डॉलर के मुकाबले पहली बार 90 के पार, आम लोगों की जेब पर पड़ा सीधा असर, आखिर क्यों टूट रही है करंसी
punjabkesari.in Wednesday, Dec 03, 2025 - 10:29 AM (IST)
नारी डेस्क: भारतीय मुद्रा बाजार में आज सुबह भारी उथल-पुथल देखने को मिली। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार ₹90 प्रति डॉलर के ऊपर चला गया, जो भारतीय इतिहास का सबसे कमजोर स्तर है। बाजार खुलते ही साफ हो गया कि आज दबाव असामान्य रूप से ज्यादा है और रुपये पर बिकवाली की मार लगातार बढ़ती जा रही है।
रिकॉर्ड कमजोरी: खुलते ही रुपया टूटा
आज रुपया 89.87 प्रति डॉलर के मुकाबले 89.97 पर खुला—यानी शुरुआती मिनटों में ही करीब 10 पैसे की कमजोरी। लेकिन यह गिरावट यहां रुकी नहीं। ट्रेडिंग शुरू होते ही डॉलर की खरीद तेज हुई और रुपया फिसलकर ₹90.14/$ के ऑल-टाइम लो तक पहुंच गया। यह पहली बार है जब भारतीय करेंसी ने 90 का मनोवैज्ञानिक स्तर तोड़ा है। यह गिरावट सिर्फ एक संख्या भर नहीं है यह संकेत है कि बाजार में अनिश्चितता और विदेशी दबाव बेहद बढ़ चुका है।
ऐतिहासिक!
— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) December 3, 2025
जो भारत का कोई प्रधानमंत्री नहीं कर पाया, वो हमारे मोदी जी ने कर दिखाया.
देशहित में डॉलर के मुकाबले रूपए को 90 के पार पहुंचा दिया.
कुछ जलनखोर कहेंगे, ये खराब बात है... आपको इन देशद्रोहियों की बात नहीं सुननी है. pic.twitter.com/qBpOC24bVo
डॉलर के मुकाबले पहली बार 90 के पार, आम लोगों की जेब पर पड़ा सीधा असर, आखिर क्यों टूट रही है करंसी
डॉलर इतना मजबूत क्यों हो रहा है? वजहें समझें एक-एक कर
डॉलर इंडेक्स में लगातार तेजी
पिछले कुछ हफ्तों से अमेरिकी डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी बनकर उभर रहा है। ग्लोबल निवेशक जोखिम से बचने के लिए सुरक्षित निवेश (Safe Haven) की तरफ जा रहे हैं, और इसका सीधा फायदा डॉलर को मिल रहा है। जब दुनिया भर में डॉलर की मांग बढ़ती है, तो स्वाभाविक है रुपया कमजोर पड़ता है।
विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली (FII आउटफ्लो)
भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशक लगातार पैसा निकाल रहे हैं। जब FII बड़ी मात्रा में अपनी होल्डिंग बेचते हैं, उन्हें पैसा डॉलर में चाहिए होता है। इससे डॉलर की मांग अचानक बढ़ जाती है और रुपया फिसल जाता है।
ग्लोबल अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव
अमेरिका की ब्याज दरों को लेकर असमंजस, मध्य-पूर्व और एशिया में भू-राजनीतिक तनाव, और आर्थिक नीतियों में लगातार बदलाव—ये सभी फैक्टर ऐसे हैं जो डॉलर को मजबूत और रुपये को कमजोर बना रहे हैं। 90/$ के पार जाने का मतलब क्या है? सिर्फ आंकड़ा नहीं, एक बड़ा संकेत रुपये का ₹90 के ऊपर जाना सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए एक चेतावनी भी है। इसका सीधा असर आम लोगों से लेकर कंपनियों तक सभी पर पड़ेगा। आयात महंगा होगा भारत तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल और मशीनरी का भारी आयात करता है। रुपये की कमजोरी इनके दाम बढ़ा देगी।
पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं
कच्चा तेल डॉलर में खरीदा जाता है, इसलिए रुपये की गिरावट से तेल कंपनियों की लागत सीधे बढ़ती है।
विदेश जाकर पढ़ाई या यात्रा करने वालों पर बोझ
विदेशी ट्यूशन फीस, होटल, फ्लाइट टिकट—सब कुछ महंगा हो जाएगा। भारतीयों को अब समान खर्च के लिए ज्यादा रुपये चुकाने पड़ेंगे।
कंपनियों की फॉरेक्स कॉस्ट बढ़ेगी
जिन कंपनियों के पास विदेशी कर्ज है, उनकी लागत कई गुना बढ़ सकती है। यह उनके मुनाफे को प्रभावित करेगा।
क्या निर्यातकों को फायदा होगा?
अबकी बार 90 पर ।
— Narendra Nath Mishra (@iamnarendranath) December 3, 2025
पहली बार डॉलर के मुक़ाबला रुपया 90 पार । अब सेंचुरो का इंतज़ार pic.twitter.com/gWsm0mVPsP
हां, रुपये की गिरावट से निर्यातकों को कुछ हद तक फायदा मिलता है, क्योंकि उन्हें डॉलर में ज्यादा रुपये मिलते हैं। लेकिन इतनी अधिक अस्थिरता व्यापारियों के लिए भी परेशानी का कारण बनती है, क्योंकि बिजनेस प्लानिंग मुश्किल हो जाती है।
RBI क्या कदम उठाएगा?
जब भी रुपया अचानक टूटता है, RBI बाजार में डॉलर बेचकर रुपये को संभालने की कोशिश करता है। लेकिन आज 90/$ के टूटने से साफ है कि बाजार में डॉलर की मांग बहुत ज्यादा है। और RBI का दखल सीमित प्रभाव डाल पा रहा है। केंद्रीय बैंक स्थिति पर नज़र बनाए हुए है, लेकिन वैश्विक फैक्टर इतने बड़े हैं कि तात्कालिक राहत की उम्मीद कम दिखती है।
डॉलर के मुकाबले रुपया 90 पार हो गया....
— सोनू निगम सुन्दर (@SonuNigamSundar) December 3, 2025
लगता है मोदी जी भी शतक पूरा करे बिना रुकेंगे नहीं। pic.twitter.com/ez0Vpk7nVp
आगे क्या? क्या रुपया और टूटेगा?
विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यदि वैश्विक तनाव, अमेरिकी ब्याज दरों की अनिश्चितता और विदेशी बिकवाली जारी रहती है, तो रुपये में और कमजोरी की आशंका है।
बाजार अब पूरी तरह RBI की अगली रणनीति और डॉलर इंडेक्स के ट्रेंड पर निगाह रखे हुए है।

