पेट में कैंसर होने पर दर्द कहां होता है और पहले संकेत क्या नजर आते हैं?

punjabkesari.in Thursday, Feb 13, 2025 - 09:02 PM (IST)

नारी डेस्कः पेट का कैंसर दुनिया का चौथा सबसे आम कैंसर है। इसे गैस्ट्रिक कैंसर भी कहा जाता है। यह कैंसर आमतौर पर धीरे-धीरे कई वर्षों में विकसित होता है। अगर इसका जल्दी पता लग जाए तो शुरुआती उपचार से ठीक होने की संभावना अधिक रहती है। सामान्य लक्षणों की बात करें तो पेट दर्द, एसिडिटी, मतली, भूख में कमी और अपच होना ये सामान्य है।

पेट के कैंसर के कारण

पेट के कैंसर होने की स्टीक वजह तो स्पष्ट नहीं है लेकिन यह तब शुरू होता है जब पेट की कोशिकाओं में डीएनए म्यूटेशन या बदलाव आ जाते हैं। ये बदलाव कोशिकाओं को असामान्य रूप से बढ़ने और ट्यूमर बनाने का कारण बनते हैं। इसके अलावा हेलिकोबैक्टर पाइलोरी  (Helicobacter pylori) इंफेक्शन (बैक्टीरिया का संक्रमण) भी इसका जोखिम कारक है। (60% से अधिक मामलों का कारण)।
क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस यानि पेट में पुरानी सूजन।
अल्सर के लिए पेट की सर्जरी।
परनिशियस एनीमिया।
इंटेस्टाइनल मेटाप्लासिया (पेट की परत का आंत की परत से बदल जाना)।
पेट में गांठें या पॉलीप्स।
एपस्टीन-बार वायरस संक्रमण होना।
पेट के कैंसर का पारिवारिक इतिहास होना।
लिंच सिंड्रोम, ली-फ्राउमनी सिंड्रोम जैसी अनुवांशिक बीमारियां।
टाइप A रक्त समूह।
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD)।
मोटापा।
नमकीन, प्रोसेस्ड, अचार और स्मोक्ड भोजन का अधिक सेवन।
फलों और सब्जियां कम खाने से या भोजन सही से पक्का ना होने से।
फिजिकल एक्टिविटी की कमी।
50 वर्ष से अधिक उम्र इसका खतरा रहता है।
स्मोकिंग-एल्कोहल ज्यादा करने से।
कोयला, धातु, लकड़ी और रबर उद्योगों में काम करना।
एस्बेस्टस के संपर्क में आना आदि ये सारे पेट के कैंसर के जोखिम कारक है जो इस समस्या को बढ़ावा देते हैं। 

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पेट के कैंसर का पहला संकेत क्या है?

पेट के कैंसर के शुरुआती चरणों में बहुत कम लक्षण दिखते हैं। ये लक्षण अक्सर अल्सर या संक्रमण जैसी अन्य पाचन समस्याओं के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं। पेट के कैंसर के शुरुआती संकेत ये हो सकते हैं: 
पेट में लगातार दर्द या बेचैनी रहना। दर्द तेज या कम हो सकता है। 
थोड़ा खाना के बाद भी पेट भरा हुआ महसूस होना।
भूख कम लगना।
मतली या उल्टी होना। 
सीने में जलन-एसिडिटी रहना।
वज़न कम होना।
भूख निगलने में परेशानी। 
थकान या कमजोरी रहना।
काला मल या खून की उल्टी होना।

पेट के कैंसर के कुछ और लक्षण

खाने के तुरंत बाद ही भोजन उगल देना।
मल में खून आना।
पेट में सूजन और तरल पदार्थ का जमा होना (असाइटिस)।
लगातार एसिडिटी या डकार रहना, सीने में जलन।
अपच और खाने के बाद ब्लोटिंग जैसे महसूस होना।
पेट दर्द का बढ़ना।
भोजन निगलने में कठिनाई।
वजन कम होना।
भूख कम लगना और उल्टी होना।
एनीमिया की शिकायत
थकान और कमजोरी रहना।
जॉन्डिस (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना)।
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पेट के कैंसर के 5 स्टेज

