क्या डायपर पहनाने से खराब हो जाती है बच्चों की किडनी? जानें इस वायरल दावे की सच्चाई
punjabkesari.in Wednesday, Dec 03, 2025 - 12:32 PM (IST)
नारी डेस्क: हाल ही में सोशल मीडिया पर एक दावा तेजी से वायरल हुआ कि छोटे बच्चों को डायपर पहनाने से उनकी किडनी पर बुरा असर पड़ता है और लंबे समय तक डायपर के उपयोग से किडनी खराब हो सकती है। यह दावा सुनकर नए माता-पिता के बीच काफी घबराहट फैल गई। लेकिन मेडिकल विशेषज्ञों ने इस वायरल दावे को पूरी तरह गलत बताया है। आइए समझते हैं कि इस दावे में कितनी सच्चाई है और असल में डायपर का बच्चों की किडनी से क्या संबंध है।
क्या सच में डायपर से बच्चे की किडनी खराब होती है?
सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे दावों के अनुसार, डायपर पहनाने से बच्चे की किडनी पर दबाव पड़ता है और धीरे-धीरे किडनी डैमेज हो सकती है। लेकिन डॉक्टरों की राय इससे बिल्कुल उलट है। विशेषज्ञों का कहना है कि किडनी शरीर के काफी अंदर, पसलियों के नीचे और मोटी मांसपेशियों के पीछे सुरक्षित होती है, जबकि डायपर सिर्फ बाहरी त्वचा के संपर्क में आता है। इसलिए डायपर का किडनी तक पहुंचना या उसे किसी तरह का नुकसान पहुंचाना शारीरिक रूप से संभव ही नहीं है। यह दावा पूरी तरह झूठ, भ्रमित करने वाला और बेबुनियाद है। तो फिर किडनी कैसे खराब होती है? सच जानना जरूरी है

डायपर रैश — त्वचा की समस्या, किडनी की नहीं
जब बच्चा लंबे समय तक गीला डायपर पहनता है, तो उसकी नाजुक त्वचा लाल हो सकती है, जलन हो सकती है या रैश हो सकते हैं। इसे डायपर रैश कहा जाता है। यह सिर्फ स्किन से जुड़ी समस्या है और इसका किडनी पर कोई असर नहीं होता।
रैश सिर्फ गीलापन, हवा न लगना या बार-बार डायपर न बदलने की वजह से होते हैं।

UTI यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन — इसके कई कारण होते हैं
कुछ माता-पिता यह भी मान लेते हैं कि डायपर UTI की वजह है, जबकि ऐसा हमेशा नहीं होता। UTI तब होता है जब पेशाब के रास्ते में बैक्टीरिया पहुंच जाते हैं। यह त्वचा की सफाई, गलत वाइपिंग पद्धति, कम पानी पीना या संक्रमण की वजह से हो सकता है। डायपर खुद UTI का कारण नहीं, लेकिन गीले डायपर को लंबे समय तक पहनाए रखना संक्रमण का खतरा बढ़ा सकता है। यह फिर भी किडनी खराब करना जैसी बड़ी समस्या का कारण नहीं बनता जब तक संक्रमण बहुत गंभीर और अनदेखा न किया जाए।
डायपर से बच्चे को नुकसान न हो—सही तरीके अपनाना जरूरी
हर 3–4 घंटे में डायपर बदलें
अगर बच्चा बड़ा है तो 3–4 घंटे के अंतराल पर डायपर बदलना सही है। नवजात शिशुओं के लिए 2 घंटे में बदलना बेहतर होता है, क्योंकि उनकी त्वचा बहुत संवेदनशील होती है।
रात और दिन के लिए अलग विकल्प
रात में सुपर-एब्जॉर्बेंट डायपर इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि बच्चा आराम से सो सके। दिन में कपड़े की नैपी बेहतर होती है, जिससे त्वचा को हवा मिलती रहती है और रैश का खतरा कम होता है।

त्वचा को पूरी तरह सूखने दें
हर बार डायपर लगाने से पहले बच्चे की त्वचा को हवा लगने दें और अच्छी तरह सुखाएं। गीली त्वचा संक्रमण और रैश की सबसे बड़ी वजह है।
डायपर रैश क्रीम या नारियल तेल का उपयोग
यह त्वचा पर एक सुरक्षात्मक लेयर बनाता है, जिससे नमी और घर्षण से बचाव होता है। नारियल तेल खास तौर पर सुरक्षित और प्राकृतिक विकल्प है।
डायपर किडनी खराब नहीं करता — डर सिर्फ अफवाह है
डॉक्टर्स और विशेषज्ञों की स्पष्ट राय है कि डायपर पहनाने से बच्चों की किडनी को कोई नुकसान नहीं होता। किडनी शरीर के अंदर सुरक्षित रहती है और डायपर का उससे कोई सीधा या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं। जो भी समस्याएँ होती हैं, वे सिर्फ त्वचा से जुड़ी होती हैं, जिन्हें सही डायपरिंग हैबिट्स से आसानी से रोका जा सकता है।

