Parents Alert: इन 5 कारणों से आपका बच्चा पैदा हो सकता है आकार में छोटा

punjabkesari.in Thursday, Aug 12, 2021 - 11:15 AM (IST)

माता-पिता बनना एक खूबसूरत अहसास होता है। मगर इस दौरान खुशियों के साथ चिंता व कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपनी सेहत का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। ताकि गर्भ में पल रहे बच्चे का बेहतर शारीरिक व मानसिक विकास हो पाए। मगर अक्सर पेरेंट्स इस अवस्था में शिशु के वजन और ऊंचाई के बारे में ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। मगर इसके कारण कई बार शिशु जन्म चार्ट के औसत आकार की तुलना में छोटा आकार ले सकता है। इसे एक चिंता का विषय माना जा सकता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...

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आमतौर पर शिशु के वजन का अनुमान मां के पेट के आकार से लगाया जाता है। इसके साथ ही ऑनलाइन गर्भावस्था कैलकुलेटर और भ्रूण चार्ट का इस्तेमाल डॉक्टर गर्भ में पल रहे बच्चे यानि भ्रूण के औसत आकार को निर्धारित करने के लिए करते हैं। गर्भावस्था के 32 वें सप्ताह के आसपास एक स्कैन द्वारा भ्रूण के विकास के बारे में पता लगाया जाता है। अगर प्रेगनेंसी पीरियड के मुताबिक शिशु के वजन 10 प्रतिशत से कम हो तो यह चिंता की बात होती है। इसके कारण शिशु का आकार छोटा हो सकता है। चलिए आज हम आपको इसके कारणों के बारे में विस्तार से बताते हैं...

प्री-मेच्योर बेबी

अगर बच्चे का जन्म 37 सप्ताह की गर्भावधि अवधि को पूरा करने से पहले हो जाए तो उसका वजन कम हो सकता है। इसके पीछे का कारण मां को मूत्राशय संक्रमण, रूबेला, सिफलिस, एचआईवी, गुर्दे की बीमारी आदि हो सकता है। इसके अलावा कई बार PROM या झिल्लियों का समय से पहले टूटने के कारण भी शिशु समय से पहले जन्म ले लेता है।

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कुपोषण

गर्भावस्था में मां का सही डाइट लेना बहुत जरूरी है। इससे बच्चे के सही वजन व आकार मिलता है। इसके विपरीत मां का संतुलित आहार, पौष्टिक गुणों से भरपूर चीजों का सेवन ना करने से शिशु को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है। इसके कारण बच्चे का वजन हो सकता है।

आनुवंशिक कारक

होने वाले बच्चे पर आनुवंशिक असर भी पड़ता है। उदाहरण के तौर पर अगर शिशु के पेरेंट्स में से किसी एक या दोनों का कद छोटा है तो बच्चे का आकार भी कम हो सकता है।

रक्तचाप और हृदय की स्थिति

गर्भावस्था में मां को दिल संबंधी या हाई ब्लड की समस्या होने पर शिशु को पोषक तत्वों व ऑक्सीजन की मात्रा सही से नहीं मिलती है। इसके कारण शिशु का आकार कम हो सकता है। इसके पीछे का कारण प्री-एक्लेमप्सिया भी हो सकता है। इसमें प्लेसेंटा के कार्य प्रभावित होते हैं।

 

एक से अधिक बच्चे

अगर मां के गर्भाशय में एक से अधिक शिशु हो तो उनके विकसित होने का सीमित स्थान होगा। इसके कार शिशु कम वजन में जन्म लेता है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, भले ही बच्चे का जन्म कम वजन के साथ हो। मगर उसे कोई स्वास्थ्य परेशानी ना होने पर वे बड़े होकर पूरी तरह सामान्य बच्चों की तरह हो सकते हैं। इसके अलावा गर्भावस्था के समय मां को अपनी डेली रुटीन व डाइट का विशेष ध्यान रखनी की जरूरत होती है। ताकि गर्भ में पल रहे शिशु को किसी भी तरह की कोई परेशानी का सामना ना करना पड़े।

 

 


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neetu

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