प्रेगनेंसी में ज्यादा स्ट्रेस बच्चे के लिए बन सकता है परेशानी, खुद को इस तरह खुश रखे होने वाली मां

punjabkesari.in Wednesday, Jan 22, 2025 - 01:31 PM (IST)

नारी डेस्क: एक अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में मातृ तनाव हार्मोन के उच्च स्तर का बच्चों के स्वास्थ्य पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है।  गर्भवती महिलाओं का तनाव गर्भ में विकसित हो रहे शिशु पर विभिन्न प्रकार के प्रभाव डाल सकता है, जिनमें शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक स्वास्थ्य शामिल हैं। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से

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क्या कहता है अध्यन्न

जर्मनी में गॉटिंगेन विश्वविद्यालय और जर्मन प्राइमेट सेंटर - लाइबनिज इंस्टीट्यूट फॉर प्राइमेट रिसर्च के शोधकर्ताओं ने पाया कि तनाव के प्रभाव 10 वर्ष की आयु तक स्पष्ट थे। शोध के परिणाम संकेत देते हैं कि गर्भावस्था के दौरान और बाद में मातृ तनाव हार्मोन के संपर्क का समय संतान के विकास और स्वास्थ्य के परिणामों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन प्रभावों के लिए विनाशकारी घटनाओं की आवश्यकता नहीं है, लेकिन पर्यावरणीय परिस्थितियों में मामूली बदलाव भी पर्याप्त हैं।


बच्चं पर क्या पडता है असर

गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक तनाव का शिशु के मस्तिष्क के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे व्यवहार संबंधी समस्याएं, ध्यान की कमी (ADHD), और अन्य न्यूरोडेवलपमेंटल विकार हो सकते हैं।गर्भ में ही शिशु का इम्यून सिस्टम विकसित हो रहा होता है। यदि मां तनाव में है, तो यह शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है, जिससे बच्चे को बाद में बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

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प्रीटर्म बर्थ और लो बर्थ वेट

 अत्यधिक तनाव से प्रीमैच्योर डिलीवरी या बच्चे का कम वजन के साथ जन्म लेने का खतरा बढ़ सकता है, जो आगे चलकर बच्चे की समग्र सेहत को प्रभावित कर सकता है।  वे बच्चे जिनकी माताएं गर्भावस्था के दौरान अधिक तनाव में थीं, उन्हें भविष्य में अवसाद, चिंता, और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अधिक खतरा हो सकता है। तनाव के कारण मां के शरीर में कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जो प्लेसेंटा के माध्यम से शिशु तक पहुंच सकता है और उसके हार्मोनल संतुलन को प्रभावित कर सकता है।

 

हाेने वाली मां इन बातों का रखे ध्यान

गर्भावस्था में तनाव (स्ट्रेस) को कम करना न केवल मां के लिए, बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।  नियमित ध्यान और गहरी सांस लेने की तकनीकें तनाव को कम करने में अत्यंत प्रभावी हैं। दिन में 10-15 मिनट का ध्यान मन को शांत कर सकता है। डॉक्टर की सलाह से हल्की शारीरिक गतिविधियां जैसे योग, टहलना, या तैराकी तनाव को कम करने और ऊर्जा स्तर को बनाए रखने में मदद करती हैं।

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संतुलित आहार 

पौष्टिक और संतुलित आहार न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। दिन में कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेना बेहद जरूरी है। अच्छी नींद तनाव को कम करने और शारीरिक व मानसिक पुनर्निर्माण में मदद करती है। सकारात्मक विचार और आत्म-संवाद से मनोबल बढ़ता है और चिंता कम होती है। दिन में कुछ समय उन चीजों के बारे में सोचें जो आपको खुश करती हैं।


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Content Writer

vasudha

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