History Of Tata Family: दुनिया के सबसे बड़े कारोबारी घराने के बारे में ये बातें नहीं जानते होंगे आप
punjabkesari.in Wednesday, Sep 14, 2022 - 07:03 PM (IST)
रतन टाटा को आज किसी पहचान की जरूरत नहीं है। वह सिर्फ सफल उद्योगपति ही नही बल्कि एक महान इंसान और परोपकारी व्यक्ति भी है। यही कारण है कि दुनिया उन्हें सम्मान की नजर से देखती है। उद्योग एवं व्यापार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के चलते उन्हें ‘पद्म भूषण’ और ‘पद्म विभूषण’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। परोपकारिता के क्षेत्र में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
टाटा परिवार ने किए कई महान कार्य
इस 82 वर्षीय उद्योगपति ने निश्चित रूप से हमें जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाए हैं जो हमें बेहतर इंसान बनने में मदद कर सकते हैं। इसीलिए भारत में कोई ऐसा इंसान नहीं है जो उनसे प्रेरित ना हो। सिर्फ रतन टाटा ही नहीं उनके पूर्वजों ने भी देश के विकास में अहम योगदान दिया है। जरूरतमंद छात्रों की मदद करने से लेकर भारत की पहली ओलंपिक भागीदारी तक, राष्ट्र निर्माण में रतन टाटा के परिवार के सदस्यों के अविश्वसनीय योगदान पर डालते हैं एक नजर।
जमशेदजी टाटा ने रखी ताज होटल की नींव
सबसे पहले बात करते हैं Tata Group के संस्थापक जमशेदजी टाटा जी की जो Tata Steel, Taj Hotel और IISC Bangalore जैसे ऑर्गनाइजेशन की स्थापना करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने जीवन में चार कार्यो को पूर्ण करने का लक्ष्य रखा था, जिसमें मुंबई में पांच सितारा होटल बनाना भी शामिल था। मुंबई के ताज होटल की नींव वर्ष 1898 में जमशेद जी टाटा के द्वारा रखी गई थी। ताज होटल पूरी मुंबई में पहली ऐसी इमारती थी, जिसमे बिजली की सुविधा थी।
दुनिया के सबसे बड़े परोपकारी रहे हैं जमशेदजी टाटा
जमशेदजी टाटा ने देश को अपनी क्रांतिकारी विचारधारा देने के साथ ही समग्र समाज कल्याण में भी योगदान दिया। टाटा ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उदारता से दान दिया। जमशेदजी भारत को गरीबी से बाहर निकलना चाहते थे। उन्होंने 1892 में जेएन टाटा एंडोमेंट की स्थापना की, जो शिक्षा के क्षेत्र में टाटा का पहला कदम था। जमशेदजी टाटा एक सदी में 102 अरब अमेरिकी डॉलर (मौजूदा मूल्य के हिसाब से करीब 7.57 लाख करोड़ रुपये) दान देकर दुनिया के सबसे बड़े परोपकारी रहे हैं।
सर दोराबजी टाटा ने भी किए कई महान कार्य
जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा को न केवल अपने पिता का व्यवसाय विरासत में मिला, बल्कि उनकी निस्वार्थता भी विरासत में मिली। 27 मई, 1909 को, सर दोराबजी टाटा ने ही भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर की स्थापना की थी। इसके अलावा उन्होंने युवाओं को खेल से जोड़ने के लिए कई स्कूलों और कॉलेजों में एथलेटिक्स एसोसिएशन और एथलेटिक्स स्पोर्ट्स मीट के आयोजनों को प्रोत्साहन दिया और उसके गठन में अहम भूमिका निभाई।
सर दोराबजी टाटा ने ओलंपिक में भारत को दिलाई पहचान
सर दोराबजी टाटा की कोशिशों के कारण ही साल 1920 में भारत के छह खिलाड़ियों की टीम 1920 के एंटवर्प ओलंपिक में हिस्सा लेने पहुंची थी। ओलंपिक में हिस्सा लेने वाला भारत पहला एशियाई औपनिवेशिक देश था। तभी हर साल 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस पर भारतीय ओलंपिक संघ के संस्थापक अध्यक्ष और टाटा स्कोन ग्रुप के सर दोराबजी टाटा को याद किया जाता है।
सर दोराबजी ने दान कर दी थी अपनी सारी संपत्ति
जमशेदजी टाटा के इस बड़े बेटे ने टाटा स्टील और टाटा पावर की स्थापना कर अपने पिता के सपने को हकीकत में बदल कर दिखाया। उन्होंने सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट भी बनाया। इस ट्रस्ट में उन्होंने अपनी सारी संपत्ति दान कर दी थी जो उस समय तीन करोड़ रुपये से अधिक थी। अपने पिता की तरह ही सर दोराबजी टाटा का भी मानना था कि उनकी संपत्ति का उपयोग रचनात्मक कार्यों में हो।
JRD Tata ने की थी देश में पहले एयरलाइंस की स्थापना
भारत में सिविल एविएशन की नींव रखने का श्रेय जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (JRD Tata) को जाता है। जेआरडी टाटा ने ही देश में पहले एयरलाइंस की स्थापना की थी। वह पहले व्यक्ति थे जिन्हें कर्मिशयल पायलट का लाइसेंस मिला था. यही नहीं जेआरडी टाटा भारत के एकमात्र उद्योगपति रहे जिन्हें भारत रत्न का सम्मान दिया गया। 24 साल की उम्र में उन्हें कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिल गया. साल 1930 में उन्होंने आगा खान कम्पटीशन में भाग लेने के लिए भारत से इंग्लैंड के बीच अकेले उड़ान भरी थी
एयर इंडिया को मिली दुनियाभर में पहचान
1932 में JRD Tata ने अपनी एयरलाइंस की स्थापना कर दी। टाटा एयरलाइंस ने पहली उड़ान कराची से मुंबई के लिए भरी थी। लेकिन जेआरडी टाटा का सफर एयरलाइंस इंडस्ट्री में यहीं खत्म नहीं होता है। साल 1953 में उन्हें एयर इंडिया का चेयरमैन बनाया गया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने एयर इंडिया को बुलंदियों पर पहुंचाया, दुनियाभर में एयर इंडिया की पहचान बनी।
लोगों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं रतन टाटा
वहीं रतन टाटा की बात करें तो एक अच्छा इंसान और अच्छे दिल के मामले में उनसे ज़्यादा धनी कोई नहीं है। देश के अन्य अमीर लोग तो सिर्फ इफरात पैसा बनाने में लगे हुए हैं लेकिन रतन टाटा ने अपना पूरा जीवन गरीबों को सुविधा देने और राष्ट्रनिर्माण में समर्पित किया है। टाटा समूह अपने Tata Trust और Dividends के माध्यम से अपनी कमाई का 66% हिस्सा परोपकार में खर्च करता है। रतन टाटा को मालूम है कि एक दिन सभी को मर जाना है और चाहे कोई कितना भी पैसा कमा ले एक दिन सबकुछ छोड़कर जाना है।
टाटा ग्रुप ने कई महान उपाधियां की हासिल
टाटा ग्रुप कई मुफ्त में इलाज देने वाले हॉस्पिटल, मुफ्त शिक्षा के लिए स्कूल, फ्री में खाना, और हर मजबूर इंसान को अच्छी जिंदगी देने के लिए दान करता है।लोग रतन टाटा को भगवान की तरह पूजते हैं उनसे प्यार करते हैं। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई महान उपाधियां हासिल की है।