लक्षण दिखने से पहले ही फैल जाता है यह कैंसर, जानें कैसे पहचानें

punjabkesari.in Monday, Dec 01, 2025 - 10:41 AM (IST)

 नारी डेस्क:  प्रोस्टेट कैंसर दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा है। ब्रिटेन में यह अब पुरुषों में सबसे आम कैंसर बन चुका है और हर साल 12,000 से भी ज्यादा लोगों की जान ले रहा है। इसकी सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह कैंसर शुरुआती स्टेज में लगभग बिना लक्षण के विकसित होता है। मतलब, जब तक शरीर के अंदर बहुत बदलाव नहीं हो जाते, तब तक पुरुषों को पता भी नहीं चलता कि उन्हें यह बीमारी हो चुकी है। इसलिए यह कैंसर अक्सर देर से पकड़ा जाता है और इलाज मुश्किल हो जाता है।

शुरुआती स्टेज में लक्षण क्यों नहीं दिखते?

प्रोस्टेट कैंसर का शुरुआती विकास बहुत शांत तरीके से होता है। यह कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है और शुरू में ब्लैडर, किडनी या हॉर्मोन सिस्टम पर कोई सीधा प्रभाव नहीं डालता। इसी वजह से पेशाब में जलन, बार-बार पेशाब आना या दर्द जैसे सामान्य लक्षण शुरुआत में दिखाई नहीं देते। पुरुष अक्सर तभी जांच करवाते हैं जब असुविधा बढ़ जाती है, लेकिन तब तक कैंसर अधिक फैल चुका होता है। इसलिए डॉक्टर कहते हैं कि इस बीमारी को लक्षणों के आधार पर पकड़ना लगभग असंभव है।

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ब्रिटेन में स्क्रीनिंग रोकने पर विवाद क्यों बढ़ा?

ब्रिटेन की नेशनल स्क्रीनिंग कमेटी ने बड़े पैमाने पर प्रोस्टेट कैंसर की स्क्रीनिंग शुरू करने के सुझाव को एक बार फिर खारिज कर दिया। इस फैसले से डॉक्टरों, कैंसर संस्थाओं और कई प्रमुख सार्वजनिक हस्तियों में गहरा असंतोष फैल गया है। उनका कहना है कि जब कैंसर बिना लक्षण के बढ़ रहा है, तो स्क्रीनिंग ही एकमात्र तरीका है जिससे पुरुष समय पर अपनी बीमारी पकड़ सकते हैं। ऐसे में स्क्रीनिंग रोकना हजारों जानें जोखिम में डालने जैसा है।

रिषि सुनक की सख्त नाराजगी—इसे “गंभीर गलती” बताया

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रिषि सुनक, जिनका प्रोस्टेट कैंसर से व्यक्तिगत जुड़ाव रहा है, इस फैसले के सबसे कड़े आलोचक बने। सुनक ने इसे “जीवन बचाने का खोया हुआ मौका” कहा। उनका तर्क है कि कमेटी ने आधुनिक MRI-आधारित डायग्नॉस्टिक तकनीकों को नजरअंदाज कर दिया है, जबकि ये तकनीक शुरुआती स्टेज में कैंसर को बहुत तेजी और सुरक्षित तरीके से पहचान सकती हैं। सुनक का मानना है कि क्योंकि शुरुआती स्टेज में कोई लक्षण नहीं मिलते, इसलिए लक्षणों के आधार पर पुरुषों के बीमारी पकड़ने की उम्मीद रखना गलत है। उनकी नजर में स्क्रीनिंग न करना सीधा-सीधा खतरा है।

एक्सपर्ट क्यों कह रहे हैं कि पुराना डेटा गुमराह कर रहा है?

कई कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि NSC के पास मौजूद डेटा पुराना हो चुका है और नई MRI तकनीकें कहीं अधिक सटीक हैं। इंपीरियल कॉलेज लंदन और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के डॉक्टरों के बड़े शोध बताते हैं कि PSA टेस्ट और MRI स्कैन मिलकर कैंसर को शुरुआती स्टेज में लगभग दोगुनी तेजी से पकड़ते हैं। इससे मरीजों को अनावश्यक बायोप्सी नहीं करवानी पड़ती और गलत निदान की संभावना भी काफी कम होती है। बड़े क्लीनिकल ट्रायल्स जैसे PROMIS स्टडी ने यह प्रमाणित किया है कि MRI-फर्स्ट मॉडल प्रोस्टेट कैंसर की पहचान में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

बड़े ट्रायल क्यों बढ़ा रहे उम्मीदें?

