पैदा होते ही बच्चों पर अटैक कर रही है Diabetes ! पेरेंट्स को अलर्ट रहने की जरूरत

punjabkesari.in Thursday, Oct 09, 2025 - 11:07 AM (IST)

नारी डेस्क: वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने छह महीने से कम उम्र के शिशुओं में मधुमेह के एक नए प्रकार की खोज की है। कुछ शिशुओं में छह महीने की उम्र से पहले ही मधुमेह विकसित हो जाता है। 85 प्रतिशत से अधिक मामलों में, यह उनके डीएनए में आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण होता है। उन्नत डीएनए अनुक्रमण तकनीकों और स्टेम सेल अनुसंधान के एक नए मॉडल का उपयोग करते हुए, यूके के एक्सेटर विश्वविद्यालय और ब्रुसेल्स विश्वविद्यालय (यूएलबी) की टीम ने टीएमईएम167ए जीन में उत्परिवर्तन की पहचान की - जो नवजात मधुमेह के एक दुर्लभ रूप के लिए जिम्मेदार है।


नया शोध क्या कहता है?

अब तक माना जाता था कि जब डायबिटीज़ छह महीने से पहले होती है, तो वह नेओनैटल डायबिटीज़ (neonatal diabetes) होती है, यानी एक जन्मजात आनुवंशिक कारण  कुछ जीनों में उत्परिवर्तन (mutation) की वजह से इंसुलिन बनाने वाली β-कोशिकाएं ठीक से काम नहीं कर पातीं।लेकिन इस नए अध्ययन में उन बच्चों को देखा गया है जो छह महीने से पहले डायबिटीज़ से ग्रस्त थे, लेकिन उनके जीनों में उन 26 ज्ञात आणविक/जन्मजात जीनों (genes) में कोई pathogenic mutation नहीं मिला।  ऐसे बच्चे जिनके पास “टाइप-1 डायबिटीज़ जीन जोखिम स्कोर” (T1D-Genetic Risk Score) बहुत अधिक था, उनमें डायबिटीज़ की विशेषताएं देखी गईं जैसे कि इंसुलिन बनाने की क्षमता (C-peptide) बड़ी तेजी से घटती है, और ऑटोएंटीबॉडीज़ (immune attack के संकेत) पाए गए। 


क्या नया “प्रकार” है यह?

इस शोध ने सुझाव दिया है कि बेहद कम उम्र (तीनों-से-छः महीने से पहले) में टाइप-1 डायबिटीज़ हो सकती है, जो पारंपरिक नेओनैटल डायबिटीज़ से अलग है, क्योंकि इसमें ऑटोइम्यूनिटी और बहु-जीन (polygenic) जोखिम शामिल है न कि सिर्फ एक जीन विकार।  यदि समझा जाए कि यह टाइप-1 है, तो इंसुलिन थैरेपी, ऑटोएंटीबॉडी परीक्षण आदि जल्दी शुरू किए जा सकते हैं। नेओनैटल डायबिटीज़ और टाइप-1 डायबिटीज़ के इलाज में फर्क होता है। नेओनैटल जीनथैरेपी या विशेष दवाएं होती हैं, जबकि टाइप-1 के लिए इंसुलिन जैविक ऑटोइम्यून मैनेजमेंट ज़रूरी है। 
इस खोज से यह भी संकेत मिलता है कि कुछ बच्चों में गर्भावस्था (in-utero) के दौरान ही इंसुलिन बनाने की क्षमता में कमी हो सकती है, जो जन्म और तुरंत बाद के विकास को प्रभावित कर सकती है। 


 क्या करें अगर आपके बच्चे को डायबिटीज़ हो?

यदि किसी बच्चे को छह महीने से पहले मधुमेह का निदान किया गया है, तो नेओनैटल डायबिटीज़ के लिए ज्ञात आनुवंशिक परीक्षण (genetic testing) अनिवार्य है। इसके अलावा, ऑटोएंटीबॉडी परीक्षण कराना, इंसुलिन उत्पादन की जांच (C-peptide) करना, और बच्चे के जन्म-वजन व विकास पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। यदि ऑटोएंटीबॉडीज पॉज़िटिव हों और इंसुलिन उत्पादन तेजी से कम हो रहा हो, तो यह संकेत है कि इलाज टाइप-1 डायबिटीज़ की तरह करना चाहिए। यह नया शोध बताता है कि छह महीने से छोटे शिशुओं में टाइप-1 (autoimmune) डायबिटीज़ भी विकास कर सकती है, सिर्फ़ आनुवंशिक कारण नहीं। सही पहचान और समय पर इलाज से बहुत अंतर पड़ता है


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Content Writer

vasudha

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