स्टेज 0: असामान्य कोशिकाएं पेट की भीतरी परत (म्यूकोसा) में पाई जाती हैं।
स्टेज I: ट्यूमर पेट में सीमित होता है और कैंसर कोशिकाएं 1-2 लिम्फ नोड्स तक फैल सकती हैं।
स्टेज II: कैंसर पेट की गहरी परतों और आस-पास के लिम्फ नोड्स तक फैल जाता है।
स्टेज III: कैंसर पेट की सभी परतों, अधिक लिम्फ नोड्स और आस-पास के अंगों (प्लीहा, पैनक्रियास, छोटी आंत) तक फैल जाता है।
स्टेज IV: इस स्टेज में कैंसर दूसरे अंगों (फेफड़े, हड्डियां, लीवर) और लिम्फ नोड्स तक फैल जाता है। इस स्टेज में इलाज काफी मुश्किल होता है। ठीक होने के चांसेज कम हो जाते हैं।

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औसत 5-वर्ष तक ही जीवित रहते हैं पेट कैंसर के मरीज

कैंसर के फैलने से पहले उपचार मिलने पर यह दर लगभग 68% होती है।
यदि कैंसर गहराई तक फैल जाए तो यह 31% तक घट जाती है।
कैंसर के दूर के अंगों में फैलने पर यह केवल 5% रह जाती है।
पेट के कैंसर के शुरुआती चरणों में आमतौर पर लक्षण नहीं दिखते, जिससे इसका निदान देर से होता है।

पेट के कैंसर का इलाज

इलाज का चयन पेट के कैंसर की स्थिति पर निर्भर करता है। ट्यूमर का फैलाव कितना है या मरीज की स्वास्थ स्थिति कैसी है इसके आधार पर ही इलाज का चयन किया जाता है। 

1. सर्जरी: सर्जरी की मदद से ट्यूमर और आसपास की स्वस्थ कोशिकाओं को हटाया जाता है।
एंडोस्कोपिक म्यूकोसल रेस्क्शन: शुरुआती चरण के छोटे ट्यूमर को एंडोस्कोपी से हटाया जाता है।
सबटोटल गैस्ट्रेक्टॉमी: पेट का एक हिस्सा हटाया जाता है जो प्रभावित है।
टोटल गैस्ट्रेक्टॉमी: पूरा पेट हटाया जाता है।

2. कीमोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को रोकने के लिए सायटोस्टेटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। सर्जरी से पहले ट्यूमर को छोटा करने या सर्जरी के बाद बची हुई कोशिकाओं को खत्म करने के लिए कीमोथेरेपी दी जाती है।

3. रेडिएशन थेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडिएशन थेरेपी का सहारा भी लिया जा सकता है। 

4. टारगेटेड मेडिकेशन: ये दवाएं कैंसर कोशिकाओं द्वारा उत्पन्न विशेष प्रोटीन पर हमला करती हैं।
Herceptin (ट्रास्टुजुमैब): HER2 प्रोटीन को टारगेट करता है।
Cyramza (रामुसिरुमैब): VEGF प्रोटीन को ब्लॉक करता है।

5. इम्यूनोथेरेपी: इस थेरेपी के जरिए शरीर की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं की पहचान करने और उन्हें नष्ट करने के लिए दी जाती है। 

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पेट के कैंसर का दर्द कहां होता है?

पेट के कैंसर का दर्द आमतौर पर लगातार और तेज़ होता है। पेट के कैंसर का सामान्य दर्द पेट के बीच में हल्का दर्द के रूप में महसूस हो सकता है इसलिए इसे इसे अक्सर पेट के बीच में "सुस्त दर्द" के रूप में महसूस किया जाता है। यह दर्द हलका और तेज दोनों ही हो सकता है और शुरुआत में दर्द ना हो ऐसा भी हो सकता है। दर्द में कुछ चीज़ें राहत भी दे सकती हैं, जैसे ठंडे पेय पदार्थ या आइसक्रीम। कुछ मामलों में दर्द स्थायी हो सकता है इसलिए ज्यादा जानकारी आपको कैंसर स्पेशलिस्ट ही दे सकता है। 

पेट कैंसर का खतरा कम करने के लिए क्या करें?

पेट के कैंसर का खतरा कम करने के लिए अपना लाइफस्टाइल हैल्दी रखें। फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान दें और ज्यादा से ज्यादा फल और सब्ज़ियां खाएं। साथ ही, प्रोसेस्ड फूड कम खाएं और नियमित रूप से व्यायाम करें।

डिस्कलेमरः इस आर्टिकल के जरिए हम आपको सिर्फ सामान्य जानकारी दे रहे हैं। स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह या जांच के लिए, किसी पेशेवर डॉक्टर से बात करें।
 


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Content Writer

Vandana

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