अब चंद मिनटों में पता लग जाएगी TB की बीमारी, मरीज की पूरी डिटेल आ जाएगी सामने

punjabkesari.in Tuesday, Aug 27, 2024 - 03:56 PM (IST)

नारी डेस्क: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के डिब्रूगढ़ स्थित क्षेत्रीय केंद्र ने क्षयरोग (टीबी) की पहचान के लिए एक नई और किफायती तकनीक विकसित की है, जो स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। इस नई तकनीक के माध्यम से टीबी की पहचान अब महज 35 रुपये में की जा सकेगी और यह प्रक्रिया केवल ढाई घंटे में पूरी हो जाएगी, जबकि पारंपरिक तरीकों से टीबी की पुष्टि में आमतौर पर 42 दिन लगते हैं। 'क्रिसपर केस बेस्ड टीबी डिटेक्शन सिस्टम' नामक इस प्रणाली की विशेषता इसकी सरलता, कम लागत और त्वरित परिणाम है, जो टीबी के निदान को अधिक प्रभावी और सुलभ बना देगा।

टीबी की इंस्टेंट पहचान के लिए नया सिस्टम

आइसीएमआर के सूत्रों के अनुसार, इस नई प्रणाली का नाम 'क्रिसपर केस बेस्ड टीबी डिटेक्शन सिस्टम' है। यह तकनीक बेहद सरल है और इसमें तीन चरणों में परीक्षण होता है। यह हल्का और पोर्टेबल सिस्टम है, जिससे टीबी की जांच प्रक्रिया को आसान और प्रभावी बनाया जा सकता है। 

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पारंपरिक विधियों की तुलना में सुधार

वर्तमान में टीबी की जांच माइक्रोस्कोपी और न्यूक्लियक एसिड आधारित विधियों से की जाती है, जिनमें समय अधिक लगता है और उत्तम श्रेणी के उपकरणों की आवश्यकता होती है। 'क्रिसपर केस बेस्ड' तकनीक इन विधियों की तुलना में काफी तेज और किफायती है, जिससे टीबी की पुष्टि में लगने वाले समय में भी कमी आएगी।

वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती का समाधान

एक अधिकारी ने कहा कि टीबी एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है और इसके प्रभावी प्रबंधन के लिए सटीक और त्वरित निदान उपकरणों की आवश्यकता है। आइसीएमआर की नई तकनीक इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, क्योंकि वर्तमान निदान पद्धतियाँ संवेदनशील, समय लेने वाली और महंगी हैं।

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प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए आमंत्रण

आइसीएमआर ने 'क्रिसपर केस बेस्ड टीबी डिटेक्शन सिस्टम' के व्यावसायीकरण के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के तहत पात्र संगठनों, कंपनियों और निर्माताओं को आमंत्रित किया है। डिब्रूगढ़ का क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र सभी चरणों में मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग प्रदान करेगा, जिससे यह तकनीक व्यापक रूप से उपलब्ध हो सके।

भारत में टीबी की स्थिति और लक्ष्य

2022 में भारत में टीबी के 27% मामले सामने आए, यानी दुनिया के हर चौथे टीबी मरीज में भारतीय था। भारत 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'टीबी मुक्त भारत अभियान' की शुरुआत की थी, और इस नई तकनीक के माध्यम से इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

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Content Writer

Vandana

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