साल में एक बार करवाना चाहिए।
पीएसए टेस्ट (PSA Test): पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का शुरुआती संकेत देता है। खासतौर पर 45 साल से ऊपर के पुरुषों को करवाना चाहिए।

गैलेरी टेस्ट (Gallery Test) 50 से ज्यादा कैंसर की एक ही जांच
टेक्नोलॉजी ने अब कैंसर की पहचान को और आसान बना दिया है। गैलेरी टेस्ट (Galleri Test) एक आधुनिक ब्लड टेस्ट है जो एक ही सैंपल से 50 से ज्यादा प्रकार के कैंसर का शुरुआती पता लगा सकता है। यह खून में मौजूद डीएनए के असामान्य बदलावों को जांचता है। लक्षण न होने पर भी कैंसर की शुरुआती मौजूदगी का संकेत दे सकता है। परिवार में कैंसर का इतिहास होने पर यह टेस्ट साल में एक बार करवाना फायदेमंद है।
जेनेटिक टेस्ट (Genetic Tests)
कई बार कैंसर सिर्फ गलत लाइफस्टाइल से नहीं, बल्कि जेनेटिक कारणों से भी होता है। अगर परिवार में किसी को कम उम्र में कैंसर हुआ है, तो बाकी सदस्यों में भी इसका खतरा बढ़ जाता है। जेनेटिक टेस्टिंग में BRCA1, BRCA2, CHEK2 या Lynch Syndrome जैसे जीन म्यूटेशन की जांच की जाती है, जो व्यक्ति को कैंसर के प्रति संवेदनशील बनाते हैं। अगर जीन में बदलाव पाए जाते हैं, तो डॉक्टर पहले से निगरानी रख सकते हैं। समय पर स्कैनिंग और रोकथाम के उपाय शुरू किए जा सकते हैं।

पूरे शरीर का एमआरआई (Full Body MRI)
फुल बॉडी एमआरआई स्कैन एक आधुनिक जांच है जो बिना रेडिएशन के शरीर के अंदर की स्थिति दिखाती है। यह कई अंगों में छिपी हुई असामान्यताओं या ट्यूमर को पकड़ सकता है। जब लक्षण नहीं दिख रहे होते, तब भी यह शुरुआती स्तर की बीमारियों का पता लगा सकता है। गैलेरी टेस्ट या जेनेटिक टेस्ट के साथ इसे मिलाकर करवाने से सटीक परिणाम मिलते हैं।हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि हर छोटी असामान्यता चिंता का कारण नहीं होती, इसलिए एमआरआई की रिपोर्ट को हमेशा विशेषज्ञ की सलाह से समझना चाहिए।
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35 साल की उम्र के बाद शरीर में कई बदलाव आने लगते हैं। इसलिए, समय-समय पर ये चार टेस्ट करवाकर आप न सिर्फ कैंसर बल्कि कई गंभीर बीमारियों को शुरुआत में ही रोक सकते हैं। कैंसर से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। समय रहते जांच कराना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना।

