108 टुकड़ों से लेकर खुले में शव रखने तक, दुनिया के सबसे अजीब और चौंकाने वाले अंतिम संस्कार
punjabkesari.in Saturday, Sep 27, 2025 - 07:17 PM (IST)

नारी डेस्क : भारत में अधिकांश लोग शव को जलाने या दफनाने की परंपरा अपनाते हैं। लेकिन कुछ जनजातियों और धर्मों में अंतिम संस्कार की विधि बेहद अलग और चौंकाने वाली होती है। आइए जानते हैं कुछ अनोखी प्रथाओं के बारे में।
108 टुकड़ों में शव मोनपा जनजाति (अरुणाचल प्रदेश)
अरुणाचल प्रदेश की मोनपा जनजाति में मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार की एक अनोखी प्रथा है। यहां किसी की मौत होने पर शव को 108 टुकड़ों में काटकर मछलियों को दिया जाता है। जनजाति का विश्वास है कि इस तरह मृतक का शरीर मरने के बाद भी उपयोगी बना रहता है और जीवन का चक्र जारी रहता है।
संगीत और नृत्य के साथ अंतिम यात्रा (तमिलनाडु)
दक्षिण भारत के कुछ दलित समुदायों में अंतिम संस्कार की प्रथा बहुत ही जीवंत और रंगीन होती है। यहां मृतक की शव यात्रा को संगीत, नृत्य और आतिशबाजी के साथ निकाला जाता है, ताकि मृतक के सुखद और पूर्ण जीवन का जश्न मनाया जा सके और उसे सम्मानपूर्वक विदा किया जा सके।
टावर ऑफ साइलेंस (पारसी धर्म)
पारसी धर्म में अंतिम संस्कार की एक अनोखी परंपरा है। यहां मृतकों को जलाने या दफनाने की बजाय टावर ऑफ साइलेंस (दखमा) पर गिद्धों के लिए छोड़ दिया जाता है। इसे दोखमेनाशिनी कहा जाता है। इस प्रथा का उद्देश्य मृतक का शरीर प्रकृति के चक्र के अनुसार पुनः जीवन चक्र में शामिल करना माना जाता है।
रुदाली (राजस्थान)
कुछ समय पहले तक राजस्थान की ऊंची जाति की महिलाओं को सार्वजनिक रूप से शोक व्यक्त करने की अनुमति नहीं थी। इसी वजह से उनके स्थान पर रुदाली नामक पेशेवर महिलाएं बुलाई जाती थीं, जो उनके लिए रोती और शोक व्यक्त करती थीं, ताकि मरने वाले की याद और दुख का सम्मान बनाए रखा जा सके।
डांस के साथ अंतिम संस्कार (मलागासी, मेडागास्कर)
मेडागास्कर के मलागासी लोग अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए अनोखी प्रथा अपनाते हैं। वे पूर्वजों के शव को कब्र से निकालकर साफ कपड़े पहनाते हैं और डांस के साथ घुमाते हैं। इसके बाद शव को गांव में चक्कर लगवाने के बाद पुनः दफनाया जाता है। यह रिवाज अपने पूर्वजों की याद और सम्मान में किया जाता है।
वहनीय शिकार (तिब्बती बौद्ध परंपरा)
तिब्बत, किंघई और मंगोलिया में तिब्बती बौद्ध समुदाय की एक अनोखी अंतिम संस्कार प्रथा है। यहां मृतक के शव को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पहाड़ों पर छोड़ दिया जाता है, जहां जंगली जानवर और गिद्ध उसे खा लेते हैं। इसे “हिमालयी अंतिम संस्कार” या “स्काय ब्यूरीयल” कहा जाता है और यह मृत्यु के बाद जीवन के चक्र को बनाए रखने की परंपरा का हिस्सा है।
दुनिया भर में अंतिम संस्कार की प्रथाएं धर्म, संस्कृति और मान्यताओं पर आधारित होती हैं। कुछ विधियां हमें अजीब लग सकती हैं, लेकिन ये सभी परंपराएं मृतक को सम्मान देने और जीवन के चक्र को बनाए रखने के उद्देश्य से निभाई जाती हैं