श्मशान में वास करने वाली देवी गुह्य काली कौन हैं? जानिए मां काली के इस गुप्त रूप का रहस्य

punjabkesari.in Thursday, Oct 30, 2025 - 04:59 PM (IST)

नारी डेस्क : हिंदू धर्म में देवी काली को परम शक्ति का प्रतीक माना गया है। उनके कई रूपों में से एक अत्यंत गुप्त और रहस्यमयी रूप है। मां गुह्य काली। यह रूप इतना रहस्यमयी है कि इसकी पूजा और साधना केवल कुछ ही साधक करते हैं। मां गुह्य काली को श्मशान में निवास करने वाली देवी कहा गया है, जो सिद्धियों की प्रदाता और विघ्नों का नाश करने वाली हैं।

गुह्य काली का स्वरूप और रहस्य

गुह्य काली मां काली का वह रूप हैं, जिनकी आराधना अत्यंत गुप्त तरीके से की जाती है। कहा जाता है कि वह श्मशान के बीचोंबीच निवास करती हैं, जहां तांत्रिक साधक आधी रात को उनकी पूजा करते हैं। इनकी साधना साधारण लोगों के लिए नहीं होती। केवल वही साधक उनका आह्वान कर सकते हैं जो तांत्रिक विधाओं में निपुण और शक्तियों के धनी हों।

तांत्रिक परंपरा में मां गुह्य काली

तांत्रिक ग्रंथों में देवी काली के अनेक रूपों का उल्लेख मिलता है। जैसे महाकाली, दक्षिणा काली, श्मशान काली, भद्रकाली और कामकाली। इन्हीं में एक प्रमुख रूप है गुह्य काली, जिनकी साधना और स्वरूप का वर्णन महाकाली संहिता के एक विशेष खंड में किया गया है। यहां उन्हें ‘गोपनीय शक्ति’ कहा गया है, जो संसार की सबसे रहस्यमयी शक्तियों में से एक हैं।

मां गुह्य काली का भयानक निवास

मां गुह्य काली आठ श्मशानों के मध्य वास करती हैं। महाघोरा, कालदंड, ज्वालाकुल, चंडपाश, कापालिक, धूमाकुल, भीमांगरा और भूतनाथ। वहां उनके साथ भैरव, डाकिनियां, वेताल, चामुंडा, सियार, त्रिशूल, शव और खोपड़ियां रहती हैं। उनका यह निवास भय और शक्ति का संगम माना गया है, जहां साधक अपनी सिद्धियों को प्राप्त करता है।

गुह्य काली के यंत्र और पूजा विधि

मां गुह्य काली की पूजा 18 विशेष यंत्रों के माध्यम से की जाती है, जिनमें से प्रत्येक यंत्र एक विशिष्ट मंत्र से जुड़ा होता है। पहले यंत्र में बिंदु, त्रिभुज, षट्भुज, पंचभुज, वृत्त, 16 और 8 पंखुड़ियों वाले कमल, त्रिशूल और खोपड़ियों का संयोजन होता है। इन यंत्रों की साधना अत्यंत गोपनीय मानी जाती है और केवल दीक्षित तांत्रिक ही इसे कर सकते हैं।

मां गुह्य काली का अद्भुत रूप

अपने दशमुखी रूप में मां गुह्य काली को प्रकृति की आदिम शक्तियों का प्रतीक माना गया है। उनके दस मुख इस प्रकार हैं। द्वीपिका (तेंदुआ), केशरी (शेरनी), फेरू (सियार), वानर (बंदर), रिक्सा (भालू), नारा (स्त्री), गरुड़ (बाज), मकर (मगरमच्छ), गजा (हाथी) और हया (घोड़ा)। हर मुख प्रकृति की एक विशिष्ट शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। उनकी 27 आंखें और 54 भुजाएं हैं, और प्रत्येक हाथ में एक अलग अस्त्र —त्रिशूल, डमरू, चक्र, गदा, धनुष, घंटी, हथौड़ा, माला, हल, भाला, कंकाल आदि। उनका चेहरा हंसता हुआ है, जीभ बाहर लटकी है, और उनके सिर पर खोपड़ियों की माला सजी है।

आध्यात्मिक अर्थ

मां गुह्य काली न केवल मृत्यु और भय की देवी हैं, बल्कि वह पांच महाभूतों पर भी अधिष्ठित हैं। उनके कमलासन के नीचे धर्म, ज्ञान और वैराग्य के प्रतीक दिक्पाल स्थित हैं। भैरव को उनका छठा पीठ माना गया है। गुह्य काली की साधना साधक को अज्ञान से ज्ञान, भय से निर्भयता और बंधन से मुक्ति की ओर ले जाती है। मां गुह्य काली का रूप हमें यह सिखाता है कि जीवन और मृत्यु, भय और शक्ति सब एक ही ब्रह्मांडीय ऊर्जा के दो पहलू हैं। जो साधक उनके रहस्यमयी मार्ग पर चलता है, वह संसारिक भय से मुक्त होकर दिव्य चेतना को प्राप्त करता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Monika

Related News

static