सावधान! इस बीमारी से बच्चों की हो रही है मौत, टीकाकरण में लापरवाही पड़ सकती है भारी
punjabkesari.in Saturday, Oct 11, 2025 - 03:56 PM (IST)
नारी डेस्क: Whooping Cough in Children: छोटे बच्चों के लिए यह बीमारी बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। नई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि अगर गर्भवती महिलाएं समय पर टीका (वैक्सीन) लगवा लें, तो बच्चे को इस जानलेवा संक्रमण से बचाया जा सकता है। “काली खांसी नवजातों के लिए घातक हो सकती है, इसलिए गर्भावस्था में टीकाकरण बेहद जरूरी है।”
क्या है काली खांसी (Whooping Cough)?
काली खांसी एक सांस से जुड़ी संक्रामक बीमारी है, जो बोर्डेटेला पर्टुसिस (Bordetella pertussis) नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। इसमें मरीज को तेज और लगातार खांसी आती है, और खांसी के बाद सांस लेते समय ‘हूप’ जैसी आवाज सुनाई देती है इसी वजह से इसे Whooping Cough कहा जाता है। यह खांसी कई हफ्तों या महीनों तक बनी रह सकती है, जिससे बच्चे बेहद कमजोर हो जाते हैं।

बच्चों के लिए क्यों है यह बीमारी खतरनाक
“छोटे बच्चों में इस बीमारी के लक्षण बड़ों की तरह नहीं होते। उन्हें हूप वाली खांसी नहीं आती, बल्कि सांस रुकने (Apnea) जैसी समस्या होती है।” इसका मतलब है कि बच्चे अचानक सांस लेना बंद कर सकते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकता है। कई बार डॉक्टर इसे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी समझ लेते हैं, क्योंकि इस दौरान बच्चे के शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या असामान्य रूप से बढ़ जाती है। इसलिए सही निदान और समय पर इलाज बहुत जरूरी है।
गर्भवती महिलाओं को टीका क्यों लगवाना जरूरी है
शोध के मुताबिक, जब गर्भवती महिलाएं खांसी-रोधी वैक्सीन (Tdap) लगवाती हैं, तो उनके शरीर में बनने वाली एंटीबॉडीज बच्चे तक पहुंच जाती हैं। यह बच्चे को जन्म से पहले ही संक्रमण से सुरक्षा देती हैं। इससे नवजात को जीवन के शुरुआती महीनों में काली खांसी जैसी जानलेवा बीमारी से बचाव मिलता है।
कब लगवाना चाहिए टीका
CDC (रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र, अमेरिका) के अनुसार गर्भवती महिलाओं को यह टीका 27 से 36 हफ्तों के बीच लगवाना चाहिए। बच्चों को यह वैक्सीन 2, 4, 6, 15-18 महीने और फिर 4-6 साल की उम्र में दी जाती है। 11-12 साल की उम्र में बूस्टर डोज लेना जरूरी है। यदि किसी बच्चे ने यह टीका नहीं लिया, तो 18 साल तक इसे लगवाया जा सकता है।
अगर काली खांसी हो जाए तो क्या करें
तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और एंटीबायोटिक दवा शुरू करें। शुरुआती इलाज से लक्षणों की तीव्रता कम होती है और संक्रमण दूसरों तक फैलने से रोका जा सकता है। देर से इलाज शुरू करने पर लक्षणों पर असर नहीं होता लेकिन यह दूसरों को संक्रमित होने से जरूर बचाता है।

काली खांसी कोई सामान्य खांसी नहीं है
यह शिशुओं के लिए जानलेवा संक्रमण बन सकती है। इससे बचाव का सबसे असरदार तरीका है गर्भावस्था में टीकाकरण। हर गर्भवती महिला को डॉक्टर से सलाह लेकर समय पर टीका लगवाना चाहिए, ताकि बच्चा जन्म से पहले ही इस बीमारी से सुरक्षित रह सके।

