महिलाओं के मुकाबले ज्यादा दुखी हैं पुरुष, जिंदगी जीने की बजाय मौत को लगा रहे गले

punjabkesari.in Tuesday, Sep 10, 2024 - 11:56 AM (IST)

नारी डेस्क:  परिवार की बुनियाद और काम के क्षेत्र में पुरुष को हमेशा अव्वल समझा जाता है, लेकिन असल में वह महिलाओं के मुकाबले बेहद कमजोर है।वह जिंदगी की चुनौतियों का सामना करने की बजाय मौत को गले लगा लेते हैं। आंकड़े के अनुसार औसतन एक लाख पुरुषों में से 12 पुरुष आत्महत्या करते हैं तो वहीं सालाना एक लाख में से 5 महिलाएं आत्महत्या करती हैं, इसके कई सामाजिक, मानसिक और आर्थिक कारण हैं। आत्महत्या एक गंभीर समस्या है, और इसे रोकने के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना, सामाजिक मान्यताओं को बदलना, और उचित समर्थन प्रदान करना बहुत जरूरी है। आइए इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं:
 

पुरुषों में आत्महत्या के मामलों के बढ़ने के कारण

सामाजिक दबाव

समाज में अक्सर पुरुषों पर परिवार के आर्थिक, सामाजिक और भावनात्मक ज़िम्मेदारियों का अधिक दबाव होता है। उन्हें पारंपरिक रूप से "कमाने वाला" और "समस्याओं का समाधान करने वाला" माना जाता है। यह अपेक्षाएं उन्हें मानसिक तनाव में डाल देती हैं, क्योंकि वे अपनी समस्याओं को खुलकर व्यक्त नहीं कर पाते।
   
भावनात्मक अभिव्यक्ति में कठिनाई

पुरुषों से समाज में यह अपेक्षा की जाती है कि वे "मजबूत" बने रहें और भावनात्मक रूप से कमजोर न दिखें। इससे वे अपनी भावनाओं को दबाने लगते हैं और मानसिक समस्याओं को साझा करने में हिचकिचाते हैं। परिणामस्वरूप, मानसिक बीमारियों जैसे डिप्रेशन और चिंता का समय पर इलाज नहीं हो पाता।

मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की कमी

कई बार पुरुष मानसिक स्वास्थ्य के लिए सहायता लेने से कतराते हैं, क्योंकि समाज में इसे कमजोरी के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी या उनके प्रति जागरूकता की कमी भी इस समस्या को बढ़ा देती है।

आर्थिक तनाव

बेरोजगारी, आर्थिक समस्याएं, और करियर में असफलता पुरुषों पर गहरा असर डालती है। आर्थिक रूप से कमजोर होने का डर, करियर की अनिश्चितता और बढ़ती जिम्मेदारियों का दबाव आत्महत्या के मामलों में योगदान कर सकता है।

आत्मसम्मान की कमी

जब पुरुष अपने जीवन में व्यक्तिगत या पेशेवर विफलताएं झेलते हैं, तो उन्हें आत्मसम्मान में गिरावट महसूस होती है। यह विफलता मानसिक तनाव और आत्महत्या के विचारों को जन्म दे सकती है।

नशे की लत

कई पुरुष शराब, धूम्रपान, या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को और अधिक खराब कर देता है। नशे की लत अक्सर आत्महत्या के विचारों को प्रेरित करती है।

रिश्तों में समस्याएं

वैवाहिक समस्याएं, तलाक, या रिश्तों में टूटन भी पुरुषों में आत्महत्या के विचारों का कारण हो सकता है। पुरुष अक्सर इन रिश्तों की समस्याओं से जुड़े मानसिक और भावनात्मक तनाव का सामना अकेले करते हैं, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।
 

सोच में बदलाव कैसे लाया जा सकता है

भावनात्मक समर्थन और संवाद को बढ़ावा देना

यह जरूरी है कि पुरुषों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। समाज को यह समझना चाहिए कि भावनाओं को साझा करना कमजोरी नहीं, बल्कि मानसिक मजबूती का प्रतीक है। परिवार, दोस्तों और सहयोगियों को पुरुषों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर बात करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।


मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना

मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलानी होगी। पुरुषों को भी थेरेपी, काउंसलिंग, या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। कार्यालयों और संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को बढ़ाना भी महत्वपूर्ण है।

समाज में लिंग आधारित अपेक्षाओं को तोड़ना

 समाज में यह धारणा बदलनी होगी कि पुरुषों को हमेशा "मजबूत" बने रहना चाहिए। उन्हें भी अपनी कमजोरियों और भावनाओं को स्वीकार करने का अधिकार है। लिंग-आधारित रूढ़ियों को खत्म करना और पुरुषों को बिना किसी दबाव के अपने जीवन को जीने की स्वतंत्रता देनी चाहिए।

सकारात्मक जीवन दृष्टिकोण विकसित करना

जीवन में असफलताओं और चुनौतियों को सकारात्मक रूप से देखने की आदत डालनी चाहिए। पुरुषों को सिखाया जाना चाहिए कि हर असफलता से सीखना महत्वपूर्ण है और इससे आत्मसम्मान पर कोई आंच नहीं आती। योग, ध्यान, और अन्य आत्म-सुधार तकनीकों को अपनाने से मानसिक शांति और आत्म-संवर्धन प्राप्त हो सकता है।

खेल और शारीरिक गतिविधियां


 मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाए रखने के लिए पुरुषों को खेल और शारीरिक गतिविधियों में संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। यह मानसिक तनाव को कम करने और आत्महत्या के विचारों से निपटने में सहायक हो सकता है।

आर्थिक शिक्षा और करियर समर्थन

आर्थिक तनाव को कम करने के लिए वित्तीय शिक्षा और करियर परामर्श आवश्यक है। यह पुरुषों को करियर में बेहतर निर्णय लेने और आर्थिक समस्याओं से निपटने में मदद करेगा।


सुसाइड के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए समाज को पुरुषों के प्रति अपनी सोच और अपेक्षाओं में बदलाव लाना होगा। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी और भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता को समझना होगा। समाज को एक ऐसा वातावरण बनाना होगा जहाँ पुरुषों को अपनी भावनाओं को साझा करने और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने का अवसर मिले।


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Content Writer

vasudha

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