अनसुने किस्से: इंग्लैंड से वकालत करने वाले Gandhi Ji कैसे बन गए अहिंसावादी?

punjabkesari.in Friday, Oct 01, 2021 - 04:14 PM (IST)

भारत देश को आजादी दिलाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को दुनिया भर में एक महान शख्सियत के तौर पर याद किया जाता है। अपने आदर्शों और अहिंसा के पक्के महात्मा गांधी को केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी विशेष मान-सम्मान दिया जाता है। गांधी जी के बारे में तो आप बहुत कुछ जानते होंगे लेकिन फिर भी कुछ बाते ऐसी हैं जो शायद ही किसी को पता हो। हम आपको 'राष्ट्रपिता महात्मा गांधी' की जिंदगी से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जो शायद ही आपको पता हो।

बचपन से शर्मीले थे गांधी जी

गांधी जी बचपन से ही बहुत शर्मीले थे। 10 साल के बाद गांधी जी ने कई स्कूल बदले। इसके अलावा वो कई बार स्कूल से भाग जाया करते थे। उनका जन्‍म गुजरात के पोरबंदर शहर में एक वैष्‍णव हिंदू परिवार में हुआ था लेकिन उनका बचपन वैश्‍य परिवार में गुजरा। बहुत कम लोग जानते होंगे कि उनकी माता पुतलीबाई एक हिंदू धार्मिक महिला थी, जबकि पिता करमचंद गांधी पेशे से दीवान थे। बता दें कि उन्हें 'महात्मा' की उपाधि रवींद्र नाथ टैगोर ने दी थी।

13 साल की उम्र में की कस्तूरबा जी से शादी

गांधी जी को किसी से प्यार हो गया था लेकिन खबर ज्यादा फेल जाने के कारण गांधी जी ने अपने पैर वापिस खींच लिए। यही कारण है कि 13 साल की उम्र में गांधी जी की शादी उनसे एक साल बड़ी कस्तूरबा गांधी के साथ हुई। वहीं शादी से संबंधित प्रथाओं को पूरा करने में उन्हें 1 एक साल लग गया, जिस दौरान वह स्कूल भी नहीं जा पाए थे।

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क्यों चुना अहिंसा का रास्ता?

गांधी जी ने दक्ष‍िण अफ्रीका प्रवास के दौरान 1899 के एंग्लो बोएर युद्ध में स्वास्थ्यकर्मी के तौर पर मदद की थी। वहीं, उन्होंने युद्ध की वि‍भिषिका देखी थी और अहिंसा के रास्ते पर चल पड़े थे।

गांधी जी के नाम पर बनी है कई सड़के

गांधी जी ने अपना पूरा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। देश के कई कोने ऐसे हैं, जहां से उनकी यादें जुड़ी हैं। बता दें कि गांधी जी के नाम से भारत में 53 मुख्य मार्ग हैं जबकि विदेशों में 48 सड़के हैं।

विदेशियों के लिए भी किया यह काम

गांधी जी को सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में काफी सम्मान दिया जाता है। इस बात का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि दुनिया के महान वैज्ञानिकों आइंस्टीन ने कहा था, 'कुछ सालों बाद लोग इस बात पर यकीन नहीं करेंगे कि महात्मा गांधी जैसे शख्स दुनिया में थे।' बता दें कि गांधी जी ने साउथ अफ्रीका के डर्बन, प्रिटोरिया और जोहांसबर्ग इलाके में 3 फुटबॉल क्लब स्थापित करने में मदद की थी।

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नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 5 बार हुए थे नोमिनेट

सुभाष चंद्र बोस से राष्ट्रपिता की उपाधी पाने वाले गांधी जी को 5 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। हालांकि उन्हें यह पुरस्कार कभी नहीं मिला। इतना ही नहीं, गांधी जी को सम्मान देने के लिए एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स गोल चश्मा पहनते थे।

रोज 10 कि.मी चलते थे पैदल

इंग्लैंड में वकालत की स्टडी के दौरान गांधी जी को रोजाना 8 से 10 कि.मी तक पैदल चलना पड़ता था। हर रोज 18 किलोमीटर पैदल चलते थे। इस लिहाज से गांधी जी पुरी दुनिया के दो चक्कर लगा सकते हैं।

मृत्यु के बाद निकाली गई थी सबसे लंबी यात्रा

गांधी जी के निधन के बाद उनकी शव यात्रा 8 कि.मी तक निकाली गई, जोकि अब तक की सबसे लंबी शव यात्रा रही। अपने पूरे जीवन में गांधी जी ने कभी कोई राजनीति पद नहीं लिया। इतना ही नहीं, जिस अंग्रेजी सरकार के खिलाफ गांधी जी ने आंदोलन किया उसी सरकार ने उनके सम्मान में स्टांप (डाक टिकट) जारी किया था।

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चलती गाड़ी से फेंक दिए थे जूते

एक बार चलती ट्रेन से गांधी जी का जूता नीचे गिर गया तो उन्हेंने दूसरा जूता भी गाड़ी से निचे फैंक दिया। जब लोगों ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि 'एक जूता मेरे और उसके किसी काम का नहीं अब कम से कम यह उसके काम तो आएगा'।

समय के पाबंद से गांधी जी

गांधी जी समय के इतने पाबंद थे अपनी मृत्यु से पहले भी वह इसी बात को लेकर परेशान थे कि वो सभा में 10 मिनट देरी से पहुंचे।

खुद लिखी है अपनी आत्मकथा

महात्मा गांधी समय के बहुत पाबंद थे। उनकी हत्या ये पहले वो इस बात को लेकर परेशान थे कि वो सभा में 10 मिनट की देरी से पहुंचे। क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपनी आत्मकथा खुद लिखी थी वो भी गुजराती में में।

इस म्यूजियम में रखी है उनकी चीजें

गांधी जी नकली दांत लगाते थे, जिसे वह अपने कपड़े में रखते थे। उनके कपड़ों सहित उनकी कई वस्तुएं आज भी मदुरई के म्यूजियम सुरक्षित हैं।

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Content Writer

Anjali Rajput

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