रोज मसाज करने से बच्चों को होते हैं कई फायदे, इस तरह रखें अपने लाडले का ख्याल

punjabkesari.in Monday, Nov 01, 2021 - 04:58 PM (IST)

अक्टूबर की ठंडी शाम को रेणु सक्सेना अपनी नवजात बेटी को बेंगलुरु के अस्पताल से घर ले आई। 36 सप्ताह में ही पैदा हुई उनकी बेटी का वजन 2.4 किलो था।  सक्सेना के परिवार ने मासूम के विकास और  हड्डियों को ताकत देने के लिए शिशु की मालिश शुरू की। यह एक पुरानी परंपरा है और पीढ़ी दर पीढ़ी यह परंपरा मां से बेटी को पारित की जाती रही है। हालांकि डॉक्टर ने उन्हे कुछ समय के लिए ऐसा ना करने की सलाह दी। 

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मालिश के चलते बच्ची में आया बड़ा बदलाव

 रेणु का परिवार मान गया और दो सप्ताह तक इंतजार किया। लेकिन इस दौरान बेटी का वजन सिर्फ 100 ग्राम ही बढ़ पाया। लेकिन जब परिवार ने बच्ची की मालिश शुरू की तो उसका वजन तो बढ़ा ही साथ में वह पहले के मुकाबले अच्छी नींद भी लेने लगी। बच्ची की मां ने बताया कि- हमारे घर में बच्चे के पैदा होते ही  मालिश की दिनचर्या शुरू हो जाती थी। 

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 हड्डियों को ताकत देती है मालिश

दरअसल बच्‍चे के शांत होने पर उसे आराम दिलाने और मांसपेशियों एवं हड्डियों को ताकत देने के लिए मालिश की जाती है। इसके साथ ही रोजाना मालिश, शिशु के प्रति अपने लाड़-प्यार और ममता को जाहिर करने का एक बढ़िया तरीका है। जब आप शिशु की मालिश करती हैं, तो आप स्वत: ही उससे बातें करने लगती हैं और आपको उसकी आंखों से आखें मिलाकर बात करने का पर्याप्त समय मिलता है।

 

मालिश के ये हैं लाभ

एक अध्ययन में भी पता चला है कि ठीक से मालिश करने पर बच्चों का वजन बढ़ने के साथ- साथ बैक्टीरिया के संक्रमण को भी रोका जा सकता। 2008 मेंकी गई एक स्टडी में पाया गया कि मालिश के बाद संक्रमण के जोखिम में लगभग 40% की कमी और मृत्यु दर के जोखिम में 25-50% की कमी देखी गई।  मालिश के अन्य फायदों में वजन वृद्धि, पाचन में सुधार, रक्त संचार में सुधार और दांत निकलने के दर्द से राहत आदि शामिल हैं।

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किस तरह करें मालिश

शिशु की मालिश की शुरुआत उसके पैरों से करें 
फिर शरीर से करते हुए सिर की मालिश से समाप्त करें। 
तेल, बेबी मॉइस्चराइजर या क्रीम की कुछ बूंदें अपने हाथ में लें। 
दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ कर तेल या क्रीम को थोड़ा गर्म करें।
बेहद सौम्यता से इसे शिशु की त्वचा पर लगाएं। 
नीचे से मालिश करते हुए टांगों के ऊपर की तरफ जाएं।
 उसके कंधों से शुरु करते हुए नीचे उंगलियों तक आएं।
शिशु की उंगलियों के जोड़ों को चटकाने का प्रयास न करें। 
शिशु की छाती और पेट पर घड़ी की सुई की दिशा में गोलाकार में मालिश कीजिए।
 शिशु के पेट पर हल्के दबाव के साथ की गई गोलाकार मालिश उसके पाचन तंत्र में सुधार ला सकती है।

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मालिश से बच्चा होता है शांत

अगर बच्‍चा चिड़चिड़ा रहता है तो आपको उसकी मालिश करनी चाहिए। मालिश से शिशु शांत रहता है। मालिश करने से शिशु की बॉडी में 'फील-गुड' हार्मोन रिलीज होता है जिससे बच्‍चा रिलैक्‍स महसूस करता है। सर्दियों में आप कमरे में गर्माहट के लिए रेडिएटर या हीटर का इस्तेमाल कर सकती हैं। किसी भी तरह की दुर्घटना से बचने के लिए, हीटर को शिशु से सुरक्षित दूरी पर रखें।
 


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Content Writer

vasudha

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