Sarva Pitru Amavasya पर पितरों को प्रसन्न करने का आखिरी मौका, ऐसे करें तर्पण

punjabkesari.in Friday, Oct 13, 2023 - 06:45 PM (IST)

श्राद्ध के दिन चल रहे हैं। कल यानी 14 अक्टूबर को आखिरी श्राद्ध और सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या भी है। इस दिन धरती पर आए पितरों को याद करके विदाई दी जाती है। कहते हैं कि पितृ पक्ष में अगर अपने पूर्वजों का तर्पण नहीं किया है, श्राद्ध नहीं किया है तो सर्व पितृ के मौके पर तिलांजलि कर उन्हें सम्मानपूर्वक विदा दे सकते हैं। इस दिन दान करने से अमोघ फल प्राप्त होता, हर बड़ी परेशानी का अंत हो जाता है। ये पितरों को मनाने का आखिरी मौका है, इस दिन श्राद्ध कर्म करने से पूर्वजों को सालभर तक संतुष्टी रहती है।

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सर्व पितृ अमावस्या का मुहूर्त

अश्विन अमावस्या तिथि शुरू - 13 अक्टूबर 2023, रात 09.50
अश्विन अमावस्या तिथि समाप्त - 14 अक्टूबर 2023, 11.24
कुतुप मूहूर्त - सुबह 11:44 - दोपहर 12:30
रौहिण मूहूर्त - दोपहर 12:30 - दोपहर 01:16
अपराह्न काल - दोपहर 01:16 - दोपहर 03:35

सर्व पितृ अमावस्या पर करें इनका श्राद्ध

सर्व पितृ अमावस्या का मतलब है सारे पितरों का श्राद्ध करने वाली तिथि । इस दिन कुल से समस्त पितरों का श्राद्ध किय जा सकता है, जिन लोगों की मृत्यु तिथि याद ना हो, या फिर पितृ पक्ष में तिथि का श्राद्ध न कर पाए हो सर्व पितृ अमवास्या पर उनके निमित्त तर्पण, पिंडदान कर उन्हें विदाई दी जाती है। इस दिन भूले बिसरे पितरों के नाम का भी श्राद्ध किया जा सकता है। ये पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है।

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ऐसे करें पितरों का तर्पण

इस दिन पवित्र नदी में सन्नान के बाद तर्पण, पिंडदान करें। इस दिन कुल 1,3,5 ब्राह्मण को भोजन का निमंत्रण दें। दोपहर में श्राद्ध के भोग के लिए सात्विक भोजन बनाकर पंचबलि (गाय, कुत्‍ते, कौवे, देव और चीटी) भोग निकालें और ब्राह्मण को विधि पूर्वक भोजन कराएं। सर्व पितृ अमावस्‍या के भोजन में खीर पूड़ी का होना आवश्यक है। ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देकर विदा करें। मान्यता है इससे पितरों का विसर्जन होता है। वह तृप्त होकर पितृलोक जाते हैं।

अमावस्या पर क्यों दी जाती है पितरों को विदाई ?

मान्यताओं के अनुसार साल में 15 दिन के लिए यमराज पितरों को मुक्त करते हैं ताकि वो पितृ पक्ष में पृथ्वीलोक में आकर परिजानों के बीच रहते हैं और अपनी क्षुधा शांत करते हैं। अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से सर्व पितृ अमावस्या तक पूर्वज पृथ्वी पर रहते हैं। ऐसे में आखिरी दिन अमावस्या पर उनके नाम तर्पण, पिंडदान कर उन्हें विदाई देनी चाहिए ताकि उनकी आत्मा को बल मिल सके और वह पितृलोक में संतुष्ट रहें।

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पितृ अमावस्या पर करें अमृत पान

साल की सारे अमावस्या पर पितृगण पर पितृगण वायु के रूप में सूर्यास्त तक घर के दरवाजे पर रहते हैं और अपने कुल के लोगों से श्राद्ध की उम्मीद रखते हैं। इस दिन पितृ पूजा करने से उम्र बढ़ती है और परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है।


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Content Editor

Charanjeet Kaur

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