डिहाइड्रेशन, चिड़चिड़ापन, कमजोरी ...शरीर और दिमाग के लिए बेहद खतरनाक है भीषण गर्मी
punjabkesari.in Friday, Aug 18, 2023 - 10:34 AM (IST)

गर्मी हर साल हजारों लोगों को चुपचाप निगल रही है और यह दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने मानव अस्तित्व का खतरे में डाल दिया है। एक अनुमान है कि ‘‘ब्रिटेन तीन दशकों में अत्यधिक गर्म हो सकता है'' जो निश्चित तौर पर 97 प्रतिशत मानवता के लिए चिंता का विषय है जो ब्रिटेन के मुकाबले अधिक गर्मी वाले स्थानों पर रहते हैं। गर्मी चुपचाप लोगों की जान ले रही है और यह अन्य किसी प्राकृतिक आपदा के मुकाबले अधिक संख्या में मौतों के लिए जिम्मेदार है।
हजारों लोगों की जान ले चुकी है गर्मी
हाल के दशकों में यूरोप में भीषण गर्मी ने हजारों लोगों की जान ली है। विकासशील देशों में मृतकों की संख्या की उचित तरीके से गिनती नहीं की गयी है और संभवत: मृतकों की संख्या कहीं अधिक है। लेकिन कुछ इससे भी बुरा होने वाला है और हमें इसके लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। अब पृथ्वी पर औसत सतह तापमान सर्वोच्च स्तर पर है। हाल में पड़ी भीषण गर्मी वैश्विक ताप वृद्धि के निशान छोड़ती है जो बाढ़ या सूखे जैसे जलवायु परिवर्तन के किसी भी असर से कहीं ज्यादा है।
गर्मी के कारण शरीर में होते हैं ये बदलाव
-गर्मियों के दिनों हमारे शरीर को ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है। डिहाइड्रेशन कई बार स्वास्थ्य से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
-बढ़ती गर्मी के कारण मांसपेशियों पर भी असर पड़ने लगता है, जिसमें मांसपेशियों में ऐंठन आने लग जाती हैं।
-गर्मियों के दिनों में शरीर में ज्यादा थकान व कमजोरी महसूस होती है।
-ज्यादा समय तक गर्मी के संपर्क में रहने से मानसिक समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें चिड़चिड़ापन और उलझन जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
- कई बार भीषण गर्मी का तनाव इस कदर बढ़ जाता है कि लोग काम करते समय या चलते-चलते बेहोश होकर गिर पड़ते हैं।
गर्मी सहने की होती है एक सीमा
हमारे शरीर की गर्मी सहने की एक सीमा है। 2010 में एक अनुसंधान से पता चलता है कि 35 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक के ‘वेट-बल्ब' तापमान से हमारे शरीर के निश्चित तापमान के कारण मनुष्यों के लिए चयापचयी ऊष्मा को खत्म करना असंभव हो जाता है। वेट-बल्ब तापमान वाष्पीकरण के जरिए ठंडा करने की क्षमता को मापता है। यदि सापेक्षिक आर्द्रता 100 प्रतिशत है तो यह सामान्य तापमान के बराबर हैं वरना यह कम है। 35 डिग्री सेल्सियस अधिकतम वेट-बल्ब तापमान है, ज्यादातर स्थानों पर पृथ्वी ने कभी 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक वेट बल्ब का अनुभव नहीं किया। गर्मी हमें अपनी जीवनशैली बदलने के लिए मजबूर करेगी।
गर्मी से किस तरह पा सकते हैं राहत
उदाहरण के लिए गर्मी के वक्त बाहर की गतिविधियां केवल रात में ही की जा सकेंगी या पूरी तरह खत्म हो जाएंगी। सिडनी विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता गर्मी चेतावनी प्रणाली विकसित कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि हमारे पास जल्द ही शरीर क्रिया विज्ञान पर भीषण गर्मी के असर की साफ तस्वीर होगी। हमें यह भी समझने की आवश्यकता है कि प्रकृति के साथ क्या होगा और हमें वन्यजीव की रक्षा करने के तरीके तलाशने होंगे। इन सबसे बढ़कर हमें जल्द से जल्द शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने की आवश्यकता है।
खाने-पीने का रखें खास ख्याल
-गर्मी में बहुत अधिक तेल और मसालेदार भोजन करने से बचें। हीट स्ट्रोक से बचने के लिए घर का बना फ्रेश खाना खाएं।
-गर्मी में रोजाना नींबू पानी जरूर पीना चाहिए, इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती है।
- गर्मी के मौसम में प्याज जरूर खाना चाहिए, यह शरीर को डिहाइड्रेशन और गर्मी में होने वाले संक्रमणों से बचाता है।
-गर्मियों में इस प्राकृतिक पेय ताजा नारियल के पानी को अपना बेस्ट फ्रेंड बना लीजिए। यह शरीर को इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।