दशहरा पर घर में रावण दहन करना चाहिए या नहीं? जानें धार्मिक मान्यता

punjabkesari.in Wednesday, Oct 01, 2025 - 02:52 PM (IST)

नारी डेस्क:  इस साल विजयादशमी का पर्व 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। नवरात्रि के समापन के बाद दशमी तिथि को रावण दहन की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह पर्व अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भगवान राम द्वारा रावण का वध इसी दिन हुआ था, इसलिए हर साल लोग इस मौके पर रावण का पुतला जलाकर बुराई का अंत करने का संदेश देते हैं।

कहां होता है रावण दहन?

आमतौर पर रावण दहन बड़े पैमाने पर शहरों, गांवों या कस्बों में किसी सार्वजनिक स्थल, मैदान या चौराहे पर किया जाता है। इसका उद्देश्य यह होता है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस कार्यक्रम के साक्षी बनें और समाज में यह संदेश जाए कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः धर्म की ही जीत होती है।

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क्या घर पर रावण दहन किया जा सकता है?

धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो शास्त्रों में घर पर रावण दहन करने का कोई स्पष्ट निषेध नहीं बताया गया है। परंपरागत रूप से इसे सार्वजनिक स्थानों पर ही किया जाता है, ताकि सभी लोग इस आयोजन में भाग ले सकें। हालांकि शास्त्रों में घर या आंगन में रावण जलाने का उल्लेख भी नहीं मिलता है। यानी इसे न तो सीधा निषिद्ध कहा गया है और न ही पूर्ण रूप से अनुमत।

घर पर रावण जलाने से क्या दोष लगता है?

अगर कोई व्यक्ति घर पर छोटा पुतला या प्रतीकात्मक रूप से रावण का कैंडल जलाता है, तो इसमें कोई दोष या अपशकुन नहीं माना जाता। यह प्रतीकात्मक दहन भी अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश देता है। लेकिन बहुत बड़े पुतले को घर में जलाना शुभ नहीं माना जाता। इसके पीछे दो कारण हैं

सुरक्षा की दृष्टि से खतरा – आग फैलने का डर होता है।

विधि-विधान – बड़े पुतले के दहन की विशेष परंपराएं होती हैं, जो आमतौर पर सार्वजनिक आयोजनों में ही निभाई जाती हैं।

घर पर रावण दहन करने के बाद क्या करें?

यदि आप घर में छोटा पुतला या कैंडल जलाते हैं तो उसके बाद यह उपाय करना शुभ माना जाता है घर में गंगाजल का छिड़काव करें। दीपक जलाएं और भगवान राम की स्तुति करें। रामायण या हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे घर का वातावरण पवित्र होता है और किसी भी प्रकार का दोष नहीं लगता।

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रावण दहन न कर पाने पर क्या करें?

यदि आप दशहरे के दिन रावण दहन में शामिल नहीं हो पाते हैं या घर पर भी यह परंपरा निभाना संभव नहीं है, तो आप दीप जलाकर, रामायण पाठ या हनुमान चालीसा का पाठ करके इस पर्व को शुभ बना सकते हैं। यह भी उतना ही फलदायी माना जाता है।  


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Content Editor

Priya Yadav

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