रोज देते हैं तुलसी को जल तो इस मंत्र का करें उच्चारण, बढ़ जाएगी सुख-समृद्धि
punjabkesari.in Thursday, Jul 14, 2022 - 12:08 PM (IST)
हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। तुलसी को मां लक्ष्मी का ही रुप माना जाता है। नियमित तौर पर तुलसी को जल देने से बहुत ही फायदे होते हैं। परंतु तुलसी को जल देते समय कुछ नियमों का खास ध्यान रखना चाहिए। यह पौधा आपके घर में पॉजिटिव एनर्जी लाता है। तुलसी का हरा-भरा पौधा सुख और समृद्धि का प्रतीक होता है। वास्तु शास्त्र में तुलसी की पूजा को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि तुलसी की पूजा करने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों का आर्शीवाद मिलता है। तो चलिए जानते हैं तुलसी से जुड़े कुछ नियमों के बारे में...
स्नान के बाद करें जल अर्पित
शास्त्रों के अनुसार, तुलसी को स्नान के बाद ही जल अर्पित करना चाहिए। बिना स्नान तुलसी को हाथ लगाना पाप माना जाता है।
जल देने से पहले कुछ न खाएं
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, तुलसी को खाली पेट ही जल देना चाहिए। जल अर्पित करने से पहले कुछ भी न खाएं।
ऐसे करें जल अर्पित
तुलसी में जल अर्पित करते समय बिना सिलाई का एक कपड़ा जरुर धारण करें। इसे पहन कर ही तुलसी को जल अर्पित करें।
रविवार और एकादशी को भी न दें जल
मान्यताओं के अनुसार, तुलसी में रविवार के दिन कभी भी जल अर्पित नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस दिन मां तुलसी विश्राम करती हैं। इसके अलावा एकादशी के दिन भी तुलसी में जल नहीं डालना चाहिए, क्योंकि इस दिन तुलसी माता भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
सूर्योदय के समय डालें जल
तुलसी में ज्यादा जल भी नहीं डालना चाहिए। इसके अलावा सूर्योदय के समय तुलसी में जल देना बहुत ही शुभ माना जाता है।
इस दिशा में लगाएं तुलसी का पौधा
वास्तु के अनुसार, तुलसी का पौधा हमेशा पूर्व दिशा में ही लगाना चाहिए। इसके अलावा यह पौधा आप उत्तर-पूर्व दिशा में भी लगा सकते हैं। इस दिशा में तुलसी का पौधा लगाने से घर में पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है। यह पौधा हरा-भरा होकर शुभ फल देता है। परंतु भूलकर भी यह पौधा दक्षिण दिशा में न रखें।
इस मंत्र का करें जाप
तुलसी में जल देते समय यदि इस मंत्र का जाप किया जाए तो समृद्धि और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इसके अलावा मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को रोग, शोक, बीमारी-व्याधि जैसी समस्याओं से भी छुटकारा मिल सकता है।
महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।