इस देश में चलती है भगवान राम की तस्वीर वाली करेंसी, 90 % लोग नहीं जानते इसके बारे में
punjabkesari.in Friday, Feb 07, 2025 - 07:52 PM (IST)
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क्या आपने कभी बॉर्डरलेस हिंदू कंट्री' के बारे में सुना है? ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस (Global Country of World Peace - GCWP)एक काल्पनिक देश है जिसकी स्थापना 7 अक्टूबर 2000 को महर्षि महेश योगी ने की थी। उनका लक्ष्य सीमाओं या मतभेदों की परवाह किए बिना दुनिया भर से शांतिपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण व्यक्तियों को एक साथ लाना है। टोनी नादर, एक न्यूरोलॉजिस्ट, वर्तमान में देश का नेतृत्व कर रहे हैं। इसे "बॉर्डरलेस हिंदू कंट्री"यानी एक ऐसा देश जो भौगोलिक सीमाओं से परे है के रूप में जाना जाता है।
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ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस क्या है?
यह संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा मान्यता प्राप्त कोई वास्तविक देश नहीं है। इसे आध्यात्मिक और वैदिक सिद्धांतों पर आधारित एक आदर्श समाज बनाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य शांति, ध्यान (मेडिटेशन) और वैदिक ज्ञान को फैलाना है। इसके खुद के कानून, मुद्रा (राहा - Raam currency), झंडा और राष्ट्राध्यक्ष भी हैं।
इस "बॉर्डरलेस हिंदू कंट्री" की प्रमुख विशेषताएं
इसका कोई भौगोलिक क्षेत्र या सीमा नहीं है। दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले लोग इस विचारधारा से जुड़ सकते हैं। इस देश का पहला नेता था टॉनी नादर (Tony Nader), जिन्हें "महर्षि आधिराज राजा राम" की उपाधि दी गई थी। इस देश की अपनी मुद्रा है जिसे "राहा" (Raam Currency) कहा जाता है। इसे नीदरलैंड और कुछ अन्य देशों में वैकल्पिक मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया गया।
राष्ट्रगान और झंडा
इसका झंडा वैदिक प्रतीकों से सुसज्जित है। राष्ट्रगान वैदिक मंत्रों पर आधारित है।अमेरिका, नीदरलैंड और स्विट्जरलैंड में इसके प्रमुख केंद्र हैं। भारत में भी इसके अनुयायी मौजूद हैं, खासकर महर्षि महेश योगी के अनुयायियों में।
इस देश का उद्देश्य
इस देश का उद्देश्य ध्यान (मेडिटेशन) और योग के माध्यम से मानवता में शांति लाना है। साथ ही वैदिक शिक्षा और प्राकृतिक जीवनशैली को बढ़ावा देना है। यह एक वैचारिक और आध्यात्मिक राष्ट्र है, जिसका उद्देश्य विश्व शांति को बढ़ावा देना है। इसे संयुक्त राष्ट्र या किसी भी अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा आधिकारिक देश के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है।क्यों होती है
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ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस की आलोचना
कुछ लोग इसे सिर्फ एक काल्पनिक विचार मानते हैं।आर्थिक और राजनीतिक रूप से यह कोई मान्यता प्राप्त देश नहीं है।इसकी मुद्रा (राहा) को बहुत कम जगह स्वीकार किया गया। इसके पीछे एक आध्यात्मिक और व्यावसायिक मॉडल होने की बात कही जाती है। यह किसी मानचित्र पर मौजूद नहीं है, लेकिन इसके अनुयायी दुनिया भर में फैले हुए हैं और महर्षि महेश योगी के ध्यान और योग के विचारों को आगे बढ़ा रहे हैं।