5 साल से छोटे बच्चे क्यों है Air Pollution से असुरक्षित? जानें Parents
punjabkesari.in Friday, Nov 24, 2023 - 02:37 PM (IST)
इन दिनों दिल्ली में वायु प्रदूषण का कहर बढ़ता ही जा रहा है। दिन प्रतिदिन एकुआई का स्तर बढ़ता जा रहा है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों की सांस दिल्ली-एनसीआर में मुश्किल हो गई है। चारों तरफ धुंध की तरह फैली हुई जहरीली हवा बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा बन गई है। एम्स की स्टडी की मानें तो वायु प्रदूषण गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए बहुत ही खतरनाक है। ज्यादा प्रदूषित इलाकों में रह रही माओं से पैदा होने वाले नवजात शिशु के फेफड़े सिकुड़ने का भी खतरा है। एयर पॉल्यूशन का डर सबसे ज्यादा छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर बना हुआ है क्योंकि छोटे बच्चे बहुत ही संवेदनशील होते हैं और जहरीली हवा की चपेट में जल्दी आते हैं। खासकर 0-5 साल के बच्चों के वायु प्रदूषण अपनी चपेट में ले रहा है और उन्हें इसका खतरा औरों के मुकाबले अधिक है।
छोटे बच्चों के लिए क्यों है एयर पॉल्यूशन असुरक्षित?
वैसे तो दिल्ली एनसीआर में एयर पॉल्यूशन सभी को इफेक्ट कर रहा है। इसके कारण सभी लोगों को गले में खराश, जुकाम और सांस लेने में तकलीफ जैसी कई सारी समस्याएं हो रही हैं लेकिन एयर पॉल्यूशन बच्चों की जान के लिए ज्यादा खतरनाक बना हुआ है। छोटे-छोटे बच्चे वायु प्रदूषण की चपेट में सबसे ज्यादा आ रहे हैं और उन्हें अस्थमा से लेकर फेफड़ों के संक्रमण तक की कई सारी बीमारियां घेर रही हैं। इसका सबसे खतरनाक प्रभाव छोटे बच्चों में देखा जा रहा है इसका कारण है कि छोटे बच्चे एयर पॉल्यूशन के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं और जल्दी इसकी चपेट में आते हैं। वायु प्रदूषण छोटे बच्चों के श्वसन प्रणाली को जल्दी अपनी चपेट में लेता है और इसके कारण उनका इम्यून सिस्टम कमजोर बनता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी जताई चिंता
विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी कहना है कि वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा छोटे बच्चों को अपनी चपेट में लेता है। डॉक्टर्स की मानें तो व्यस्कों की तुलना में छोटे बच्चे ज्यादा तेजी से सांस लेते हैं जिसके कारण उनके शरीर के अंदर प्रदूषण के कण तेजी से और ज्यादा मात्रा में चले जाते हैं। यही कारण है कि एयर पॉल्यूशन छोटे बच्चों को बहुत जल्दी अपनी चपेट में लेता है और उनमें सांस से लेकर फेफड़ों के संक्रमण तक कई सारी बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। उनका कहना है कि दिल्ली एनसीआर के वायु प्रदूषण से यदि बचाव करना है तो यदि बच्चों का बचाव करना है तो उन्हें बाहर न निकलने दें और उन्हें हेल्दी डाइट खिलाएं। कम वजन के बच्चों पर ज्यादा ध्यान दें क्योंकि उनको वायु प्रदूषण का खतरा ज्यादा होता है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है कि वायु प्रदूषण बच्चों के दिमाग को कमजोर कर रहा है। दिल्ली एनसीआर की जहरीली हवा में 2.5 नैनोपार्टिकल हैं जो छोटे बच्चों के फेफड़ों तक पहुंचकर उनको बीमार बना रहे हैं। यह जहरीले कण बच्चों के फेफड़ों की गहराई तक पहुंच रहे हैं और उनको नुकसान पहुंचा रहे हैं।
कैसे रखें पेरेंट्स बच्चों का ध्यान?
. पेरेंट्स अपने बच्चों को बाहर न निकलने दें।
. यदि बच्चे थोड़ी देर के लिए घूम भी रहे हैं तो उन्हें मास्क जरुर लगवाएं।
. घरों में एयर प्यूरीफॉयर लगाएं ताकि छोटे बच्चों का स्वास्थ्य ठीक रह सके।
. अपने घर के इंडोर प्रदूषण को कम करें और घर में सिगरेट न पिएं।
. घरों में मोमबत्तियां न जलाएं और सीमित मात्रा में ही धूप जलाएं।
. घरों की खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें और घरों के आस-पास पानी का छिड़काव करवा लें।