मिलिए टाटा की पहली महिला इंजीनियर से, एक विज्ञापन ने दिया था जिंदगी को यू-टर्न
punjabkesari.in Thursday, Nov 18, 2021 - 10:31 AM (IST)
देश में ऐसे लाखों अरबपति, अमीर लोग हैं जो गरीबों की मदद के लिए अपना हाथ देते रहते हैं लेकिन क्या आपने कभी किसी अरबपति को सब्जी बेचते हुए देखा है। दरअसल, इन दिनों सोशल मीडिया पर सब्जी बेचते हुए एक महिला की तस्वीर खूब वायरल हो रही है। यह महिला कोई ओर नहीं बल्कि इन्फोसिस फाउंडेशन (Infosys Foundation) की अध्यक्षा सुधा मूर्ति है, जो अरबों की मालकिन है।
वायरल हुई फोटो का क्या है राज
सोशल मीडिया पर सुधा की एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है। हालांकि उनकी यह तस्वीर 2006 की है। दरअसल, सुधा जी हर साल बेंगलूरू के नजदीक स्थिति राघवेंद्र स्वामी मंदिर 3 दिन कार सेवा करती हैं। साथ ही इस दौरान व मंदिर के भोजनालय और कमरों को सफाई भी करती हैं। भोजन के लिए सब्जियां कटवाने के साथ वह मंदिर में करीब 4 घंटे तक सेवा करती हैं। उनका कहना हैं कि पैसा देना आसान है लेकिन, शारीरिक सेवा करना मुश्किल। ऐसी सेवा की सीख उन्हें सिखों के कारसेवा से मिली है। वह दिल्ली के गुरूद्वारे में हर साल 3 दिन स्टोर मैनेजर यानि श्रद्धालुओं के जूते-चप्पल का ध्यान रखने का काम करती हैं।
कौन हैं सुधा मूर्ती?
70 साल की सुधा मूर्ति एन नायरण की पत्नी है, जिन्होंने IT सेक्टर की इंफोसिस कंपनी की संस्थापक की। साथ ही वह इंफोसिस (Infosys) की चेयरपर्सन भी है। 19 अगस्त 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिगांव में जन्मीं सुधा तो पढ़ाई के लिए परिवार को काफी मनाना पड़ा। उनके माता-पिता सुधा को इंजीनियरिंग करवाने के खिलाफ थे लेकिन उनकी जिद्द के उन्हें झुकना पड़ा।
1974 बैच की पहली महिला इंजीनियर
1974, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट बेच में वह अकेली लड़की थी और गर्ल्स हॉस्टल में रहती थी। पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री लेने के बाद उन्हें अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप मिली। तब उन्होंने भारत में जॉब करने के बारे में सोचा भी नहीं था। मगर, एक दिन उन्होंने कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर फेमस कंपनी टाटा मोटर्स में जॉब का एड देखा लेकिन उसके नीचे ये भी लिखा था, 'महिला उम्मीदवार कंपनी में अप्लाई न करें'। फिर क्या उन्होंने महिलाओं के साथ होने वाले इस भेदभाव को दूर करने का फैसला कर लिया।
टाटा कंपनी में काम पाने वाली पहली महिला
इसके बाद उन्होंने टाटा के चैयरपर्सन को चिट्ठी लिखी और उन्हें कहा कि इतनी बड़ी कंपनी में भी लैंगिक असमानता है। 10 दिन बाद उन्हें टाटा कंपनी से इंटरव्यू का लैटर आया। साथ ही लैटर में ये भी लिखा था कि कंपनी उनके आने-जाने का खर्च भी उठाएगी। लंबे इंटरव्यू के बाद वह टाटा कंपनी में जॉब पाने वाली पहली महिला इंजीनियर बन गई और महिलाओं के लिए मिसाल बनीं।
इंफोसिस कंपनी में अहम रोल
आज इंफोसिस कंपनी जिस मुकाम पर है उसमें सुधा का अहम रोल है। दरअसल, टाटा कंपनी में काम करते हुए सुधा ने 10,000 रुपए जोड़े और नारायणमूर्ति को दिए। इससे उन्होंने इंफोसिस कंपनी शुरूआत की, जिसका टर्नओवर आज अरबों में है।
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मामित
उन्होंने कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में अपना करियर शुरू किया था। एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ सुधा मूर्ति एक भारतीय इंजीनियरिंग शिक्षक, कन्नड़, मराठी और अंग्रेजी लेखिका भी हैं। लिखने की शौकिन सुधा अब तक 92 किताबें भी लिख चुकी हैं, जिनका अनुवाद 15 भाषाओं में हो चुका है। इसके साथ ही वह एक फेमस समाज सेविका भी है। यही नहीं, समाजसेवा के लिए उन्होंने साल 2006 में पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मामित किया जा चुका है।
16,000 पब्लिक टॉयलेट का करवाया निर्माण
सुधा बच्चों के लिए लाइब्रेरी चाहती है और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ मिलकर 70,000 लाइब्रेरी बनवाई। यही नहीं, वह बाढ़ पीड़ितों के लिए 2,300 मकान और 16,000 पब्लिक टॉयलेट का निर्माण भी करवा चुकी हैं।
अरबों की मालकिन होने के बावजूद भी सुधा अपनी जिंदगी हमेशा से ही साधारण तरीके से जीती आई हैं। इतनी प्राप्टी होने के बाद भी उनके माथे पर अंहकार की एक शिकंज तक नहीं दिखाई देती।