एक नमस्ते के चलते सरोज खान की EGO को पहुंची थी ठेस, फिर उस एक्ट्रेस के साथ नहीं किया कभी काम
punjabkesari.in Thursday, Sep 11, 2025 - 07:27 PM (IST)

नारी डेस्क : बॉलीवुड की नामी कोरियोग्राफर सरोज खान अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके डांस मूव्स और उम्दा कोरियोग्राफी की बातें आज भी होती हैं लेकिन इसी के साथ कुछ किस्से ऐसे भी है जो सरोज खान जी की पर्सनल लाइफ से जुड़े हैं। चलिए ऐसे ही किस्से आपके साथ साझा करते हैं।
माधुरी से लेकर एश्वर्या राय तक सिखाया था डांस
ये बात तो सब जानते हैं कि माधुरी से लेकर एश्वर्या राय तक, कई स्टार्स को उन्होंने डांस सिखाया था लेकिन एक एक्ट्रेस के साथ वो ऐसा खफा हो गई थी कि उन्होंने वो फिल्म ही नहीं की थी। खफा होने का कारण उस एक्ट्रेस का नमस्ते ना कहना था। असल जिंदगी में सरोज खान काफी सख्त नेचर से मशहूर थीं। सेट पर वह डांट लगाने में जरा भी कतराती नहीं थी। बस, एक बार ऐसी ही फटकार एकट्रेस को उन्होंने नमस्कार के लिए लगा दी थी और वो एक्ट्रेस कोई और नहीं थी बल्कि रवीना टंडन थी।
रवीना टंडन की वजह से छोड़ी थी फिल्म
सरोज खान ने एक थ्रोबैक इंटरव्यू में इससे जुड़ा किस्सा शेयर करते हुए बताया था कि " रवीना टंडन पर मैं बहुत भड़क गई थी। उसने नमस्कार नहीं किया था और इतना भड़क गई थी कि मैंने वो पिक्चर ही छोड़ दी। उसके बाद उसके साथ कभी काम ही नहीं किया। हम लोगों के वक्त पर मतलब जब तक मास्टर हमको बैठने को न बोले, हम बैठते नहीं थे। अभी वो रिस्पेक्ट नहीं है।
माधुरी थी उनकी फेवरेट
सरोज खान ने कहा था कि माधुरी उनकी फेवरेट रही हैं। वह उन लोगों में थी जो उनकी बहुत रिस्पेक्ट करती थी। इस पर सरोज जी ने कहा था, माधुरी दीक्षित मेरी फेवरेट है, क्योंकि उसने कभी काम से चोरी नहीं की। जो बताया, उतना किया। कभी ऐसा भी नहीं बोला कि मास्टर जी मेरा ये हाथ थोड़ा दर्द करता है, इसको सीधा कर दूं क्या? नहीं, मास्टर जी ने बोला है इतना लुक देना है तो इतना ही लुक देना है। कोई कुछ भी बोले उसको आकर, डायरेक्टर आकर समझाए कि तुम्हारा लुक इधर नहीं, इधर आना चाहिए तो बोलेगी मास्टर जी को बोलो ना।
मां को लगा बेटी पागल तो नहीं हो गईं
पर्सनल लाइफ की बात करें तो सरोज खान ने 3 बार नेशनल अवॉर्ड जीता लेकिन उनकी फैमिली डांस के खिलाफ थी। जब मां ने सरोज खान को पहली बार डांस करते देखा तो वो परेशान हो गई थी और बेटी को डॉक्टर के पास ले गई कि कहीं उनकी बेटी पागल तो नहीं हो गईं। ऐसा इसलिए था क्योंकि सरोज खान एक रूढ़िवादी सोच रखने वाले परिवार से थी। लेकिन सरोज अपनी परछाई को देखकर डांस करती थी और उनकी मां को लगता था शायद सरोज मंदबुद्धि है इसलिए वो डॉक्टर के पास ले गई। तब डॉक्टर ने उनकी मां से कहा कि ये सिर्फ डांस करना चाहती है तो इसे डांस करने दीजिए। उस वक्त ना तो डांस ज्यादा मशहूर हुआ करता था ना ही डांस के लिए कोई ट्रेनिंग दी जाती थी। ऐसे में मां हैरान हुई और बोली ये डांस क्या होता है? कहां होता है? तब डॉक्टर ने ही बताया कि उनके पास फिल्मों के बहुत से प्रोड्यूसर आते रहते हैं जिन्हें डांस के लिए बच्चों की जरूरत होती है। डॉक्टर ने सरोज खान को पहली फिल्म 'नजराना' दिलाई।
घर संभालने की थी जिम्मेदारी
5 भाई बहनों में सबसे बड़ी सरोज खान पर भी घर संभालने की जिम्मेदारी थी। उन्होंने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर बॉलीवुड ज्वॉइन कर लिया। उन्होंने 10 साल की उम्र से डांस शुरू किया था और 14 साल की उम्र से कोरियोग्राफी शुरू की। बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका असली नाम निर्मला था लेकिन जब पिता ने बेटी को फिल्मों में भेजा तो नाम बदलकर सरोज रख दिया ताकि रिश्तेदारों को उनके फिल्मों में काम करने के बारे में पता ना चलें। उन दिनों फिल्मों में काम करना सम्मानजनक नहीं माना जाता था।
13 साल की उम्र में 30 साल बड़े से की शादी
सरोज खान ने महज 13 साल की उम्र में अपने डांस मास्टर बी सोहनलाल से शादी कर लीं जोकि सरोज से 30 साल बड़े थे। सोहनलाल पहले से ही शादीशुदा और 4 बच्चों के पिता थे। हालांकि शादी के वक्त सरोज खान को पति की सच्चाई नहीं पता थी जब 14 साल की उम्र में उन्होंने 1 बेटे को जन्म दिया तब उन्हें पता चला कि सोहनलाल पहले से शादीशुदा थे। जब सरोज की दूसरी बेटी हुई तो पति ने उनके दोनों बच्चों को अपना नाम देने से इंकार कर दिया और उन्हें छोड़कर चले गए। जिसके बाद सरोज की मुलाकात बिजनेसमैन सरदार रोशन खान से हुईं। सरदार रोशन खान भी शादीशुदा और दो बच्चों के पिता थे। सरदार रोशन ने सरोज से शादी की और उनके बच्चों को अपना नाम भी दिया। सरदार रोशन और सरोज की एक बेटी है सुखना खान, जो फिलहाल दुबई में डांस इंस्टीट्यूट चलाती हैं।
शादी के बाद बदल लिया धर्म
सरोज खुद सिंधी परिवार से ताल्लुक रखती थी लेकिन शादी के बाद उन्होंने अपना धर्म बदल लिया। उन्होंने अपनी मर्जी से यह धर्म अपनाया क्योंकि उनका इस धर्म के प्रति लगाव था। सरोज ने बताया था कि उन्हें अक्सर सपने आया करते थे कि जिसमें एक लड़की उन्हें मां बताती थी। वो उन्हें अक्सर मस्जिद के अंदर पुकारा करती थी। ऐसी घटना उनके साथ बार-बार हुआ करती थी जिस वजह से उन्होंने मुस्लिम धर्म कबूल लिया।