2025 में शुरू हुआ TRANSFORM ट्रायल इस दिशा में सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है। यूरो 42 मिलियन की लागत से चल रहा यह ट्रायल लगभग 3 लाख पुरुषों पर आधारित है। यह ट्रायल यह तय करने में मदद करेगा कि बड़े पैमाने पर MRI-आधारित स्क्रीनिंग कितनी प्रभावी हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले कुछ वर्षों में यह ट्रायल दुनिया के स्क्रीनिंग मॉडल को बदल सकता है और लाखों पुरुषों की जान बचा सकता है।

प्रोस्टेट कैंसर से बचाव संभव है—बस सही कदम उठाना जरूरी है

कैंसर को पूरी तरह रोकना संभव नहीं है, लेकिन कई शोध बताते हैं कि कुछ आसान और नियमित आदतें इस कैंसर का खतरा काफी हद तक कम कर सकती हैं। खासकर ऐसे पुरुष जिनमें यह कैंसर तेजी से विकसित होने की संभावना होती है, उन्हें अधिक सतर्क रहना चाहिए।

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उच्च जोखिम वाले पुरुष 45–50 साल की उम्र से PSA टेस्ट करवाएं

अगर किसी पुरुष के पिता या भाई को प्रोस्टेट कैंसर हुआ हो, तो उसके लिए जोखिम तीन से चार गुना बढ़ जाता है। ब्लैक पुरुषों में भी यह कैंसर औसतन दोगुना पाया जाता है। ऐसे पुरुषों को 45–50 साल की उम्र से PSA मॉनिटरिंग और समय-समय पर जांच करवाने की सलाह दी जाती है। इससे रोग की शुरुआती पहचान की संभावना बढ़ती है और इलाज आसान हो जाता है।

ज्यादा फैट और जली हुई मीट—खतरा बढ़ा सकती है

दुनियाभर के शोध बताते हैं कि हाई-फैट डाइट, प्रोसेस्ड मीट और जली हुई मीट खाने से आक्रामक प्रोस्टेट कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है। यह भोजन शरीर में सूजन बढ़ाता है और हॉर्मोनल असंतुलन पैदा करता है, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को तेज कर देता है। इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना बेहद जरूरी है।

कौन-सी डाइट कैंसर से बचाव में मदद करती है?

विशेषज्ञों के अनुसार टमाटर, पालक, ब्रोकोली, गाजर जैसी हरी-सब्जियां और लाइकोपीन से भरपूर फूड्स को रोजाना डाइट में शामिल करना फायदेमंद होता है। इसके अलावा नट्स, ऑलिव ऑयल और फैटी फिश जैसे हेल्दी फैट्स शरीर में सूजन कम करते हैं और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। यह आहार शरीर को कैंसर के विकास से बचाने में मदद करता है।

नियमित व्यायाम सूजन कम करता है और हॉर्मोन संतुलित रखता है

हर दिन 30–40 मिनट की वॉक, हल्का जॉगिंग या योग जैसे व्यायाम शरीर में सूजन को कम करते हैं। यह वजन नियंत्रित रखने में भी मदद करते हैं, जिससे मेटाबॉलिज्म और हार्मोन बैलेंसिंग बेहतर होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित एक्सरसाइज प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने वाले सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है।

विटामिन D की कमी तेजी से फैलने वाले कैंसर का बड़ा कारण बन सकती है

कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड की संयुक्त रिसर्च बताती है कि जिन पुरुषों में विटामिन D का स्तर बहुत कम होता है, उनमें ट्यूमर तेजी से बढ़ने की संभावना अधिक रहती है। सूरज की रोशनी, हेल्दी डाइट और जरूरत पड़ने पर सप्लीमेंट्स से विटामिन D का स्तर सामान्य बनाए रखना बेहद जरूरी है।

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धूम्रपान और शराब—दोनों से कैंसर का खतरा बढ़ता है

कई यूरोपीय शोध बताते हैं कि धूम्रपान प्रोस्टेट कैंसर से मौत के खतरे को बढ़ा देता है। वहीं ज्यादा शराब पीने से शरीर में ऐसे टॉक्सिन बनते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास में मदद करते हैं। इसलिए डॉक्टर इन दोनों से दूरी रखने की सख्त सलाह देते हैं।

एक्सपर्ट की चेतावनी: “लक्षण आने का इंतजार मत कीजिए”

कैंसर विशेषज्ञों का मानना है कि प्रोस्टेट कैंसर की सबसे खतरनाक बात यही है कि जब तक यह लक्षण दिखाता है, तब तक अक्सर बहुत देर हो चुकी होती है। इसलिए बचाव का सबसे सुरक्षित तरीका है कि पुरुष अपनी जोखिम प्रोफाइल पहचानें, 45–50 साल के बाद नियमित PSA टेस्ट करवाएं, जरूरत पड़े तो MRI कराएं और अपने वजन, डाइट तथा विटामिन D पर ध्यान दें। जिन पुरुषों के परिवार में इतिहास हो, उन्हें जीन टेस्टिंग भी करवानी चाहिए।  


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Content Editor

Priya Yadav

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