कभी नहीं भूली जा सकती निर्भया कांड की वो खौफनाक रात, 10 साल बाद कहां खड़े हैं हम

punjabkesari.in Friday, Dec 16, 2022 - 12:22 PM (IST)

साल के आखरी महीने के दूसरे फखवाड़े का पहला दिन दिल्ली में एक युवती पर कहर बनकर टूटा।16 दिसंबर 2012 को एक छात्रा के साथ उसके एक मित्र की मौजूदगी में चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया और उन दोनो को ठिठुरती सर्द रात में बस से बाहर फेंक दिया गया। बाद में इलाज के लिए सिंगापुर ले जाई गई पीड़िता ने वहीं दम तोड़ दिया था। इस मामले की 23 वर्षीय पीड़िता को ‘‘निर्भया'' नाम दिया गया और देश में उसके लिए न्याय की मांग ने आंदोलन का रूप ले लिया।

फांसी पर लटकाए गए आरोपी

इस मामले में मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह सहित छह व्यक्ति आरोपी बनाए गए। इनमें से एक नाबालिग था। मामले के एक आरोपी राम सिंह ने सुनवाई शुरू होने के बाद तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। नाबालिग को सुनवाई के बाद दोषी ठहराया गया और उसे सुधार गृह भेज दिया गया। तीन साल तक सुधार गृह में रहने के बाद उसे 2015 में रिहा कर दिया गया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार 20 मार्च 2020 को इस मामले के चार दोषियों को फांसी दी गई।  

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आइए जानते हैं कि दर्दनाक दास्तां की पूरी कहानी

16 दिसंबर, 2012: दिल्ली के मुनिरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से गैंगरेप किया जिसमें से एक नाबालिग था। इन लोगों ने दरिंदगी की सारी हदें पार दी। वारदात के वक्त पीड़िता का दोस्त भी बस में था। इन दरिंदों ने उसके साथ भी मारपीट की। इस जघन्य गुनाह को अंजाम देने के बाद इन लोगों ने युवती और दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया।
17 दिंसबर, 2012:  दिल्ली पुलिस ने चार आरोपी बस चालक राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पहचान की।
18 दिसंबर, 2012: दिल्ली पुलिस ने चारों दोषियों राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया।
21 दिसंबर, 2012: पुलिस ने एक नाबालिग आरोपी को दिल्ली के आनंदविहार बस टर्मिनल से गिरफ्तार किया।
22 दिसंबर, 2012: पुलिस मामले में छठे और आखिरी आरोपी अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ्तार करके दिल्ली लाई। 
26 दिंसबर, 2012: इधर निर्भया की हालात लगातार खराब होने के कारण उसे सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ हॉस्पिटल ले जाया गया।
29 दिसंबर, 2012: अपनी जिंदगी के लिए लड़ते-लड़ते आखिर 13वें दिन निर्भया अपनी जिंदगी की जंग हार गई। और सिंगापुर में Organ failure के कारण उसकी मौत हो गई। निर्भया की मां ने बताया कि उनकी बेटी आखिरी दम तक जीना चाहती थी।
3 जनवरी, 2013: पुलिस ने पांचों बालिग दोषियों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण, डकैती का केस दर्ज करने के बाद चार्जशीट दाख़िल की।
10 सितंबर, 2013: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चार आरोपियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को सभी 13 मामलों में दोषी ठहराया।
5 मई, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषी मुकेश, विनय, पवन और अक्षय की मौत की सजा को बरकरार रखा और निर्भया कांड को सदमे की सुनामी करार दिया।
6 दिसंबर, 2019: राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘POCSO अधिनियम के तहत बलात्कार के दोषियों को दया याचिका दायर करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’
7 दिसंबर, 2019: आरोपी विनय शर्मा ने राष्ट्रपति से दया याचिका की तत्काल वापसी के लिए लिखा।
7 जनवरी, 2020: सात साल के इंतजार के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों आरोपियों के लिए डेथ वारंट जारी किया। जिसके तहत 22 जनवरी 2020 को सुबह 7 बजे चारों आरोपियों को फांसी दी जाएगी।  


