Gurudwara Shri Panja Shaib: सिख इतिहास का प्रसिद्ध गुरुदारा, जहां गुरु नानक देव जी ने रोकी थी चट्टान
punjabkesari.in Saturday, Oct 29, 2022 - 12:03 PM (IST)
सिख समुदाय के तीर्थ स्थल सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी है। हर गुरुदारे से जुड़ी एक आस्था और कहानी है जिससे सिखों को अपने इतिहास और गुरुओं के बारे में बहुत कुछ पाता चलता है। इन्हीं में से एक है पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारा पंजा साहिब जिसका नाम सिखों के पवित्र तीर्थों स्थानों में सबसे उपर रखा जाता है। इस गुरुद्वारे का नाम तो लोगों ने बहुत सुना होगा लेकिन शायद इसके इतिहास से अछूते ही होंगे। तो चलिए आपको बताते हैं गुरु नानक देव जी से जुड़े गुरुद्वारा पंजा साहिब के इतिहास के बारे में।
गुरु नानक देव जी देते थे लोगों को एकता का संदेश
गुरु नानक देव जी का जन्म तलवंडी नामक स्थान पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 ई. में हुआ था। उन्होनें अपना पूरा जीवन समाज की बुराईयों और कुरीतियों को दूर करने में समर्पित किया। उन्होनें पूरी दुनिया का भ्रमण करके लोगों को प्यार और एकता का संदेश दिया।
वली कंधारी ने गुरु नानक जी को पानी देने से किया मना
कहते हैं कि एक बार गुरु नानक देव जी अपनी यात्रा के दौरान रावलपिंडी के हसन अब्दाल नामक जगह पर रुके थे। वहां वो एक पहाड़ी के पास कीर्तन करने रुक गए। उनके साथ उनके शिष्य भी थे। मर्दाना नाम का एक शिष्य गुरू नानक देव के साथ रहता था। जब उसे प्यास लगी तो उसको नानक देव जी ने कहा कि ”ऊपर पहाड़ी की छोटी पर एक पीर बाबा है उसके पास पानी मिल जाएगा। तो मर्दाना जब उस पहाड़ी पर चढ़कर गया तो पीर वली कंधारी ने उससे पानी पिलाने से पहले सारी जानकारी ली कि ”वो कौन है कहा से आया है और साथ में कौन है?”
इस पर मर्दाना ने गुरुनानक देव जी की महिमा का बखान किया। जिसे सुनकर वली कंधारी क्रोधित हो गया। तब उसने पहाड़ी से एक बड़ी चट्टान गुरुनानक देव जी की तरफ फेंकी जिसे गुरू नानक देव जी ने अपनी दिव्य ताकत से अपने हाथ से रोक दी। उस चट्टान पर उनका पंजा छप गया। उसी जगह गुरुद्वारा पंजा साहिब का निर्माण करवाया गया। आज भी वो पत्थर वहीं है जिस पर गुरू नानक देव जी का पंजा छप गया था।
गुरु नानक जंयती के मौके पर हजारों के संख्या में सिखा इस गुरुद्वारे के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
कैसे पहुंचे गुरुद्वारा पंजा साहिब?
पंजा साहिब पाकिस्तान में है इसलिए यहां जाने के लिए पहले आपको वीजा लेना पड़ता है।वीजा का काम दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी देखती है। वहीं जाकर अप्लाई करना होगा। इसके बाद समझौता एक्सप्रेस ट्रेन से अटारी तक पहुंचते हैं। यहां से पाकिस्तान बॉर्डर शुरू हो जाता है इसलिए आगे पाकिस्तान की ट्रेन से रावलपिंडी स्टेशन पर उतर सकते हैं। यहां से गुरुद्वारा पंजा साहिब के लिए स्पेशल बसें मिल जाती हैं। पाकिस्तान जाने के लिए सरकार और दिल्ली गुरुद्वारा कमिटी की तरफ से स्पेशल बसें भी चलाई जाती हैं, जो गुरुद्वारा श्री पंजा साहिब तक पहुंचा देती हैं।