जब बाजार में बिजली की कीमतें हुई Zero, जानिए इससे किसको हुआ फायदा और किसको नुकसान?
punjabkesari.in Tuesday, Jun 03, 2025 - 12:36 PM (IST)

नारी डेस्क: मई महीने में भारत में कुछ ऐसा हुआ जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। मई में ठंडा मौसम होने के चलते बिजली की मांग में भारी कमी देखी गई। एक वक्त ऐसा आया जब पावर एक्सचेंज पर बिजली की कीमतें लगभग शून्य हो गईं। कुछ समय के लिए बिजली की कीमत ₹0 प्रति यूनिट तक पहुंच गई। देश भर के विद्युत एक्सचेंज में बिजली की कीमतें में महीने में 1 वर्ष पहले की तुलना में 25% कम हो गई। आइए समझते हैं ऐसा क्यों हुआ।
क्या है पूरा मामला
मई 2025 में अचानक कुछ समय के लिए बिजली की कीमत भारत की स्पॉट पावर मार्केट (IEX जैसे प्लेटफॉर्म) पर लगभग शून्य हो गई। इसका मतलब ये हुआ कि बिजली बेचने वालों को कोई ग्राहक नहीं मिल रहा था, और कुछ को बिजली मुफ्त में बेचनी पड़ी। दरअसल मई महीने में आमतौर पर गर्मी बहुत तेज होती है, लेकिन इस बार कई जगहों पर अचानक मौसम ठंडा हो गया। AC, कूलर, फैन जैसे उपकरणों की खपत घट गई, जिससे बिजली की मांग कम हो गई।
बिजली की भरपूर आपूर्ति (Oversupply)
सौर ऊर्जा (Solar Power)और कोयला आधारित प्लांट्सपहले से ही बहुत बिजली पैदा कर रहे थे। लेकिन जब डिमांड कम हो गई, तब भी उत्पादन चालू रहा और इस कारण ज्यादा बिजली बाजार में आ गई। जब बाजार में बिजली की आपूर्ति ज्यादा और मांग कम होती है, तो कीमतें गिर जाती हैं। कुछ समय के लिए कीमतें ₹0/unit या उसके आसपास पहुंच गईं।

इसका असर क्या हुआ?
बिजली कंपनियों को घाटा हुआ, क्योंकि उन्होंने बिना मुनाफे या मुफ्त में बिजली बेची। उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिल सकती है अगर यह ट्रेंड कुछ समय और चला। इससे पावर मैनेजमेंट सिस्टम की कमजोरियां भी सामने आईं, जरूरत से ज़्यादा बिजली उत्पादन भविष्य में नुकसान दे सकता है। इससे एक बात साफ हो गई कि देश में अब इतनी ऊर्जा उत्पादन क्षमता है कि मांग से ज़्यादा बिजली पैदा हो रही है। नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) जैसे सोलर और विंड का योगदान बढ़ रहा है।
क्या है चुनौती
अगर बिजली की मांग और आपूर्ति का सही संतुलन नहीं बनाया गया, तो उद्योगों को घाटा होगा। स्टोरेज सिस्टम और लचीला पावर ग्रिड अब बेहद जरूरी हो गए हैं।