Underweight नहीं अब Overweight के कारण परेशान हैं पेरेंट्स, दुनिया भर में बढ़ गए हैं मोटे बच्चे
punjabkesari.in Friday, Sep 12, 2025 - 11:25 AM (IST)

नारी डेस्क: वो जमाना और था जब बच्चों को कुपोषण चिंता का विषय होता है, अब तो मोटापा समस्याएं बढ़ा रहा है। आज के समय में जंक फूड, पैकेज्ड फूड्स और शारीरिक गतिविधियों की कमी के चलते बच्चों में अंडरवेट से ज्यादा मोटापे की समस्या देखने को मिल रही है। इस बात का खुलासा यूनिसेफ (UNICEF) की एक रिपोर्ट में हुआ है, जिसमें बच्चों के बढ़ते मोटापे को लेकर अलर्ट किया गया है।

रिपोर्ट के मुख्य तथ्य
पहले बच्चों में कुपोषण और अंडरवेट होना बड़ी समस्या थी। लेकिन अब बदलती लाइफ़स्टाइल, फास्ट फूड, मीठे पेय और स्क्रीन टाइम की वजह से बच्चे और किशोर तेज़ी से मोटापे का शिकार हो रहे हैं।UNICEF की रिपोर्ट के अनुसार 190 से ज्यादा देशों के आंकड़ों के अनुसार 5 से 19 साल के बच्चों में कम वजन की समस्या साल 2000 से लगभग 12 प्रतिशत से कम होकर 9.2 प्रतिशत हो गई है, जबकि मोटापे की दर 3 प्रतिशत से बढ़कर 9.4 प्रतिशत हो गई है। अफ्रीका और दक्षिण एशिया को छोड़कर दुनिया भर के सभी देशों में बच्चों का कम वजन से ज्यादा मोटापा है।
क्यों बढ़ रहा है मोटापा?
-जंक फूड और शुगर वाले ड्रिंक्स की खपत बढ़ना।
-कम शारीरिक गतिविधि – बच्चे बाहर खेलों से दूर और स्क्रीन (मोबाइल/टीवी/कंप्यूटर) पर ज़्यादा समय बिता रहे हैं।
-अनियमित दिनचर्या और नींद की कमी।
-माता-पिता की व्यस्त जीवनशैली, जिससे हेल्दी खाना और एक्टिविटी पर ध्यान कम हो रहा है।

बच्चों में बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है मोटापा
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल का कहना है कि, "जब कुपोषण की बात करते हैं तो हम सिर्फ कम वजन वाले बच्चों की बात नहीं कर रहे होते हैं, इसमें मोटापे से जूझ रहे बच्चे भी शामिल हैं। मोटापा बच्चों में एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या है, जो बच्चों के स्वास्थ्य और विकास को प्रभावित कर सकता है"। उनके अनुसार UNICEF के अनुसार, "बच्चे को ज्यादा वजन वाला या मोटा तब माना जाता है, जब उनका वजन उनकी उम्र, लिंग और कद के हिसाब से हेल्दी वजन से बहुत ज्यादा होता है।
मोटापे से बचाने का समाधान
बचपन में मोटापा बढ़ने से आगे चलकर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम्स मानसिक तनाव और आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बच्चों के खाने में सब्जियां, फल, और हाई-फाइबर फूड शामिल करें। मीठे और तैलीय खाद्य पदार्थ कम दें। रोजाना कम से कम 1 घंटा फिजिकल एक्टिविटी (खेल, डांस, साइकिल, योग) करवाएं। स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करें। परिवार खुद हेल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाएं, ताकि बच्चे मोटिवेट हों। यूनिसेफ का कहना है कि अगर अभी से कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले सालों में बचपन का मोटापा एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन सकता है।