पकड़ा गया 22 मासूमों का कातिल,  बच्चे को कफ सिरप देने से पहले 100 बार सोचे पेरेंट्स

punjabkesari.in Thursday, Oct 09, 2025 - 01:02 PM (IST)

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में ज़हरीली कोल्ड्रिफ कफ सिरप त्रासदी में पांच वर्षीय मयंक सूर्यवंशी की मौत के बाद मृतकों की संख्या 22 हो गई है। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि मयंक की मौत तमिलनाडु स्थित श्रीसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित कफ सिरप कोल्ड्रिफ के सेवन से जुड़ी है। इस सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) पाया गया है, जो एक ज़हरीला औद्योगिक विलायक है जो विशेष रूप से बच्चों में किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है और मृत्यु का कारण बन सकता है।

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 श्रीसन फार्मा का मालिक गिरफ्तार

इस त्रासदी के बाद बड़े पैमाने पर जांच और जन आक्रोश शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश पुलिस ने मौतों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है और श्रीसन फार्मा के मालिक रंगनाथन गोविंदराजन को चेन्नई से गिरफ्तार किया है। बढ़ती मौतों के मद्देनजर, मध्य प्रदेश सरकार ने दो औषधि निरीक्षकों और खाद्य एवं औषधि प्रशासन के एक उप निदेशक को निलंबित कर दिया है। राज्य के औषधि नियंत्रक का भी तबादला कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि कोल्ड्रिफ सिरप सामान्य सर्दी-खांसी से पीड़ित बच्चों को दिया जाता था। हालांकि, प्रयोगशाला परीक्षणों में डीईजी और पैरासिटामोल, क्लोरफेनिरामाइन और फिनाइलेफ्राइन सहित अन्य प्रतिबंधित रासायनिक संयोजनों का खतरनाक रूप से उच्च स्तर पाया गया, जिन पर चेतावनी लेबल नहीं हैं और जो गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं।


लापरवाही ने ली बच्चों की जान

2023 में चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए ऐसे फ़ॉर्मूलेशन पर प्रतिबंध लगाने संबंधी केंद्रीय निर्देश जारी होने के बावजूद, प्रवर्तन में ढिलाई बरती गई है। कई दवा कंपनियां उत्पाद लेबलिंग को अद्यतन करने में विफल रहीं और राज्य के अधिकारियों ने पर्याप्त जन जागरूकता अभियान शुरू नहीं किए। नागपुर के अस्पतालों में अभी भी कई बच्चों का इलाज चल रहा है, जिनमें से पांच की हालत गंभीर है, इसलिए मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है। छिंदवाड़ा त्रासदी ने भारत के दवा क्षेत्र में दवा सुरक्षा, नियामक निगरानी और जवाबदेही को लेकर चिंताओं को फिर से जगा दिया है।

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 डाइएथिलीन ग्लाइकोल क्या है?

यह एक रासायनिक सॉल्वेंट (chemical solvent) है। इसका उपयोग एंटीफ्रीज़ (antifreeze), प्लास्टिक, पेंट, और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में किया जाता है। सामान्य परिस्थितियों में इसका दवाओं से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन कभी-कभी खराब क्वालिटी के सिरप या सस्ती दवा बनाने वाले इसका इस्तेमाल ग्लिसरीन या प्रोपाइलीन ग्लाइकोल (जो सुरक्षित होते हैं) के सस्ते विकल्प के रूप में कर लेते हैं - यही सबसे खतरनाक गलती होती है। जब डाइएथिलीन ग्लाइकोल शरीर में चला जाता है, तो यह किडनी, लिवर और नर्वस सिस्टम (मस्तिष्क) पर सीधा असर डालता है।


यह खतरनाक क्यों है?

बहुत कम मात्रा (1–2 मिली) भी बच्चों के लिए जानलेवा हो सकती है। यह मीठा स्वाद होने के कारण सिरप में मिल जाए तो पहचानना मुश्किल होता है। कई बार सिरप के सैंपल टेस्ट में पता चलता है कि उसमें Diethylene Glycol या Ethylene Glycol मिला हुआ था — ऐसे कई अंतरराष्ट्रीय मामले सामने आ चुके हैं जहां बच्चों की जान चली गई। ऐसे में हमेशा विश्वसनीय ब्रांड का सिरप या दवा खरीदें। सस्ता या अनब्रांडेड सिरप बच्चों को न दें। लेबल पर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी और एक्सपायरी डेट ध्यान से देखें। अगर किसी दवा से उल्टी, कमजोरी या सांस की दिक्कत हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।


माता-पिता को क्या करना चाहिए?

अगर बच्चे को खांसी या सर्दी है तो  घर में ही भाप (steam inhalation)दें। हल्का गुनगुना पानी या शहद (1 साल से ऊपर के बच्चों के लिए) दें।डॉक्टर से सलाह लिए बिना कोई कफ सिरप कभी न दें। 4 साल से कम उम्र के बच्चों को Phenylephrine वाली दवा न दें। बोतल के लेबल पर “Phenylephrine”, “PE” या “Decongestant” लिखा हो तो उसे बच्चों से दूर रखें। बच्चों के लिए हमेशा  बाल रोग विशेषज्ञ (Pediatrician)** की सलाह पर ही दवा दें।


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Content Writer

vasudha

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