अनसुलझी पहेली है रहस्यमयी कैलाश मंदिर, सिर्फ 1 चट्टान से किया गया है इसका निर्माण

punjabkesari.in Thursday, Nov 24, 2022 - 11:29 AM (IST)

भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने इतिहास के साथ-साथ अपने अद्भुत डिजाइन के लिए भी मशहूर हैं। इन मंदिरों की डिजाईन कुछ ऐसी है कि आज भी आधुनिक टेक्नॉलजी और साइंस  की सुविधाओं के बाद भी इस प्रकार की डिजाइन को हकीकत में उतार पाना बहुत मुश्किल है। ऐसा ही एक मंदिर है महाराष्ट्र के औरंगाबाद की एलोरा की गुफाओं में। यह मंदिर सिर्फ एक चट्टान को काटकर और तराशकर बनाया गया है। हम बात कर रहे हैं एलोरा के कैलाश मंदिर की जिसे बनाने में 18 साल का समय लगा। आइए जानते हैं क्‍या है इस मंद‍िर के कुछ रहस्‍य और आखिर क्‍यों व‍िज्ञान भी इस मंद‍िर की गुत्थियां नहीं सुलझा पाया?

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मंदिर के न‍िर्माण का समय है रहस्‍य

कैलाश मंद‍िर ज‍ितना रहस्‍यमयी है उतनी ही रहस्‍यमयी इसे बनाने की कला भी है। इस मंद‍िर में क‍िसी भी तरह की ईंट या चूने का इस्‍तेमाल नहीं क‍िया गया है। कहते हैं क‍ि इसका न‍िर्माण 8वीं शताब्‍दी में हुआ था और इसे बनाने में केवल 18 साल लगे थे। जबकि पुरातत्‍वव‍िज्ञान‍ियों की मानें तो 4लाख टन पत्‍थर को काटकर क‍िए गये इस मंद‍िर का न‍िर्माण इतने कम समय में संभव ही नहीं है। उनकी मानें तो अगर 7 हजार मजदूर डेढ़ सौ वर्षों तक द‍िन-रात काम करें तो ही इस मंद‍िर का न‍िर्माण हो सकता है। जो क‍ि नामुमक‍िन सी बात है। ऐसे में इस मंद‍िर का न‍िर्माण मनुष्‍यों द्वारा तो इतने कम समय में संभव ही नहीं है।

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भोलेनाथ ने दिया था राजा को अस्‍त्र

मंद‍िर को लेकर जानकारी म‍िलती है क‍ि इसका न‍िर्माण राष्‍ट्रकुल के राजा कृष्‍ण प्रथम ने कराया था। कहा जाता है क‍ि एक बार राजा गंभीर रूप से बीमार हो गए। तमाम इलाज के बाद भी वह स्‍वस्‍थ नहीं हो पा रहे थे तब रानी ने भोलेनाथ से प्रार्थना की क‍ि वह राजा को स्‍वस्‍थ कर दें।

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उनके स्‍वस्थ होते ही वह मंद‍िर का न‍िर्माण करवाएंगी और मंद‍िर का श‍िखर देखने तक व्रत रखेंगी। तब राजा स्‍व‍स्‍थ हो गए लेक‍िन रानी को बताया गया क‍ि मंद‍िर का निर्माण और श‍िखर बनने में तो कई वर्ष लग जाएंगे। ऐसे में इतने वर्षों तक व्रत रख पाना संभव नहीं होगा। तब रानी ने भोलेनाथ से मदद मांगी। मान्‍यता है क‍ि तब उन्‍हें भूमिअस्‍त्र म‍िला। जो क‍ि पत्‍थर को भी भाप बना सकता था। इस अस्‍त्र का ज‍िक्र ग्रंथों में भी म‍िलता है। मान्‍यता है क‍ि उसी अस्‍त्र से इस मंद‍िर का न‍िर्माण हुआ और मंद‍िर बनने के बाद उस अस्‍त्र को मंद‍िर के नीचे गुफा में रख द‍िया गया। दुन‍ियाभर के व‍िज्ञानी भी यही मानते हैं क‍ि इतने कम समय में पारलौक‍िक शक्तियों द्वारा ही ऐसे मंद‍िर का न‍िर्माण संभव है। 


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Content Editor

Charanjeet Kaur

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