लोक गायिका Sharda Sinha का अंतिम संस्कार कब और कहां होगा? जानें पूरी डिटेल
punjabkesari.in Wednesday, Nov 06, 2024 - 09:53 AM (IST)
नारी डेस्क: बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का 5 नवंबर 2024 को निधन हो गया। वह पिछले कई दिनों से बीमार चल रही थीं और दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनकी तबियत खराब होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था, और 5 नवंबर की रात लगभग 9:20 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका निधन संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है, और उनके निधन से उनके प्रशंसक और चाहने वाले शोक में डूबे हैं।
शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार
शारदा सिन्हा के अंतिम संस्कार की जानकारी बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने दी। शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार पटना में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। 6 नवंबर 2024, बुधवार को सुबह 9:40 बजे शारदा सिन्हा का शव दिल्ली से पटना लाया जाएगा। उनके अंतिम दर्शन के बाद उन्हें राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन कर दिया जाएगा।
शारदा सिन्हा का संगीत जगत में योगदान
शारदा सिन्हा को बिहार, झारखंड, और उत्तर भारत में लोक संगीत की दुनिया में बेहद सम्मान प्राप्त था। वह मैथिली और भोजपुरी गीतों की गायिका थीं और उनके गाए हुए गीतों को लोग आज भी गुनगुनाते हैं। खासकर उनके छठ गीतों को आस्था के पर्व छठ पूजा के दौरान श्रद्धा और भक्ति के प्रतीक के रूप में गाया जाता है। शारदा सिन्हा का संगीत लोक संस्कृति का हिस्सा बन चुका था और उनकी आवाज में ऐसा जादू था जो सुनने वालों के दिलों में हमेशा के लिए बस जाता था।
प्रधानमंत्री मोदी और अन्य नेताओं का शोक
शारदा सिन्हा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी शोक व्यक्त किया। उन्होंने अपने एक्स हैंडल (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!"
इसके अलावा कई अन्य प्रमुख नेताओं और मशहूर हस्तियों ने भी उनके निधन पर शोक जताया और उनकी आत्मा की शांति की कामना की।
शारदा सिन्हा का जीवन और करियर
शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सहरसा जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी गायकी की शुरुआत बहुत ही कम उम्र में की थी और लोक संगीत के क्षेत्र में अपना विशेष स्थान बना लिया। शारदा सिन्हा को खासतौर पर छठ पूजा के गीतों के लिए जाना जाता है। उनके गाए गीत "उहे दिन उहे रात बा" और "छठी मैया के गीत" आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।
वह न सिर्फ भोजपुरी और मैथिली की लोक गायिका थीं, बल्कि उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में भी गायन किया था। शारदा सिन्हा का संगीत के प्रति समर्पण और उनकी आवाज की विशेषता ने उन्हें संगीत जगत में एक अलग पहचान दी।
शारदा सिन्हा की यादें
शारदा सिन्हा के निधन से भोजपुरी संगीत और लोक गायन की दुनिया में एक खालीपन सा आ गया है। उनके सुमधुर गीतों की गूंज हमेशा उनके प्रशंसकों के दिलों में बनी रहेगी। उनका निधन छठ पूजा के ठीक एक दिन पहले हुआ, जो उनके परिवार और पूरे देश के लिए एक दुखद संयोग है। हालांकि वह अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके गाए गीतों के जरिए वह हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी।
शारदा सिन्हा का संगीत जगत में योगदान और उनकी सुमधुर आवाज हमेशा उनके चाहने वालों के दिलों में बसी रहेगी।