बच्चों में स्मार्टफोन की लत दूर करने के लिए आवश्यक हैं सीमाएं
punjabkesari.in Sunday, Oct 27, 2024 - 04:00 PM (IST)
नारी डेस्क: आज की पीढ़ी के बच्चों में डिप्रेशन की दर तेजी से बढ़ रही है, जिसका एक बड़ा कारण सोशल मीडिया और स्मार्टफोन का बढ़ता उपयोग है। हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यह तकनीक बच्चों में मानसिक बेचैनी पैदा कर रही है। बेकी केनेडी, जो एक मनोवैज्ञानिक और पैरेंटिंग कंपनी गुड इनसाइड के सीईओ हैं, का कहना है कि बच्चों को सीमाएं तय करने की जरूरत है।
बच्चों की मानसिक स्थिति और सीमाएं
"बच्चे हमेशा नियमों के दायरे से बाहर जाना चाहते हैं।" हालांकि, पैरेंट्स अपनी जिम्मेदारियों से चूक रहे हैं। आज के समय में नियम न बनाना बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है। अगर माता-पिता ध्यान नहीं देंगे, तो बच्चों को खुले तौर पर सोशल मीडिया का उपयोग करने की छूट मिल जाएगी, जिससे वे असली दुनिया से दूर हो जाएंगे। समस्या फोन और सोशल मीडिया नहीं, बल्कि मजबूत नेतृत्व का अभाव है। पैरेंट्स को न केवल सीमाएं तय करनी चाहिए, बल्कि बच्चों के साथ जुड़े रहना भी जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि बच्चों को कम उम्र से सही और गलत के बीच का अंतर समझाया जाए।
बच्चों के भविष्य के लिए सही फैसले
बेकी केनेडी का कहना है, "यदि आपने अपने बच्चे को फोन दे रखा है और उसे सोशल मीडिया देखने की छूट दी है, तो आप अपने फैसले को बदल सकते हैं। कभी भी अच्छे फैसले करने में देर नहीं होती।" यह जरूरी है कि माता-पिता दृढ़ता से सही निर्णय लें, ताकि बच्चे सही भावनाओं को समझें और उन पर कायम रह सकें।
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एआई के खतरे को लेकर चिंताएं
एक नए सर्वे के अनुसार, अमेरिकी किशोर एआई के खतरों को लेकर भी चिंतित हैं। सेंटर फॉर यूथ एआई और यूगाँव द्वारा किए गए सर्वे में पाया गया कि 80% युवा मानते हैं कि सांसदों को एआई के जोखिमों पर ध्यान देना चाहिए। सामाजिक असमानता (78%) और जलवायु परिवर्तन (77%) के मुद्दों के समान, एआई को लेकर उनकी चिंताएं भी गंभीर हैं।
यह सर्वे 13 से 18 वर्ष की आयु के 1017 किशोरों पर किया गया था, जिसमें आधे से अधिक प्रतिभागियों ने बताया कि वे हर सप्ताह कई बार चैटजीपीटी या उसके समान टूल्स का उपयोग करते हैं। फिर भी, वे इस तकनीक के प्रति अनुकूल रुख नहीं रखते हैं।
इस प्रकार, बच्चों में स्मार्टफोन की लत को नियंत्रित करने और उनके मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पैरेंट्स को स्पष्ट सीमाएं तय करनी होंगी। इसके साथ ही, एआई के खतरों को समझना और उन पर ध्यान देना भी आवश्यक है, ताकि युवा पीढ़ी एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य की ओर बढ़ सके।