शतरंज से जुड़े ऐसे चौंकाने वाले फैक्ट्स, जो शायद ही किसी ने आपको बताए हों!

punjabkesari.in Tuesday, Aug 05, 2025 - 10:57 AM (IST)

नारी डेस्क: शतरंज सिर्फ एक खेल नहीं, एक दिमागी जंग है। इसे खेलने वाले कहते हैं कि एक बार इसकी चालें समझ में आ जाएं, तो ज़िंदगी की चालें भी आसान लगने लगती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस खेल से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य भी हैं, जो वाकई चौंका सकते हैं? चलिए, आज जानते हैं शतरंज की दुनिया के कुछ अनसुने और मज़ेदार राज।

 शतरंज के पहले मुकाबले में घड़ी नहीं होती थी

आज के हर टूर्नामेंट में टाइमर ज़रूरी होता है, लेकिन पुराने ज़माने में समय का कोई बंधन नहीं था। खिलाड़ी घंटों तक एक ही चाल पर सोचते रहते थे। 19वीं सदी में जब एक मैच 11 घंटे चला, तब जाकर 'Chess Clock' यानी टाइम कंट्रोल की शुरुआत हुई।

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शतरंज की पहली 'बुज़ुर्गी' चाल भारत से शुरू हुई थी

कई लोगों को ये जानकर हैरानी होती है कि शतरंज की उत्पत्ति भारत में हुई थी, जहाँ इसे "चतुरंग" कहा जाता था। तब घोड़ा, हाथी, राजा और सैनिक मिलकर लड़ते थे एकदम किसी प्राचीन युद्ध की तरह। जी हां! अब सोचिए, आप बैठे हैं और एक गेम 6-7 घंटे तक चल रहा है... और फिर भी ड्रॉ हो जाए! ऐसा ही हुआ 1989 में निकोलिक और अरसाविक के बीच, जो इतिहास का सबसे लंबा गेम बना। सुनने में अजीब लगता है, लेकिन ये सच है। एक अनुमान के अनुसार, शतरंज में 10^120 तक संभावित चालें हो सकती हैं  और ये संख्या ब्रह्मांड में मौजूद परमाणुओं से भी ज़्यादा मानी जाती है!

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शतरंज में 'क्वीन' पहले इतनी ताकतवर नहीं थी

 पहले के समय में क्वीन यानी वज़ीर सिर्फ एक घर तिरछी चल सकती थी। लेकिन मध्यकालीन यूरोप में महिलाओं के अधिकार बढ़ने लगे और उसी समय शतरंज की क्वीन भी सबसे ताकतवर मोहरा बन गई। इस गेम को "Fool's Mate" कहा जाता है। अगर कोई खिलाड़ी गलत ओपनिंग करता है और सामने वाला चालाक हो, तो दो चालों में ही 'Checkmate' किया जा सकता है। सोचिए, खेलने से पहले ही हार जाएं!

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शतरंज खेलते हुए कैलोरीज़ भी बर्न होती हैं

आपको शायद यकीन न हो, लेकिन प्रोफेशनल लेवल पर शतरंज खिलाड़ी एक मैच में 6000 कैलोरी तक जला सकते हैं। तनाव, सोच, फोकस – ये सब दिमाग की एनर्जी लेता है और शरीर उसे फिजिकल एक्टिविटी जैसा मानता है। चूंकि यह एक अंतरराष्ट्रीय खेल है, तो शतरंज में भी खिलाड़ी का मानसिक स्तर बहुत मायने रखता है। इसलिए उन्हें भी कभी-कभी डोप टेस्ट देना पड़ता है, ताकि यह तय हो सके कि उन्होंने कोई मानसिक स्टिमुलेंट तो नहीं लिया।

कंप्यूटर से हारी थी इंसानी बुद्धि  लेकिन कहानी में ट्विस्ट है

1997 में IBM का सुपर कंप्यूटर 'Deep Blue' ने वर्ल्ड चैंपियन गैरी कास्पारोव को हरा दिया था। लेकिन बाद में गैरी ने दावा किया कि कंप्यूटर को इंसानों ने मैच के दौरान मदद दी थी। यानी टेक्नोलॉजी vs इंसान की लड़ाई इतनी आसान भी नहीं थी! मध्ययुगीन यूरोप में चर्च ने शतरंज पर बैन लगा दिया था क्योंकि इसे युद्ध से जोड़कर देखा जाता था। लेकिन धीरे-धीरे जब इसे 'बुद्धिमान व्यक्ति का खेल' कहा जाने लगा, तब इसका सम्मान लौट आया।

शतरंज एक ऐसा खेल है जो आपको सोचने की कला सिखाता है। जीतने से ज्यादा इसमें जरूरी होता है  धैर्य, रणनीति और समझदारी। अब अगली बार जब आप शतरंज खेलें, तो इन फैक्ट्स को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें  कौन जाने, आपकी अगली चाल ही ज़िंदगी बदल दे!  


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Content Editor

Priya Yadav

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