रेप की घटनाओं पर सरकार हुई सख्त

निर्भया के जाने के बाद देशभर में महिलाओं ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया और हर ओर दोषियों को उनके किए की सजा दिलाने की मांग होने लगी। इस वारदात ने सरकार को महिलाओं के साथ होने वाली ऐसी घटनाओं पर सोचने को मजबूर कर दिया।  इसीका नतीजा था कि देश में सख्त कानून अमल में लाए गए जिसके तहत किसी महिला को गलत तरीके छूना, उससे छेड़छाड़ करना और अन्य किसी भी तरीके से यौन शोषण करना भी रेप में शामिल कर दिया गया गया।

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पॉक्सो एक्ट से बदल गई बलात्कार की परिभाषा

इसी कांड के बाद पॉक्सो एक्ट अस्तित्व में आया। इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से भी सुरक्षा प्रदान करता है। पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार हुए आरोपी को आसानी से जमानत भी नहीं मिलती है।  इस कानून में सबसे अहम बात ये है कि अगर किसी शख्स के खिलाफ पॉक्सो एक्ट लगाया जाता है, तो उसकी गिरफ्तारी तुरंत होती है।  इस एक्ट पर अमल करने का नतीजा यह हुआ कि धर्मगुरू के नाम पर कुकर्म करने वाले आसाराम और गुरमीत राम रहीम को सजा सुनाई गई। देशभर के विभिन्न राज्यों में दुष्कर्म के दोषी बाहुबलियों से लेकर नेताओं तक की गिरफ्तारियां हुई। 


IPC की धाराओं में भी हुआ बदलाव

निर्भया कांड के बाद कानून में बदलाव की ज़रूरत महसूस हुई। लिहाजा 3 फरवरी 2013 को क्रिमिनल लॉ अम्नेडमेंट ऑर्डिनेंस आया, जिसके तहत भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 181 और 182 में बदलाव किए गए। इनमें रेप से जुड़े नियमों को सख्त किया गया। इस संशोधन के तहत ऐसा प्रावधान भी किया गया कि बलात्कारी को फांसी की सजा मिल सके। हालांकि इस सब के बावजूद आरोपियों के हौंसले कम नहीं हुए। महिलाओं के लिए बनाए कानून सुरक्षा दे पाने में असक्षम रहे

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निर्भया केस के बाद देश भर से सामने आए दिल दहला देने वाले मामले 

-10 जनवरी 2018 को एक 8 साल की बच्‍ची के गुम होने की खबर आई थी। इसके पोस्‍टमार्टम की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने बच्‍ची का अपहरण किया और उसे नशीली दवा खिला कर कई दिनों तक सामूहिक बलात्‍कार किया और बाद में उसकी हत्‍या कर दी। इस सनसनीखेज गैंग रेप के बाद देश भर के लोगों का गुस्‍सा फूट पड़ा। 

- मुंबई के साकी नाका इलाके में एक 30 वर्षीय महिला के साथ पहले दुष्कर्म किया गया और बाद में आरोपी ने महिला के प्राइवेट पार्ट में रॉड डाल दी। बड़ी ही गंभीर हालत में महिला को अस्पताल पहुंचाया गया है। 

- 28 नवंबर 2019 को भी देश के हैदराबाद शहर में भरी एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। इस केस में जानवरों की एक डॉक्‍टर से 4 लोगों ने सामूहिक बलात्‍कार किया और फिर उसकी निर्मम हत्‍या कर दी।  24 घंटे के अंदर ही चारों आरोपियों को पकड़ लिया गया और उन्हें पुलिस एनकाउंटर में मार दिया गया।

- 14 सितंबर 2020 को 20 वर्ष की एक युवती के साथ गैंगरेप किया गया। इस गैंगरेप में हैवानों ने युवती के शरीर को इतना यातनाएं दीं कि जिसे सुनकर किसी का भी कलेजा फट जाएगा। 29 सितंबर को युवती ने दम तोड़ दिया।

-  उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के घटना ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया। यहां एक 13 साल की बच्ची के साथ गैंगरेप किया गया और इसके बाद हवशियों ने बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी आंखे फोड़ दी गईं और उसकी चीभ भी काट दी। 


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Content Writer

vasudha

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