सिर्फ सुहागिनें ही नहीं कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं हरतालिका तीज का व्रत, बस जान लें नियम

punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2024 - 05:50 PM (IST)

नारी डेस्क: हरतालिका तीज का व्रत सुहागन महिलाओं और कुंवारी लड़कियों दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। इस साल हरतालिका तीज का व्रत 6 सिंतबर को रखा जाएगा।इस दिन व्रत करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और अविवाहित लड़कियों के लिए अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। व्रत के दौरान कुछ खास वास्तु नियमों और परंपराओं का पालन करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और शुभ फल मिलता है। साथ ही, कुछ गलतियों से बचना भी आवश्यक होता है। 


हरतालिका तीज व्र‍त की तिथि

पंचांग में बताया गया है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 5 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से होगी और वहीं इस तिथि का समापन 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 21 मिनट पर होगा। इस बार सुबह 6 बजकर 2 मिनट से पूजा के शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो रही है। 6 बजकर 2 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक आप शिव-पार्वती की पूजा करेंगे तो उत्तम फल की प्राप्ति होगी.
 

पूजा स्थल की सही दिशा

हरतालिका तीज की पूजा उत्तर-पूर्व (ईशान) दिशा में करनी चाहिए, क्योंकि यह दिशा भगवान शिव का स्थान मानी जाती है। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र होती है और यहां पूजा करने से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। पूजा स्थल और घर को अच्छी तरह से साफ-सुथरा रखें। स्वच्छता से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो पूजा को प्रभावी बनाता है। 
 

पूजन सामग्री का सही स्थान

पूजा की सामग्री जैसे दीपक, धूप, फूल, और प्रसाद को उचित दिशा में रखना चाहिए। दीपक को आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में जलाना शुभ होता है।   व्रत के दौरान सुगंधित धूप, अगरबत्ती, और घी का दीपक जलाना आवश्यक है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा और शांति का माहौल बनता है। यह भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है।
 

धातु का उपयोग

पूजा के समय चांदी या तांबे के बर्तन का उपयोग करना शुभ माना जाता है। यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और शुभ फल देता है।  हरतालिका तीज के दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है। महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहनती हैं और इस रंग का प्रयोग पूजा की सजावट में भी किया जाता है, क्योंकि यह माता पार्वती का प्रिय रंग है और समृद्धि का प्रतीक है।
 

किन गलतियों से बचना चाहिए

- इस व्रत को निर्जला रखा जाता है, यानी दिनभर पानी का सेवन नहीं किया जाता है। इसलिए व्रत के नियमों का पालन करते हुए जल ग्रहण करने से बचना चाहिए।

- इस दिन विशेष रूप से किसी से झगड़ा, क्रोध या नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए। शांत मन से पूजा और व्रत करने से ही इसका पूर्ण फल मिलता है।

 - व्रत के दिन घर में किसी प्रकार की तोड़फोड़ या शोरगुल से बचें। इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है और पूजा का प्रभाव कम हो सकता है।

हरतालिका तीज का व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, इसलिए वास्तु नियमों और सही पूजा विधियों का पालन करने से व्रत का फल और अधिक शुभ हो सकता है।
 


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Content Writer

vasudha

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