विघ्नहर्ता श्रीगणेश के 8 अवतार, जानिए बप्पा के वक्रतुंड और गजानन बनने की कथा
punjabkesari.in Tuesday, Aug 25, 2020 - 12:51 PM (IST)
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले विघ्नहर्ता श्रीगणेश का नाम लिया जाता है, ताकि उस काम में कोई अड़चन ना आए। अन्य देवताओं की तरह ही भगवान श्रीगणेश ने भी कई अवतार लिए, ताकि वह असुरी शक्तियों का नाश कर सके। चलिए आज हम आपको बताते हैं भगवान श्रीगणेश के 8 अवतार उनसे जुड़ी दिलचस्प कहानियां...
1. वक्रतुंड
पौराणिक कहानियों के अनुसार, राक्षस मत्सरासुर ने शिव की उपासना कर वरदान प्राप्त किया था इसलिए उसे किसी का भय नहीं था। उसने और उसके दोनों पुत्रों ने देवताओं को प्रताड़ित और लोगों पर अत्याचार करना शुरू किया। तभी मत्सरासुर का वध करने के लिए भगवान श्रीगणेश ने वक्रतुंड अवतार लिया। भगवान वक्रतुंड ने मत्सरासुर को पराजित कर उसके दोनों पुत्रों का वध कर धरती से पाप का नाश किया।
2. एकदंत
कथाओं के मुताबिक, महर्षि च्यवन ने तपोबल से मद की रचना की, जिसनें गुरु शुक्राचार्य से शिक्षा ली। हर विद्या में निपुण होने के बाद उसने देवताओं को प्रताडि़त करना शुरू किया। तब देवताओं ने बप्पा की आराधना की और भगवान गणेश एकदंत रूप में प्रकट हुए। उनकी चार भुजाएं, एक दांत, बड़ा पेट, हाथी के समान सिर, हाथ में पाश, परशु व एक खिला हुआ कमल था। उन्होंने देवताओं को अभय वरदान दिया, जिससे वह राक्षस मदासु पराजित कर पाएं।
3. महोदर
जब भगवान कार्तिकेय ने राक्षस तारकासुर का वध कर दिया तब दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने मोहासुर दैत्य को शिक्षित किया। उन्होंने मोहासुर को देवताओं से युद्ध करने के लिए कहा। तब गणपति ने महोदर अवतार लिया। मगर, जब भगवन मूषक पर सवार होकर नगर पहुंचे तो मोहासुर ने बिना युद्ध ही उन्हें अपना अराध्य बना लिया।
4. गजानन
धनराज कुबेर एक बार भगवान शिव और माता पार्वती के दर्शन करने हेतु कैलाश पर्वत पर गए। तब उनके किसी लोभ से लोभासुर दैत्य का जन्म हुआ, जिन्होंने शुक्राचार्य से शिक्षा लेकर भगवान शिव की उपासना की और वरदान लिया। इसके बाद उसने इंद्रोलोक पर कब्जा कर ली। तब सभी देवता भगवान गणेश की शरण में गए। इसपर भगवान गणेश ने लोभासुर को युद्ध के लिए ललकारा ने लेकिन उसने शुक्राचार्य के कहने पर अपनी पराजय स्वीकार ली।
5. विघ्नराज
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती एक बार अपनी सखियों के साथ बात कर रही थी। तब उनकी हंसी से मम नामक विशाल पुरुष की उत्पत्ति हुई। कुछ समय बाद वह वनों में तप करने लगा तब वह शम्बारासुर दानव से मिला और असुरी शक्तियां सीखी। मम ने भगवान गणेश की उपासन कर ब्रह्मांड का राज मांगा लेकिन कुछ समय बाद वह उत्याचार करने लगा। तब भगवान गणेश विघ्नराज में अवतरित हुए और मम का अंत किया।
6. लंबोदर
भगवान श्रीगणेश का लंबोदर रूप समुद्रमंथन से संबधित है। दरअसल, समुद्रमंथन से क्रोधासुर दैत्य की उत्पत्ति हुई थी, जिसने सूर्य की उपासन कर ब्रह्मांड विजय का वरदान मांगा। ऐसे में भयभीत देवता भगवान श्रीगणेश से मदद मांगने गए। तब लंबोदर ने दैत्य से युद्ध कर उसका अभिमान खत्म कर देवताओं को भयमुक्त किया।
7. विकट
मान्यता के अनुसार, दैत्य जलंधर का अंत करने के लिए भगवान विष्णु ने उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया था। तब कामासुर नामक एक दैत्य की उत्पत्ति हुआ थी, जिसने भगवान शिव की आराधना कर त्रिलोक विजय का वरदान लिया। इससे भयभीत देवताओं ने भगवान गणेश का ध्यान किया, जिससे वह विकट रूप में प्रकट हुए और दैत्य को पराजित किया।
8. धूम्रवर्ण
पुरानी कथाओं के मुताबिक, एक बार सूर्यदेव को भगवान ब्रह्मा ने कर्म राज्य सौंफ दिया लेकिन राजा बनते ही उनमें अभिमान आ गया। तब उनकी छींक से अहम नामक दैत्य अवतरित हुआ। उसने भगवान गणेश का ध्यान कर वरदान प्राप्त किए, जिसके बाद उसने अत्याचार करने शुरु कर दिए। तब गणपति ने वर्ण धुंए जैसा विकराल रुप में प्रकट हुए और दैत्य का अंत कर धर्म की स्थापना की।