गोवर्धन पूजा और देवदिवाली पर ग्रहण का साया ! कार्तिक के महीने में लगेंगे सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों
punjabkesari.in Wednesday, Oct 19, 2022 - 03:04 PM (IST)
त्यौहारों की तरह सालभर में लगने वाले ग्रहणों का भी विशेष महत्व होता है। इस बार 15 दिन के अंदर ही सूर्य ग्रहण और च्रंद्र ग्रहण लगने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल 2022 का आखिरी सूर्य ग्रहण दिवाली के अगले दिन यानी मंगलवार 25 अक्टूबर 2022 को लगेगा, वहीं चंद्र ग्रहण का साया भी नवंबर महीने में दिखने वाला है। इन दोनों ग्रहणों का सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव लोगों के जीवन में देखा जा सकता है।
6 दिन तक चलेगी दिवाली
पंचांग के अनुसार इस साल सूर्यग्रहण के चलते दिवाली का पर्व 6 दिन तक चलेगा। 25 अक्टूबर को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण के चलते दिवाली इस बार एक दिन पहले मनाई जा रही है। कार्तिक महीने में इस बार अमावस्या पर सूर्य ग्रहण की छाया रहेगी। यह ग्रहण लगभग पूरे भारत में दिखाई देगा। दिवाली के अगले दिन ग्रहण लगने के कारण इसका सूतक काल बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
26 अक्टूबर को होगी गोवर्धन पूजा
पंचांग के मुताबिक़ इस बार दिवाली 24 अक्टूबर को है और 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगेगा, 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी, इस प्रकार यह दुर्लभ संयोग कई सालों बाद बनने जा रहा है। ग्रहण के चलते गोवर्धन पूजा की डेट में बदलाव किया गया है। हिंदू धर्म में इस पूजा का विशेष महत्व है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था।
आंशिक होगा सूर्य ग्रहण
यह साल का सूर्य ग्रहण है जो आंशिक होगा। यह 25 अक्टूबर को दोपहर 4 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगा और शाम 5 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगा। इसे दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, लेह और जम्मू में देखा जा सकेगा। वहीं कार्तिक के महीने के आखिरी दिन पूर्णिमा गंगा स्नान पर 8 नवंबर 2022 मंगलवार को शाम 2:39 से 6:19 तक चंद्रग्रहण होगा।
चंद्र ग्रहण का प्रभाव भी होगा शून्य
इसका सूतक प्रातः काल 8:00 बजे कर 29 मिनट से आरंभ हो जाएगा। इसीलिए गंगा स्नान करने के इच्छुक व्यक्ति 8:30 बजे से पहले पहले स्नान कर सकते हैं। इसके बाद सूतक काल और ग्रहण के कारण स्नान करना निषिद्ध है। ज्योतिष जानकारों का मानना है कि साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई अवश्य देगा लेकिन इसका प्रभाव शून्य रहेगा। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को ही भगवान शिव से त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। इसी कारण इस दिन को खुशियों के रूप में मनाया जाता है। इस राक्षस के वध होने से देवी-देवताओं से खुशियां मनाई थी और काशी की तट पर दीपक जलाए थे। इसी कारण हर साल इस दिन दीपदान और स्नान करना का शुभ माना जाता है।
इन देशों में भी दिखाई देगा ग्रहण
भारत के अलावा साल का ये अंतिम चंद्र ग्रहण दक्षिणी/पूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक और हिंद महासागर में भी दिखाई देगा। सूतक काल में पूजा पाठ की मनाही होती है, लेकिन ग्रहण के दौरान जितना संभव हो उतना पूजा पाठ अवश्य करना चाहिए। माना जाता है कि ग्रहण के दौरान किया गया पूजा पाठ दोगुना फल प्रदान करता है।