ये हैं वो औरतें, जो पूरी दुनिया के लिए तैयार करती हैं Indian Flag

punjabkesari.in Sunday, Aug 15, 2021 - 09:56 AM (IST)

आज यानि 15 अगस्त को 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है। तिरंगा झंडा भारत का गर्व है और हर साल स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस के मौके पर इसे सम्मानपूर्वक देश के हर संस्थानों पर फहराया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि तिरंगा झंड़ा तैयार कौन करता है? तिरंगा झंडा बनाने के लिए कर्नाटक में ही एकमात्र कंपनी है, जिसमें सिर्फ औरतें ही काम करती हैं और उनके द्वारा बनाए गए तिरंगों का पूरी दुनिया में सम्मान होता है।

कर्नाटका की महिलाएं बनाती हैं तिरंगा झंड़ा

कर्नाटका की तुलसीगरी देश की एकमात्र तिरंगा बनाने वाली कंपनी है, जिसमें औरतें मिलकर तिरंगा झंड़ा तैयार करती हैं। इस कंपनी में 400 के लगभग कर्मचारी काम करते हैं, जिसमें औरतों की संख्या पुरुषों से काफी ज्यादा है। कंपनी की सुपरवाइजर अन्नपूर्णा कोटी का कहना है कि औरतों के मुकाबले पुरुषों में धैर्य की कमी होती है। वे माप लेने में जल्दी करते हैं, जिससे गलती हो जाती है। यही कारण है कि उनकी कंपनी में पुरुषों की बजाए महिला कर्मचारी ज्यादा है।

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कपास की कताई भी खुद करती हैं महिलाएं

कंपनी की सुपरवाइजर का कहना है कि अगर कोई गलती हो जाए तो झंड़ा बनाने की प्रक्रिया दोबारा शुरू करनी पड़ती है। वहीं पुरुष जल्दी काम छोड़कर चले जाते हैं। झंड़ा बनाने के लिए खादी की जरूरत है और यहां औरतें कताई से लेकर सिलाई का काम खुद ही करती हैं।

 

दो महीने पहले आता है ऑर्डर

फेडरेशन के सचिव एच.एन. एंटिन ने बताया कि कंपनी में कर्मचारी सालभर राष्ट्र ध्वज बनाते हैं। स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले पर फहराए जाने वाले तिरंगे का ऑर्डर करीब दो महीने पहले मिल जाता है।

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6 चरणों में बनता है तिरंगा झंडा

लाल किले पर फहराए जाने वाला तिरंगा 12x8 फीट का होता है, जिसकी कीमत लगभग 6500 रुपए होती है। तिरंगे झंड़े को लगभग 6 चरणों में बनाया जाता है। ऑर्डर मिलने के बाद सबसे पहले तिरंगे के कपड़े के लिए कताई और फिर बुनाई की जाती है। इसके बाद कपड़े को तीनों रंग में रंगा जाता है और फिर अशोक चक्र की छपाई होती है। छपाई होने के बाद इसकी सिलाई और बंधाई का काम पूरा किया जाता है।

 

हर साल हजारों की संख्या में बनते हैं झंड़े

इस कंपनी में हर साल हजारों की संख्या में तिरंगे झंड़े बनाए जाते हैं। 2015 में यहां लगभग 60,000 तिरंगे झंड़े बनाए थे। तिरंगा बनाने के लिए इसके रंगों से लेकर माप, सिलाई तक सबकुछ ध्वज संहिता और भारतीय मानक ब्यूरो से दिशानिर्देश के अनुसार किया जाता है। तिरंगा बनाने में जरी-सी लापरवाही के कारण सजा भी हो सकती हैं इसलिए इसे बनाते समय जरा-सी गलती की भी गुंजाइश नहीं होती। इन महिलाओं को अपने काम को लेकर कहना है कि हर अलग-अलग जगहों पर नहीं जा पाते लेकिन जब तिरंगा पूरी दुनिया में जाता है तो हम गर्व महसूस करते हैं। 

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Content Writer

Anjali Rajput

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