कहीं आपको भी तो नहीं Pregnancy में थायराइड, जान लें लक्षण और इलाज
punjabkesari.in Thursday, Sep 09, 2021 - 01:13 PM (IST)
महिलाओं में थायरॉयड की समस्या आम होती जा रही है। हर पांच में से तीन महिलाएं थायरॉयड से पीड़ित हैं। कई महिलाएं गर्भावस्था के दौरान थायरॉयड से ग्रसित हो जाती हैं। समस्या गंभीर होने पर मां और बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि प्रैग्नेंसी के दौरान थायरॉयड का इलाज न होने पर भ्रूण के मस्तिष्क का विकास प्रभावित हो सकता है। इसलिए प्रैग्नेंट वुमन को गर्भावस्था के दौरान थायरॉयड के इन लक्षणों के बारे में जानना जरूरी है।
क्या होता है थायरॉयड?
थायरॉयड एक ग्रंथी है, जो गले में पाई जाती है। ये दिखने में तितली के आकार की होती है। इसका काम थायरॉयड हार्मोन्स बनाना है। ये हार्मोन्स शरीर में होने वाली विभिन्न गतिविधियों को नियंत्रित करता है। समस्या तब उत्पन्न होती है जब थायरॉयड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा या जरूरत से कम हार्मोन बनाने लगती है।
गर्भावस्था में थायरॉयड
प्रैग्नेंसी के दौरान कई महिलाओं को थायरॉयड की समस्या हो जाती है। दरअसल इस अवस्था में थायरॉयड ग्रंथि द्वारा बनने वाले हार्मोन्स में कई बदलाव आते हैं। ये बदलाव गर्भावस्था के लक्षणों की तरह ही होते हैं जिन्हें ज्यादातर महिलाएं समझ नहीं पातीं। थायरॉयड से पीड़ित महिलाओं को गर्भधारण करने में भी दिक्कत आती है। अध्ययनों के मुताबिक जिन महिलाओं में इस दौरान कम थायरॉयड हार्मोन बनते हैं, उनके बच्चों का आईक्यू स्तर कमजोर हो सकता है।
लक्षण
•धड़कन तेज होना
•थकान और गर्मी ज्यादा लगना
•हाथ कांपना और पसीना आना
•बालों का झड़ना
•घबराहट और नींद आने में परेशानी
•वजन कम या ज्यादा होना
•मतली और गंभीर उल्टी आना
•आंखों और चेहरे पर सूजन
मां और बच्चे पर प्रभाव
गर्भावस्था के दौरान समय रहते थायरॉयड का इलाज नहीं किया गया तो ये मां और शिशु दोनों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इसकी वजह से गर्भपात, समय से पहले बच्चे का जन्म, बच्चे के वजन में कमी और मां में हाई बल्ड प्रैशर जैसी समस्या हो सकती है।
उपचार
एसजीएल चैरीटेबल अस्पताल की ऑब्सटैट्रिशियन एंड गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. नीलू खन्ना बताती हैं कि प्रैग्नेंसी के दौरान थायरॉयड से बचने के लिए महिलाओं को हर महीने इसकी जांच करवानी चाहिए। गर्भपात से बचने के लिए भी यह जरूरी है।आयोडिन थायरॉयड को कंट्रोल करता है, जितना हो सके आयोडीन का सेवन करें। हरी साग सब्जियों और फल खाएं। डॉक्टर की सलाह पर व्यायाम करें। रोजाना तीन से चार लीटर पानी पीएं और डाइट में विटामिन ए को शामिल करें। ज्यादा अच्छा होगा यदि समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लेती रहें।
—डॉ. नीलू खन्ना